जन जन तक ज्योतिष के ज्ञान को ले जाने का प्रयास - 4
कल के आलेख से हमें जानकारी मिली कि आसमान के गोलाकार 360 डिग्री के 12 भाग कर 12 राशियां बना दी गयी है। अभी तक तो आपको इनके नाम भी याद हो गए होंगे। जन्मकुंडली में जिस खाने में 1 लिखा होता है , वह मेष राशि का प्रतिनिधित्व करता है , जहां 2 लिखा होता है , वह वृष राशि का प्रतिनिधित्व करता है , इसी प्रकार जिस खाने में 3 लिखा हो , वह मिथुन , जिस खाने में 4 लिखा हो , वह कर्क , जिस खाने में 5 लिखा हो , वो सिंह , जिस खाने में 6 लिखा हो , वो कन्या , जिस खाने में 7 लिखा हो , वह तुला , जिस खाने में 8 लिखा हो , वह वृश्चिक ,जहां 9 लिखा हो , वह धनु , जहां 10 लिखा हो , वह मकर , जहां 11 लिखा हो , वह कुंभ तथा जहां 12 लिखा हो , वह खाना मीन राशि का प्रतिनिधित्व करता है। पृथ्वी के सापेक्ष सभी ग्रह इन्हीं 12 राशियों में घडी के कांटो की दिश्श में घूमते हुए दिखाई देते हैं ।
चूंकि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली उसके जन्म के समय आसमान के बारहो राशियों और सभी ग्रहों की स्थिति को दिखलाती है , इसलिए उसमें बारहो राशियों और सारे ग्रहों का उल्लेख होगा ही। जन्मकुंडली में सभी ग्रहों को एक एक अक्षर में लिखा जाता है। सूर्य के लिए सू , चंद्रमा के लिए चं , बुध के लिए बु , मंगल के लिए मं , शुक्र के लिए शु , बृहस्पति के लिए बृ , शनि के लिए श , राहू के लिए रा और केतु के लिए के का प्रयोग किया जाता है। इसलिए जन्मकुंडली में बारह खाने के रूप में सभी राशियां तथा किसी न किसी राशि में संक्षिप्त रूप में नवों ग्रह दिखाई देंगे। जन्मकुंडली में जिस राशि में सूर्य हो , वह व्यक्ति की सूर्य राशि तथा जिस राशि में चंद्र हो , वह व्यक्ति की चंद्र राशि होगी । किसी व्यक्ति के लग्नराशि को जानने के लिए कुंडली चक्र को सीधा रखकर उसके सबसे ऊपर मध्य खाने में लिखे अंक को देखना चाहिए।
संलग्न चित्र से यह स्पष्ट हो जाएगा कि किसी की जन्मकुंडली में स्थित मध्य विंदू हमारी पृथ्वी होती है , सबसे ऊपर में मध्य का खाना बालक के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज को दर्शाता है , इसलिए उसमें लिखे अंक वाली राशि ही बालक की लग्नराशि होती है। इसके अलावे सबसे नीचे का खाना बालक के जन्म के समय पश्चिमी क्षितिज को दर्शाता है । दायीं ओर का खाना जातक की ओर के मध्य आकाश तथा तथा बायीं ओर का खाना पृथ्वी के उल्टी ओर के मध्य आकाश को दर्शाता है। इसलिए जन्मकुंडली में सबसे ऊपर के मध्य वाले खाने में कोई ग्रह दिखाई दें , तो समझना चाहिए कि उस ग्रह का उदय भी बच्चे के जन्म के साथ ही हो रहा था। इसी प्रकार सबसे नीचे के खाने में कोई ग्रह हो , तो समझना चाहिए कि वह ग्रह बच्चे के जन्म के समय पश्चिमी क्षितिज पर चमकते हुए अस्त होने को था। इसी प्रकार अन्य खानों और उनमें स्थित राशियों का भी अर्थ लगाया जा सकता है।
चूंकि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली उसके जन्म के समय आसमान के बारहो राशियों और सभी ग्रहों की स्थिति को दिखलाती है , इसलिए उसमें बारहो राशियों और सारे ग्रहों का उल्लेख होगा ही। जन्मकुंडली में सभी ग्रहों को एक एक अक्षर में लिखा जाता है। सूर्य के लिए सू , चंद्रमा के लिए चं , बुध के लिए बु , मंगल के लिए मं , शुक्र के लिए शु , बृहस्पति के लिए बृ , शनि के लिए श , राहू के लिए रा और केतु के लिए के का प्रयोग किया जाता है। इसलिए जन्मकुंडली में बारह खाने के रूप में सभी राशियां तथा किसी न किसी राशि में संक्षिप्त रूप में नवों ग्रह दिखाई देंगे। जन्मकुंडली में जिस राशि में सूर्य हो , वह व्यक्ति की सूर्य राशि तथा जिस राशि में चंद्र हो , वह व्यक्ति की चंद्र राशि होगी । किसी व्यक्ति के लग्नराशि को जानने के लिए कुंडली चक्र को सीधा रखकर उसके सबसे ऊपर मध्य खाने में लिखे अंक को देखना चाहिए।
संलग्न चित्र से यह स्पष्ट हो जाएगा कि किसी की जन्मकुंडली में स्थित मध्य विंदू हमारी पृथ्वी होती है , सबसे ऊपर में मध्य का खाना बालक के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज को दर्शाता है , इसलिए उसमें लिखे अंक वाली राशि ही बालक की लग्नराशि होती है। इसके अलावे सबसे नीचे का खाना बालक के जन्म के समय पश्चिमी क्षितिज को दर्शाता है । दायीं ओर का खाना जातक की ओर के मध्य आकाश तथा तथा बायीं ओर का खाना पृथ्वी के उल्टी ओर के मध्य आकाश को दर्शाता है। इसलिए जन्मकुंडली में सबसे ऊपर के मध्य वाले खाने में कोई ग्रह दिखाई दें , तो समझना चाहिए कि उस ग्रह का उदय भी बच्चे के जन्म के साथ ही हो रहा था। इसी प्रकार सबसे नीचे के खाने में कोई ग्रह हो , तो समझना चाहिए कि वह ग्रह बच्चे के जन्म के समय पश्चिमी क्षितिज पर चमकते हुए अस्त होने को था। इसी प्रकार अन्य खानों और उनमें स्थित राशियों का भी अर्थ लगाया जा सकता है।
अभी तक की ज्योतिषीय जानकारी के बाद पाठकों से यह अपेक्षा रखूंगी कि वो बताएं कि ऊपर दिए गए जन्मकुंडली के अनुसार जातक की लग्न राशि , सूर्य राशि या चंद्र राशि क्या होगी , उसके जन्म के समय कौन से ग्रह उदय हो रहे थे , कौन से अस्त हो रहे थे और कौन से ग्रह मध्य आकाश में चमक रहे थे।
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