"देश
में संता -बंता का नया संस्करण आ गया है---यह है मोंटेक --मनमोहन गिरोह.
मोंटेक के पुराने शोध के मुताबिक़ ग्रामीण क्षेत्र में २८/- और शहरी क्षत्र
में ३२/- रोज खर्च करने वाले समृद्ध हैं और अब मनमोहन सिंह ने आठ साल
प्रधानमंत्री रहने के बाद यह ज्ञान प्राप्त किया है कि "रुपये पेड़ पर तो
उगते नहीं हैं". अपने इस महान उल्लेखनीय शोध को भले ही उन्होंने देश को
बताने में आठ साल लगा दिए हों पर अपने मंत्रियों को शपथ लेने के साथ ही वह
बता देते हैं तभी तो मंत्री पहले दिन से जानते हैं कि --"रुपये पेड़ पर तो
उगते नहीं हैं" इसी लिए वह पहले दिन से घोटाले करते हैं. उनको पता है
"रुपये पेड़ पर तो उगते नहीं हैं" रूपये तो कोयले की खदानों के पट्टे से ले
कर 2G तक बड़ी तादाद में पैदा हुए हैं. सोनिया, रॉबर्ट बढेरा, राहुल सभी
ज्ञानी जानते हैं कि "रुपये पेड़ पर तो उगते नहीं हैं" इसी लिए इनकी सरकार
किसानो की विरोधी हैं. अब राष्ट्र रोबर्ट्स बढेरा से यह भी पूछे कि जब
"रुपये पेड़ पर तो उगते नहीं हैं" तो कहाँ से उगे उनपर इतने रूपये ?" ----
राजीव चतुर्वेदी .
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Tuesday, September 25, 2012
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