किसी जन्मकुंडली में किस किस खाने से क्या क्या देखा जाता है ??
जन्मकुंडली में जितने भी खाने होते हैं , वे मनुष्य के जीवन के एक एक पक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं। किस खाने में कौन सा नंबर लिखा है और किस खाने में कौन से ग्रह बैठे हैं , इसपर पहले ध्यान देने की कोई आवश्यकता नहीं , लग्न वाले खाने को पहला और उसके बाद के खाने की ओर बढते हुए हर खाने को क्रमश: दूसरा , तीसरा , चौथा भाव समझते हुए आगे बढते जाए। आप पाएंगे कि लग्नवाले खाने से सटा दाहिने ओर का खाना बारहवां भाव होगा। ये बारहो भाव क्रमश: व्यक्तित्व , संसाधन , शक्ति , स्थायित्व , ज्ञान , झंझट , गृहस्थी , जीवनशैली , भाग्य , सामाजिकता , लाभ और खर्च से संबंधित होते हैं। किसी की जन्मकुंडली देखकर उनके इन संदर्भों को जानने के लिए इन भावों को समझते हुए इसमें स्थित अंकों और ग्रहों को देखने की आवश्यकता होती है।
विभिन्न भावों में लिखे अंक के स्वामी ग्रह जातक के उस पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले होते हैं। जैसे मेष लग्नवालों के लिए शरीर और जीवन का स्वामी मंगल( क्यूंकि मंगल मेष और बृश्चिक राशि का स्वामी है) , धन और गृहस्थी का स्वामी शुक्र( क्यूंकि शुक्र वृष और तुला राशि का स्वामी है) , भाई और झंझट का स्वामी बुध( क्यूंकि बुध मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है) , स्थायित्व का स्वामी चंद्रमा( क्यूंकि चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी है) , ज्ञान का स्वामी सूर्य( क्यूंकि सूर्य सिंह राशि का स्वामी है) , भाग्य और खर्च का स्वामी बृहस्पति( क्यूंकि बृहस्पति धनु और मीन राशि का स्वामी है) तथा प्रतिष्ठा और लाभ का स्वामी शनि( क्यूंकि शनि मकर और कुभ राशि का स्वामी है) होता है। इसलिए जातक के उन पक्षों की भविष्यवाणी करने के लिए मुख्यत: इन्हीं ग्रहों की शक्ति को देखना आवश्यक होता है। चूंकि पूर्वी क्षितिज में परिवर्तन होता रहता है और हर वक्त अलग अलग लग्न का उदय होता है , इसलिए दूसरे लग्नवालों की कुडलियों में सभी संदर्भों को प्रभावित करने वाले ग्रह बदल जाते हैं। इसके अलावे संबंधित भाव में जो ग्रह होते हैं , वे भी उन संदर्भों में खास प्रकार के वातावरण को बनाने में सहायक होते हैं। तो जातक की जन्मकुंडली के हिसाब से विभिन्न पक्षों का आकलन करने के लिए हमें उस भाव के स्वामी ग्रह के अतिरिक्त उसमें स्थित ग्रहों को भी ध्यान में रखना पडता है।
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