जन्मकुंडली से जातक के प्रत्येक पक्ष की जानकारी हमें कैसे प्राप्त हो सकती है ??
पिछले आलेख में मैने बताया था कि विभिन्न भावों में लिखे अंक के स्वामी ग्रह जातक के उस पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले होते हैं। जातक की जन्मकुंडली के हिसाब से विभिन्न पक्षों का आकलन करने के लिए हमें उस भाव के स्वामी ग्रह के अतिरिक्त उसमें स्थित ग्रहों को भी ध्यान में रखना पडता है। अब नीचे दिए गए चित्र को देखिए ....उपरोक्त जन्मकुंडली तुला लग्न की है , पहले भाव में 7 अंकित है , इसका अर्थ है कि जातक के शरीर और व्यक्तित्व से संबंधित मामलों की जानकारी के लिए 7 अंक यानि तुला राशि के स्वामी यानि शुक्र की शक्ति की जानकारी आवश्यक है।
दूसरे भाव में 8 अंकित है , इसका अर्थ यह है कि जातक के धन विषयक मामलों को जानने के लिए 8 अंक यानि वृश्चिक राशि के स्वामी यानि मंगल की शक्ति जानकारी आवश्यक है।
तीसरे भाव में 9 अंकित है जिसका अर्थ यह है कि जातक के भाईबंधु विषयक मामलों को जानने के लिए 9 अंक यानि धनुराशि के स्वामी यानि बृहस्पति की शक्ति का ज्ञान आवश्यक है।
चतुर्थ भाव में 10 अंकित होने का अर्थ यह है कि जातक के संपत्ति विषयक मामलों को जानने के लिए 10 अंक यानि मकर राशि के स्वामी शनि की शक्ति का ज्ञान आवश्यक है।
पंचम भाव में 11 अंकित होने का अर्थ यह है कि जातक के बुद्धि और संतान विषयक मामलों को प्रभावित करनेवाला ग्रह 11 अंक यानि कुंभ राशि का स्वामी शनि है और शनि की शक्ति से इसका आकलन किया जा सकता है।
षष्ठ भाव में 12 अंकित होने का अर्थ है कि जातक के झंझट विषयक मामलों को जानने के लिए 12 अंक यानि मीन राशि के स्वामी बृहस्पति की शक्ति को जानना आवश्यक है।
सप्तम भाव में 1 अंकित होने का अर्थ यह है कि जातक की घर गृहस्थी विषयक मामलों को जानने के लिए 1 अंक यानि मेष राशि के स्वामी मंगल की शक्ति को ध्यान दिया जाए।
अष्टम भाव में 2 अंकित होने का अर्थ है कि उसकी जीवनशैली को देखने के लिए 2 अंक यानि वृष के स्वामी शुक्र की शक्ति पर भी गौर किया जाए।
नवम् भाव में 3 अंकित होने का अर्थ है कि जातक के भाग्य विषयक मामलों की जानकारी के लिए 3 अंक यानि मिथुन राशि के स्वामी बुध की शक्ति की जानकारी आवश्यक है।
दशम भाव में 4 अंकित होने का अर्थ यह है कि जातक के पिता या सामाजिक मामलों को जानने के लिए 4 अंक यानि कर्क राशि के स्वामी चंद्र की शक्ति को जानना आवश्यक है।
एकादश भाव में 5 अंकित होने का अर्थ यह है कि जातक के लाभ और लक्ष्य को समझने के लिए 5 अंक यानि सिंह राशि के स्वामी सूर्य की स्थिति को जानना आवश्यक है।
द्वादश भाव में 6 अंकित होने का अर्थ यह है कि जातक के खर्च या बाहरी संदर्भों को देखने के लिए 6 अंक यानि कन्या राशि के स्वामी बुध की शक्ति को समझना आवश्यक है।
जातक के जीवन के सभी पक्षों को देखने के लिए संबंधित उपरोक्त ग्रहों के अलावे इस जन्मकुंडली में अन्य बातों का भी ध्यान रखना पडेगा। चूंकि पहले भाव में मंगल , दूसरे में बुध , तीसरे में सूर्य , चौथे में शुक्र , पांचवे शनि , आठवें बृहस्पति तथा नवें में चंद्र की स्थिति है। इसलिए इस जन्मकुंडली में शरीर की स्थिति को समझने में मंगल का , धन की स्थिति को समझने में बुध का , भाई बंधु की स्थिति को समझने में सूर्य का , संपत्ति की स्थिति को समझने में शुक्र का , जीवनशैली की स्थिति को समझने में बृहस्पति का तथा भाग्य की स्थिति को समझने में च्रद का भी आंशिक महत्व होगा । पर यदि तुला लग्न की सारी कुंडलियों की बात की जाए , तो इनमें निम्न ग्रहों के सहारे निम्न पक्षों की भविष्यवाणी की जा सकती है .....
चंद्र के सहारे पिता व सामाजिक स्थिति,
सूर्य के सहारे लाभ और लक्ष्य,
बुध के सहारे भाग्य और खर्च,
शुक्र के सहारे शरीर और जीवनशैली ,
मंगल के सहारे धन और घर गृहस्थी,
बृहस्पति के सहारे भाई बंधु और झंझट ,
शनि के सहारे संपत्ति , बुद्धि और संतान !!
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