जन्मकालीन ग्रहों के अलावे गोचर में चलनेवाले ग्रहों की शक्ति कोभी देखा जाना चाहिए !!
अब चूंकि बुद्धि ज्ञान और संतान के भाव का स्वामी बृहस्पति है , जबकि वहां चंद्रमा की भी स्थिति है , इसलिए बुद्धि और संतान की स्थिति को जानने के लिए बृहस्पति के साथ साथ चंद्र की स्थिति और शक्ति को जानना अनिवार्य है। इसी प्रकार अष्टम भाव यानि जीवनशैली की जानकारी के लिए बृहस्पति के साथ ही साथ शनि की शक्ति और स्थिति की जानकारी आवश्यक होगी। घर गृहस्थी और झंझट की स्थिति को समझने के लिए भी शनि की शक्ति और स्थिति को देखना भाग्य को जानने के लिए मंगल के साथ साथ सूर्य और बुध की शक्ति को समझना आवश्यक है ।
इसी प्रकार पिता या सामाजिक राजनीतिक स्थिति को समझने के लिए शुक्र तथा लाभ से संबंधित मामलों के लिए बुध की शक्ति और स्थिति को देखना आवश्यक होगा। खर्च और बाहरी संदर्भों की जानकारी के लिए चंद्र के साथ ही साथ बृहस्पति की भी स्थिति और शक्ति की जानकारी आवश्यक होगी। जन्मकालीन ग्रहों की शक्ति और स्थिति से संदर्भों के जीवनभर की स्थिति का पता चलेगा , जबकि अस्थायी रूप से आनेवाली समस्याओं के लिए गोचर के चाल पर भी ध्यान रखना आवश्यक है।
'गत्यात्मक ज्योतिष' के अनुसार जन्मकालीन ग्रहों के अलावे गोचर के ग्रह भी जातक के विभिन्न संदर्भों को प्रभावित करते हैं , इसलिए पंचांग के अनुसार ग्रहों की हर समय की स्थिति को जानना एक ज्योतिषी के लिए अनिवार्य है , गोचर में विभिन्न राशियों में स्थित विभिन्न ग्रह जिस भाव के स्वामी होते हैं और जिस भाव में स्थित होते हैं , उससे संबंधित अच्छे या बुरे फल प्रदान करते हैं , इसके लिए गोचर में चलनेवाले ग्रहों की शक्ति कोभी देखा जाना चाहिए।
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