जन जन तक ज्योतिष के ज्ञान को पहुंचाने का प्रयास - 5
एक सूर्य को ही लें , पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण सूर्य 24 घंटे में पृथ्वी का पूरा चक्कर लगाता दिखता है। जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिति को देखते हुए आप आकलन कर सकते हैं कि उक्त बच्चे का जन्म किस वक्त हुआ है । पिछले दिन दिए गए चार्ट में सूर्य लग्नराशि वाले खाने में था , जो पूरब की दिशा का द्योतक होता है। इसका अर्थ यह है कि बालक के जन्म के समय सूर्य पूरब दिशा में था , पूरब दिशा में सूर्य सवेरे होता है , इसलिए बालक का जन्म सवरे यानि सूर्योदय के आसपास हुआ है। अब कुंडली में यहां से सूर्य जैसे जैसे एक एक खाने सरकता जाएगा , जातक का जन्म समय में सूर्योदय से दो दो घंटे का अंतर होता जाएगा । मध्य आकाश वाली राशि पर सूर्य के होने का अर्थ है कि जातक का जन्म दोपहर के आसपास हुआ है। पुन: कुंडली में उससे आगे एक एक राशि में सूर्य के बढने का अर्थ है कि बालक का जन्म दोपहर के दो घंटे बाद या चार घंटे बाद हुआ है। इसी प्रकार पश्चिमी क्षितिज की राशि में सूर्य के होने का अर्थ है कि बालक का जन्म सूर्यास्त का है , जबकि विपरीत दिशा के आकाश की ओर सूर्य के होने का अर्थ है कि बालक का जन्म मध्य रात्रि का है।
इस चित्र के माध्यम से अच्छी तरह समझाया गया है कि जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिति को देखकर आकलन किया जा सके कि उसका जन्म किस वक्त हुआ था। ज्योतिषी भले ही पंचांगों को देखकर जन्मकुंडली बना लेते हो , यह सामान्य जानकारी उनमें से भी बहुतों को नहीं मालूम होती है। आनेवाले समय में किसी कुंडली के चक्र को देखकर ही आप बता सकते हैं कि जिसकी कुंडली है , उसका जन्म किस बेला में हुआ था। है न आम व्यक्ति के लिए बहुत रोचक जानकारी ??
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