Tuesday, September 25, 2012

जिस आतंकी को मार दुनिया में बन रहे थे 'शेर' वो तो पहले ही हो गया था ढ़ेर!

ओसामा बिन लादेन की हत्या के लिए 'ऑपरेशन नेप्ट्यून स्पीयर' में हिस्सा लेने वाले नेवी सील कमांडो की किताब में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 'नो इज़ी डे-द आटोबायोग्राफी ऑफ ए नेवी सील' नामक किताब में खुलासा किया गया है कि अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के कमरे में सैनिकों के घुसने से पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी। इस किताब में यह भी लिखा गया है कि उस दौरान लादेन निहत्था था। यह किताब लादेन डेथ मिशन में शामिल 6 सील कमांडो टीम के किसी सदस्य ने मार्क ओवेन के नाम से लिखी है। इस किताब की एक कॉपी 'हफिंगटन पोस्ट' के हाथ लगी है। किताब में यह लिखा गया है कि 'ऑपरेशन नेप्ट्यून स्पीयर' की सच्चाई उससे काफी अलग थी, जो दुनिया के सामने प्रस्तुत की गई। ओवेन ने लिखा है कि दल में शामिल एक कमांडो ने पहले आतंकी सरगना के बेडरूम में प्रवेश किया और सीढ़ियां चढ़ रहे अन्य कमांडोज को आने का संकेत दिया। उन क्षणों का वर्णन करते हुए किताब में लिखा गया है, "हम बिल्डिंग के ऊपरी फ्लोर पर पहुंचने से मात्र 5 कदम पीछे थे, तभी मैंने गोलियों की आवाज सुनी। अपनी पोजिशन से मैं यह अंदाजा नहीं लगा पाया कि गोलियां किसी को लगी हैं या नहीं। इसके बाद एक व्यक्ति अंधेरे कमरे में गायब हो गया।" गौरतलब है कि वर्ल्ड मीडिया में लादेन की मौत की कुछ अलग ही तस्वीर पेश की गई थी। बताया गया था कि जब अमेरिकी नेवी सील कमांडोज लादेन के कमरे में पहुंचे तो वह हथियारों से लैस था, जबकि इस किताब में लिखा गया है कि सील कमांडो के हमले से पहले ही लादेन को गोलियां लग चुकी थी और वो अपनी आखिरी सांसे ले रहा था। आखिर में सील कमांडो ने उसके सीने पर गोलियां दागी। लादेन के शव की तस्वीरें खींचते समय उसके कमरे से दो बंदूक तो मिली थी, लेकिन वे लोडेड नहीं थीं। इस किताब में ऑपरेशन नेप्ट्यून स्पीयर से जुड़े कई अन्य अहम् खुलासे किए गए हैं, जिससे अमेरिकी सरकार सवालों में घिर सकती है। गौरतलब है कि 'नो इज़ी डे-द आटोबायोग्राफी ऑफ ए नेवी सील' पत्रकार केविन मोरर के सहयोग से लिखी गई है। मोरर इससे पहले चार किताबें लिख चुके हैं, जिनमें से दो अफगानिस्तान में तैनात सैनिकों पर लिखी गई हैं।
मंदमोहन का राष्ट्र के नाम संदेश: 1. सब्सिडी कम...
Manoj Kumar Nagar4:12pm Sep 22
मंदमोहन का राष्ट्र के नाम संदेश:
1. सब्सिडी कम करना मजबूरी था: --
सही कहा क्योंकि जो 5 लाख करोड़
का बेलआउट कोर्पोरेट्स को आपने
दिया वो कहाँ से कवर करते ...!!!!
2. अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल के दाम बढ़ने
से दाम
बढ़ाए: -- चलिये मान लिया...पर अब जो दाम
तेज़ी से कम हो रहें है तो कम क्यों नहीं कर रहे
हों ये बताओ ज़रा...!!!
3. तेज़ आर्थिक विकास के लिए फैसले लिए: ---
तेजी से बाकी बचे हुये किसान
भी मरजाएँ...तेजी से कॉर्पोरेट फ़ार्मिंग आ
जाये...तेजी से दुकानदार मर
जाएँ...तेजी सेवालमर्ट,टेस्को,
मेट्रो ,कारफ़ौर देश पे कब्जा करले.....!!!
4. संकट का सामना करने लिए कड़े कदम
उठाए--- ये संकट भी तुम्हारे
घोटालो का परिणाम है मन्नू...!!
5. कीमतों बढ़ने के बाद भी भारत में दाम
बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान से कम
है.--दिखा दी ना औकात....के
तुम्हारा कोंपीटीशन किससे है...सिंगापुर,
थायलैंड,जापान,को रिया का नाम
नहीं लिया जहां दामहमसे कम हैं....!!!!
6. विदेशी किराना से
व्यापारियों को खतरा नहीं है--- बिलकुल
सही कहा जब ज़िंदा ही नहीं बचेंगे
तो ख़तरा कैसा...!!
7. देश की तेज़ विकास के लिए हर मुमकिन
कोशिश करूंगा:----वाह वाह...और इनके लिए
देश की परिभाषा सोनिया,राहुल,प्
रियंका,उसका पति और उसकी औलाद हैं...!!!
8. किसी के बहकावे में नहीं आएं: ---क्यूंकी अगर
आ भी गए तों क्या उखाड़ लोगे....2-4 बंद और
कर लोगे और क्या...!!!!
9.कड़े कदम उठाने का समय आ गया है:---सही है
अभी तक इटलीराज़ था अब अफगानराज
होगा॥!!
10॰ पैसा पेड़ो पर नहीं उगता:----जी हमे
मालूम है...वो तों असल मे कोयले की खदानों मे
से निकलता है
वाह रे मंदमोहन......क् या नमक घिसा है
हमारे खून से रिसते घावों पर....!!!! किया है
तूने जो अपमान याद रखेगा हिंदुस्तान...!! !!!
महावीर प्रसाद ( एक असली हिन्दूराष्ट्रवा
दी और गौ रक्षक ) के द्वारा —
"देश में संता -बंता का नया संस्करण आ गया...
Rajiv Chaturvedi 4:54pm Sep 23
"देश में संता -बंता का नया संस्करण आ गया है---यह है मोंटेक --मनमोहन गिरोह. मोंटेक के पुराने शोध के मुताबिक़ ग्रामीण क्षेत्र में २८/- और शहरी क्षत्र में ३२/- रोज खर्च करने वाले समृद्ध हैं और अब मनमोहन सिंह ने आठ साल प्रधानमंत्री रहने के बाद यह ज्ञान प्राप्त किया है कि "रुपये पेड़ पर तो उगते नहीं हैं". अपने इस महान उल्लेखनीय शोध को भले ही उन्होंने देश को बताने में आठ साल लगा दिए हों पर अपने मंत्रियों को शपथ लेने के साथ ही वह बता देते हैं तभी तो मंत्री पहले दिन से जानते हैं कि --"रुपये पेड़ पर तो उगते नहीं हैं" इसी लिए वह पहले दिन से घोटाले करते हैं. उनको पता है "रुपये पेड़ पर तो उगते नहीं हैं" रूपये तो कोयले की खदानों के पट्टे से ले कर 2G तक बड़ी तादाद में पैदा हुए हैं. सोनिया, रॉबर्ट बढेरा, राहुल सभी ज्ञानी जानते हैं कि "रुपये पेड़ पर तो उगते नहीं हैं" इसी लिए इनकी सरकार किसानो की विरोधी हैं. अब राष्ट्र रोबर्ट्स बढेरा से यह भी पूछे कि जब "रुपये पेड़ पर तो उगते नहीं हैं" तो कहाँ से उगे उनपर इतने रूपये ?" ---- राजीव चतुर्वेदी .