विभिन्न लग्नवालों के विभिन्न संदर्भों के लिए भिन्न भिन्न ग्रह जिम्मेदार होते हैं !!
आपने देखा कि पर यदि तुला लग्न की सारी कुंडलियों की बात की जाए , तो इनमें निम्न ग्रहों के सहारे निम्न पक्षों की भविष्यवाणी की जा सकती है .....चंद्र के सहारे पिता व सामाजिक स्थिति,
सूर्य के सहारे लाभ और लक्ष्य,
बुध के सहारे भाग्य और खर्च,
शुक्र के सहारे शरीर और जीवनशैली ,
मंगल के सहारे धन और घर गृहस्थी,
बृहस्पति के सहारे भाई बंधु और झंझट ,
शनि के सहारे संपत्ति , बुद्धि और संतान ।
इसी आधार पर सभी लग्नवालों के अलग अलग पक्ष को देखने के लिए अलग अलग ग्रहों की शक्ति पर नजर रखनी पडती है ।
मेष लग्नवालों की कुंडली में चंद्र से माता , हर प्रकार की छोटी बडी संपत्ति , बुध से भाई बंधु और झंझट से जूझने की शक्ति , मंगल से शरीर, व्यक्तित्व और जीवनशैली , शुक्र से धन और घर गृहस्थी , सूर्य से बुद्धि ज्ञान और संतान , बृहस्पति से भाग्य , खर्च और बाहरी संदर्भ तथा शनि से पिता , पद प्रतिष्ठा और लाभ देखा जाता है।
इसी प्रकार वृष लग्नवालों की कुंडली में चंद्र से भाई बंधु , बुध से धन और बुद्धि , ज्ञान , मंगल से घर गृहस्थी और खर्च , शुक्र से शरीर व्यक्तित्व और संघर्ष क्षमता , सूर्य से हर प्रकार कर संपत्ति , बृहस्पति से जीवनशैली और लाभ तथा शनि से पिता , पद प्रतिष्ठा और भाग्य की स्थिति देखी जाती है।
मिथुन लग्नवालों की कुंडली में चंद्र से धन की स्थिति , बुध से शरीर , माता और हर प्रकार की संपत्ति , मंगल से लाभ और रोग , ऋण , शत्रु जैसे झंझट , शुक्र से घर गृहस्थी , खर्च और बाहरी संदर्भ , सूर्य से भाई बंधु , बृहस्पति से पिता , पद प्रतिष्ठा का वातावरण और घर गृहस्थी तथा शनि से भाग्य और जीवन शैली से संबंधित मामले देखे जाते हैं।
कर्क लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्र से स्वास्थ्य , बुध से भाई बंधु और खर्च , मंगल से पिता , पद प्रतिष्ठा , बुद्धि ज्ञान और संतान , शुक्र से हर प्रकार की संपत्ति और लाभ , सूर्य से धन , बृहस्पति से हर प्रकार के झंझट और भाग्य तथा शनि से घर गृहस्थी और जीवनशैली की स्िथति देखी जाती है।
सिंह लग्नवाले की जन्मकुंडली में चंद्र से खर्च और बाहरी संदर्भों , बुध से धन और लाभ, मंगल से हर प्रकार की संपत्ति और भाग्य की स्थिति , शुक्र से भाई बंधु और पद प्रतिष्ठा , सूर्य से स्वास्थ्य , बृहस्पति से संतान , बुद्धि ज्ञान और जीवन शैली तथा शनि से घर गृहस्थी का वातावरण देखा जाता है।
कन्या लग्न वालें की जन्मकुंडली में चंद्र से लाभ , बुध से शरीर , व्यक्तित्व , पिता , समाज और पद प्रतिष्ठा , मंगल से भाई बंधु और जीवनशैली , शुक्र से धन और भाग्य , सूर्य से खर्च और बाहरी संदर्भ , बृहस्पति से माता , हर प्रकार की संपत्ति और घर गृहस्थी तथा शनि से बुद्धिज्ञान , संतान और प्रभाव की स्थिति देखी जाती है।
वृश्चिक लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्र से भाग्य , बुध से लाभ और जीवनशैली , मंगल से स्वास्थ्य और प्रभाव , शुक्र से घर गृहस्थी और जीवनशैली , सूर्य से पद प्रतिष्ठा का वातावरण , बृहस्पति से धन , बुद्धि और संतान पक्ष तथा शनि से भाई बंधु , माता और हर प्रकार की संपत्ति देखे जाते हैं।
धनु लग्नवालों की जन्मकुंडलीमें चंद्र से जीवनशैली , बुध से घर गृहस्थी , पिता और प्रतिष्ठा का वातावरण , मंगल से बुद्धि ज्ञान , संतान , खर्च और बाह्य संदर्भ , शुक्र से लाभ और झंझट , सूर्य से भाग्य , बृहस्पति से स्वास्थ्य , माता , हर प्रकार की संपत्ति तथा शनि से भाई बंधु और धन की स्थिति देखी जाती है।
मकर लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्र से घर गृहस्थी , बुध से भाग्य और प्रभाव , मंगल से हर प्रकार की छोटी बडी संपत्ति और लाभ , शुक्र से बंद्धि ज्ञान , संतान , पिता और पद प्रतिष्ठा , सूर्य से जीवनशैली , बृहस्पति से भाई बंधु , खर्च और बाह्य संदर्भ तथा शनि से स्वास्थ्य और धन की स्थिति देखी जाती है।
कुंभ लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्र से झंझट , बुध से बुद्धि , ज्ञान , संतान , जीवनशैली , मंगल से भाई बंधु ,िपता और पद प्रतिष्ठा का वातवरण , शुक्र से भाग्य और हर प्रकार की छोटी बडी अचल संपत्ति , सूर्य से घर गृहस्थी का वातावरण , बृहस्पति से धन और लाभ की स्थिति तथा शनि से स्वास्थ्य और खर्च की स्थिति देखी जाती है।
इसी प्रकार मीन लग्न की जन्मकुंडली में चंद्र से बुद्धि ज्ञान और संतान की स्थिति , बुध से माता , हर प्रकार की संपत्ति और घर गृहस्थी की स्थिति , मंगल से धन और भाग्य की स्थिति , शुक्र से भाई बंधु और जीवन की स्थिति , सूर्य से हर प्रकार के झंझट , बृहस्पति से स्वास्थ्य , पिता और पद प्रतिष्ठा की स्थिति तथा शनि से लाभ और खर्च की स्थिति का आकलन किया जाता है।
विभिन्न संदर्भों की परिस्थितियों के निर्माण में उस भाव के स्वामी , जिसकी चर्चा ऊपर हुई है , की मुख्य भूमिका होने के अलावे उस भाव में मौजूद ग्रहों की भी आंशिक भूमिका होती है , इसलिए उनकी शक्ति का भी अध्ययन किया जाना आवश्यक होता है। इसलिए जन्मकुंडली के किसी भाव को समझने के लिए उस भाव के स्वामी और वहां स्थित ग्रहों पर नजर रखनी चाहिए , बाकी ग्रहों की भूमिका उसके बाद ही होती है।
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