Monday, July 11, 2011

ग्लोबल वार्मिग का असर फ़सलों पर

ग्लोबल वार्मिग के कारण रोज एक नयी समस्या जन्म ले रही है. क्या आपने कभी सोचा है कि ग्लोबल वार्मिग की वजह से आपकी रसोई का बजट बढ़ता जा रहा है ?
शायद आपका ध्यान इस पर भी नहीं गया होगा कि जब किसी होटल में खाना खाने के बाद आप जो बिल चुकाते हैं उसमें ग्लोबल वार्मिग का बिल भी जुड़ा होता है. एक तरफ़ जहां घर की थाली मंहगी होती जा रही है, तो दूसरी ओर वैज्ञानिक चेतावनी भरे स्वर में कह रहे हैं, यदि ग्लोबल वार्मिग की रफ्तार इसी तरह बढ़ती रही तो बहुत जल्द रोटी भी आम व्यक्ति की पहुंच से दूर हो जायेगी.
स्टेनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने लंबे शोध के बाद पाया है कि तापमान में हो रही लगातार बढ़ोतरी और अनियमित बारिश ने 1980 से लेकर अब तक गेहूं, मक्का, धान और सोयाबीन की कीमतों में 5 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है. स्टेनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के डॉ डेविड लॉबेल और उनके साथी दुनिया भर के फ़सल उत्पादक क्षेत्रों में होने वाली वर्षा की नियमितता, तापमान और फ़सलों के उत्पादन पर अध्ययन कर रहे हैं.
उन्होंने देखा कि 30 साल पहले जब मौसम में कोई खास बदलाव नहीं हुआ था तो फ़सलों का उत्पादन कितना हुआ करता था और अब स्थितियां बदल गयी हैं. गेहूं का उत्पादन 5.5 प्रतिशत कम हुआ है जबकि मक्का 4 फ़ीसदी की गिरावट पर है.

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