Monday, July 11, 2011

यह है आइंसटीन की‘डार्क एनर्जी’ अवधारणा

वाशिंगटन : भूमंडलीय वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक एल्बर्ट आइंसटीन की ‘डार्क एनर्जी’ अवधारणा ‘बहुत बडी भूल’ नहीं है बल्कि यह उर्जा ब्रहमांड में व्याप्त है.
आइंसटीन ने अपने वास्तविक ‘सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत’ में पहली बार ‘डार्क एनर्जी’ की अवधारणा को रखा था. इस वैज्ञानिक ने अपने वास्तविक समीकरणों में इस अवधारणा को शामिल किया लेकिन बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि यह उनकी ‘सबसे बडी भूल’ थी.        स्विनबर्न यूनीवर्सिटी के डाक्टर क्रिस ब्लैक के नेतृत्व में दो लाख आकाशगंगाओं का सर्वेक्षण करने वाले अंतरराष्ट्रीय दल ने पाया है कि ब्रहमांड के विस्तार के लिए जिम्मेदार ‘डार्क एनर्जी’ आइंसटीन के गुरूत्व सिद्धांत की गलती नहीं बल्कि यह सच्चाई है.      
एंग्लो आस्ट्रेलियाई दूरबीन का प्रयोग करते हुए 26 भूमंडलीय वैज्ञानिकों के दल ने ‘विगल जेड डार्क एनर्जी सर्वे’ में मदद की जिसमें ब्रहमांड के विभाजन को दर्शाया गया है. इस सर्वेक्षण को पूरा होने में चार साल लगे और इसका मुख्य उद्देश्य ‘डार्क एनर्जी’ के गुणों का पता लगाना था. दरअसल 90 के दशक में ‘डार्क एनर्जी’ की अवधारणा पुनर्जीवित हुई जब खगोलविदों को महसूस होने लगा कि ब्रहमांड का त्वरणशील गति से विस्तार हो रहा है.
डाक्टर ब्लैक ने कहा कि त्वरण एक चौंकाने वाली खोज थी क्योंकि इससे साफ़ होता है कि अभी भौतिक विज्ञान के बारे में बहुत कुछ जानने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि खगोलविदों ने फ़िर से सोचना शुरू कर दिया है कि आइंसटीन की भूल दरअसल भूल नहीं थी और ब्रहमांड एक खास तरह की उर्जा से परिपूर्ण है जो इसके निरंतर गति से विस्तार का कारण है.

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