Monday, July 11, 2011

हरियाणा में गेहूं की रिकॉर्ड आवक

हरियाणा में चालू सत्र में गेहूं की दूसरी बार रिकॉर्ड आवक हुई है, जहां प्रदेश के विभिन्न मंडियों में 65.55 लाख टन गेहूं पहले ही आ चुका है, जबकि पिछले वर्ष कुल 63.61 लाख टन गेहूं की मंडियों में आवक हुई थी.
वर्ष 2009-10 में गेहूं की आवक की मात्रा 69.24 लाख टन थी. एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां कहा कि प्रदेश ने पहले ही चालू सत्र के लिए प्रदेश की मंडियों में 65 लाख टन गेहूं आवक के निर्धारित लक्ष्य को पार कर लिया है. उन्होंने कहा कि गेहूं की कुल आवक में से 65.61 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा खरीद की जा चुकी है जबकि बाकी 4,084 टन गेहूं की खरीद व्यापारियों ने की है.
गेहूं आवक के मामले में जिला सिरसा सबसे आगे है, जहां अभी तक 9.34 लाख टन गेहूं की मंडियों में आवक हुई है जिसके बाद स्थान जिला फ़तेहाबाद का है, जहां मंडियों में करीब 6.68 लाख टन गेहूं की आवक हुई है.

लेजर लेगा परंपरागत स्पार्क प्लग की जगह

अतीत बन जाएगा स्पार्क प्लग
डेढ़ साल पहले स्पार्क प्लग ने इलेक्ट्रोमोटिव्स की दिशा में क्रांति की शुरुआत की थी. लेकिन अब स्पार्क प्लग जल्द ही अतीत की बात हो सकती है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि कारों में जल्दी ही स्पार्क प्लग की जगह लेजर का उपयोग होने लगेगा. शोधकर्ताओं के एक दल ने ऐसा लेजर उपकरण तैयार कर लिया है जो इंजन में ईंधन और हवा के मिश्रण में दहन शुरू करने का काम कर सकता है.
फ़िलहाल यह काम स्पार्क प्लग करता है. लेजर का इस्तेमाल करने से ईंधन की कार्यक्षमता बढ़ जायेगी, क्योंकि लेजर ईंधन और हवा के मिश्रण को ज्यादा अच्छी तरह से जला सकेगा. स्पार्क प्लग की जगह लेजर के उपयोग का विचार नया नहीं है.
स्पार्क प्लग ईंधन के मिश्रण को सिर्फ़ वहीं पर जलाता है जहां चिंगारी पैदा होती है. इसमें एक कमी यह भी है कि स्पार्क प्लग का वह हिस्सा जहां चिंगारी पैदा होती है, धीरे-धीरे घट जाता है. रोमानिया और जापान के एक दल ने एक ऐसे उपकरण का प्रदर्शन किया है जो इंजन के सिलेंडर के भीतर दो या तीन ऐसी लेजर किरणों छोड़ सकता है जो अलग-अलग गहराइयों तक जाये. इसकी वजह से ईंधन मिश्रण का दहन पूरी तरह से हो जायेगा और किसी उपकरण के क्षतिग्रस्त होने का खतरा भी नहीं रहेगा.

ज्यादा टेलीविजन डालता है आपके दिल पर वजन

टीवी से स्वास्थ्य और मानसिक विकास पर असर
आज के बच्चे अपने खाली समय का इस्तेमाल बाहर मैदान में या गलियों में खेलने में जाया करने के बजाय टीवी देखकर या वीडियो गेम खेलकर बिता देते हैं.
बाहर जाकर खुली हवा में शारीरिक श्रम वाले खेल न खेलने से बच्चे के स्वास्थ्य और मानसिक विकास पर असर पड़ता है. लेकिन यह बात शायद आपको मालूम न हो कि बच्चों की टेलीविजन देखने की लत उनके दिल के लिए भी काफ़ी खतरनाक है.
भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक की अगुआई में आस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यलय में किये गये एक शोध में पाया गया है कि कि छह साल के उम्र के जो बच्चे घंटों टीवी पर आंख गड़ाये रहते हैं, उनकी आंखों की रक्त कोशिकाएं सिकुड़ती चली जाती हैं. यह ह्दय की बीमारी और उच्च रक्तचाप की पूर्व चेतावनी है. शोधकर्ताओं के अनुसार बच्चे औसतन प्रतिदिन दो घंटे टेलीविजन देखते हैं या कंप्यूटर पर गेम खेलते हैं और केवल 36 मिनट ही शारीरिक अभ्यास करते हैं. इस अध्ययन के अनुसार जो बच्चे प्रतिदिन एक घंटे शारीरिक अभ्यास करते हैं, वे ज्यादा स्वस्थ रहते