शनि को एक एक राशि पार करने में ढाई वर्ष लगते हैं !!
सौरमंडल में सबसे अधिक दूरी पर स्थित ग्रह शनि को एक एक राशि पार करने में ढाई ढाई वर्ष लगते हैं और इस तरह वह लगभग 30 वर्षों में सभी राशियों की परिक्रमा कर लेता है। पिछले वर्ष यानि 2009 से शनि कन्या राशि में भ्रमण कर रहा है और 2011 के नवंबर में तुला राशि में चला जाएगा। इसी प्रकार लगभग ढाई ढाई वर्ष एक एक राशि में रहते हुए 2038 के आसपास पुन: कन्या राशि में चलेगा। जन्मकुंडली में शनि की स्थिति को देखकर जातक के जन्म के बारे में कुछ कह पाना मुश्किल है। हां , बृहस्पति की तरह यहां भी आप कुछ अंदाजा लगा कर आप एक निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं।
चूंकि आज शनि कन्या राशि में एक वर्ष तक चल चुका है , यदि किसी की जन्मकुंडली में 6 अंक में ही शनि है तो आप समझ सकते हैं कि जातक 30 , 60 या 90 के आसपास की उम्र का है और क्रमश: एक एक राशि को पार करता हुआ पूरा चक्र पार कर यहां तक आ चुका है। इसी प्रकार यदि शनि 5 अंक में हो , तो आप समझ सकते हैं कि जातक ने 3 , 33 ,63 या 93 वर्ष के लगभग पहले जन्म लिया है। इसी प्रकार शनि 4 अंक में हो , तो आप समझ सकते हैं कि जातक ने 6 , 36 , 66 , 96 वर्ष पहले जन्म लिया था। किसी के जन्म वर्ष को जानने के लिए शनि के अलावे उसकी जन्मकुंडली के बृहस्पति का भी सहारा लिया जा सकता है।
महीने की जानकारी में सूर्य की स्थिति मदद कर ही देती है और जन्मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति से आप तिथि तक पहुंच सकते हैं। इस क्षेत्र में जैसे जैसे अभ्यास बढता जाता है , सिर्फ जन्मकुंडली देखकर जातक के जन्म के बारे में सबकुछ जानने समझने में मदद मिलती जाती है। और इस तरह जन्मकुंडली नाम के इस छोटे से चक्र से न सिर्फ बालक की उम्र का पता चलता है , वरन् उसके जन्म के समय की आकाशीय स्थिति , उसके जन्म का महीना, तिथि , प्रहर सबकुछ की जानकारी हमें मिल जाती है , ज्योतिष जैसे विषय में प्राचीनकाल की इतनी अच्छी व्यवस्था को देखकर आज भी मुझे बडी हैरत होती है।
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