एक जन्मकुंडली को देखकर हम जातक के बारे में क्या क्या कह सकते हैं ??
किसी के जन्मांग चक्र या जन्मकुंडली को देखने से हमें जातक के बारे में बहुत जानकारियां मिल जाती है , ये रही एक व्यक्ति की जन्मकुंडली ...
- जन्मुकंडली में सबसे ऊपर मौजूद अंक हमें जातक के लग्न की जानकारी देता है , इस कुंडली में 5 अंक सिंह राशि का सूचक है , इसलिए जन्म लग्न सिंह हुआ , इसका अर्थ यह है कि जातक का जन्म उस वक्त हुआ , जब आसमान में 120 डिग्री से 150 डिग्री का उदय हो रहा था , जो भचक्र की पांचवी राशि है।
- चंद्रमा 9 अंक में मौजूद है , इसलिए चंद्रराशि धनु हुई।
- सूर्य 1 अंक में मौजूद है , इसलिए सूर्य राशि मेष हुई।
- सूर्य 1 अंक में है , इसका अर्थ यह भी है कि जातक का जन्म 15 अप्रैल से 15 मई के मध्य हुआ है।
- लग्न से चौथे खाने में मौजूद सूर्य से हमें यह जानकारी मिल रही है कि जातक का जन्म दोपहर बाद लगभग दो तीन बजे हुआ होगा।
- सूर्य से पहले चंद्र की स्थिति होने से हमें जानकारी मिल रही है कि जातक का जन्म कृष्ण पक्ष में हुआ है।
- सूर्य से चार खाने चंद्रमा की स्थिति से मालूम हो रहा है कि जातक का जनम षष्ठी के आसपास का है।
- अभी शनि कन्या राशि में यानि 6 अंक में चल रहा है , जबकि जन्मकुंडली में 12 अंक में शनि है। इसका अर्थ यह है कि शनि ने अपना आधा या डेढ या ढाई या साढे तीन चक्र पूरा किया है। इस हिसाब से जातक का जन्म लगभग 15 वर्ष या 45 वर्ष या 75 वर्ष पहले हुआ होगा।
- अभी बृहस्पति मीन राशि में यानि 12 अंक में चल रहा है , जबकि जन्मकुंडली में बृहस्पति 4 अंक में है। इसका अर्थ यह है कि जातक का जन्म लगभग 8 या 20 या 32 या 44 या 56 या 68 या 80 वर्ष पहले हुआ है।
- शनि और बृहस्पति दोनो की संभावना 44 के आसपास बनती है , इस हिसाब से जातक की उम्र 44 के आसपास होने का पता चल जाता है।
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