Tuesday, February 14, 2012

कैसे वोट पायेगी सरकार 1200 करोड़ नहीं मिले तो बढ़ा देंगे पेट्रोल का दाम


नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में लगातार हो रही वृद्धि और रुपए के मूल्य के घटने-बढऩे से हो रहे घाटा का हवाला देते हुए तेल कंपनियां चुनाव के बाद यानी मार्च के पहले सप्‍ताह में पेट्रोल के दाम में 3-5 रुपए का इजाफा करने का संकेत दे रही है। यही नहीं, तेल कंपनियां अपनी ओर से इस इजाफा की तलवार पेट्रोलियम मंत्रालय और सरकार पर लटका रही है।  





इंडियन ऑयल के सीएमडी आरएस बुटोला ने कहा ' अभी प्रति लीटर पेट्रोल पर 3 रुपए से अधिक का घाटा हो रहा है। सरकार से पेट्रोल की मद में हो रहे घाटे का हवाला देते हुए अप्रैल से दिसंबर तक की अवधि के लिए 12 सौ करोड़ रुपए मांगे गए हैं। अगर सरकार यह पैसा नहीं देती है तो मजबूरन दाम बढ़ाने होंगे।'  





उन्होंने कहा 'यही वजह है कि कंपनी ने अपरिहार्य कारणों से दाम में वृद्धि नहीं की है। उन्होंने कहा कि हमने पेट्रोलियम मंत्रालय और सरकार को कहा है कि एलपीजी, डीजल और मिट्टी तेल को कम दाम पर बेचने से हो रहे घाटे की भरपाई के लिए दी जाने वाली राशि के साथ ही पेट्रोल के मद में भी यह नुकसान सरकार दे दे।' बुटोला ने कहा कि एक ओर सरकार से यह पैसा मांगा गया है और दूसरी ओर ग्रीस की स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है। अगर वहां स्थिति सामान्य नहीं होती है तो दाम बढ़ाने का दबाव बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि वह यह नहीं कह रहे हैं कि पेट्रोल के दाम सरकार के नियंत्रण में है। लेकिन इस मसले पर गठित मंत्री समूह ने भी कहा था कि अगर स्थिति उथल-पुथल वाली हो तो सरकार दखल दे सकती है।

सोमवार को कंपनी के तीसरी तिमाही के आर्थिक नतीजों की घोषणा के दौरान बुटोला ने कहा कि वह यह नहीं कह सकते हैं कि अभी वह वक्त आया है। उन्होंने कहा कि अभी इंडियन ऑयल को एलपीजी बेचने पर 378 रुपए, मिट्टी तेल पर टैक्स के बाद 30.27 रुपए और डीजल पर 11.35 रुपए प्रति लीटर का घाटा हो रहा है। उन्होंने कहा कि इन तीनों पदार्थ को घाटे के दाम पर बेचने से इंडियन ऑयल को प्रति दिन 289 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। उन्होंने कहा कि 2011 में अप्रैल से दिसंबर तक पेट्रोल के मद में 1234 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है।  





अगर सितंबर से दिसंबर 2011 की बात करें तो यह घाटा 77 करोड़ रुपए था। उन्होंने कहा कि कई बार दाम बढ़ाने पर चर्चा हुई लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया। यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव की वजह से कंपनी पर सरकार की ओर से ऐसा कोई दबाव था। उन्होंने कहा कि वह किसी कार्यक्रम के साथ इसे जोड़कर कुछ नहीं कह सकते हैं।