हिंदी कैलेण्डर के माह के नाम नक्षत्रों के नाम पर होते हैं !!
पर इसके अलावे पंचांग में एक और कैलेण्डर होता है , इसका आधार पृथ्वी की वार्षिक गति नहीं होती है। हिंदी कैलेण्डर में वर्ष की गणना न कर पहले महीने की गणना शुरू की जाती है। हिंदी के कैलेण्डर में पूर्णिमा के दूसरे दिन से लेकर अगले माह की पूर्णिमा तक एक माह पूरा होता है। इस प्रकार 12 माह होने पर एक वर्ष पूरा होता मान लिया जाता है। हिंदी महीनों के नाम हैं .. चैत्र , बैशाख , ज्येष्ठ , आषाढ , श्रावण , भाद्रपद , आश्विन , कार्तिक , मार्गशीर्ष , पौष , माघ , फाल्गुन। एक पूर्णिमा से दूसरे पूर्णिमा तक का समय लगभग 29 दिन कुछ घंटों का होता है , इसी कारण हिंदी वर्ष 354 दिनों में ही समाप्त हो जाता है और नए वर्ष की शुरूआत हो जाती है। इसलिए तीन वर्ष बाद सौरवर्ष की तुलना में समय एक माह पीछे चलने लगता है। इसके समायोजन के लिए पंचांगों में हर तीसरे वर्ष एक अधिमास की व्यवस्था रखी गयी है।
वैसे तो सामान्य तौर पर 15 मार्च के आसपास से हिंदी वर्ष की शुरूआत होती है , जिस समय सूर्य मीन राशि में होता है , इसलिए चैत्र माह का अमावस्या मीन राशि में और पूर्णिमा कन्या राशि में होना चाहिए। इसी प्रकार बैशाख माह का अमावस्या मेष राशि में और पूर्णिमा तुला राशि में होना चाहिए , पुन: क्रम से ज्येष्ठ माह का अमावस्या वृष राशि में और पूर्णिमा वृश्चिक राशि में , आषाढ मास का अमावस्या मिथुन राशि में और पूर्णिमा धनु राशि में , श्रावण माह का अमावस्या कर्क राशि में और पूर्णिमा मकर राशि में , भाद्रपद का अमावस्या सिंह और पूर्णिमा कुंभ राशि में , आश्विन का अमावस्या कन्या और पूर्णिमा मीन राशि में , कार्तिक का अमावस्या तुला और पूर्णिमा मेष राशि में , मार्गशीर्ष का अमावस्या वृश्चिक और पूर्णिमा वृष राशि में , पौष का अमावस्या धनु और पूर्णिमा मिथुन राशि में , माघ का अमावस्या मकर और पूर्णिमा कर्क राशि में तथा फाल्गुन का अमावस्या कुंभ और पूर्णिमा सिंह राशि में होना चाहिए।
पर सौरवर्ष की तुलना में चंद्रवर्ष के पीछे खिसकते जाने से हिंदी कैलेण्डर का माह इस तरह निश्चित नहीं रह पाता है। दरअसल हिंदी माह की गणना नक्षत्रों के हिसाब से की जाती है , जिस महीने पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में पडे , वहां चैत्र का महीना , जिस महीने पूर्णिमा बिशाखा नक्षत्र में पडे , बैशाख का महीना , जिस महीने पूर्णिमा ज्येष्ठा नक्षत्र में पडे , ज्येष्ठ महीना , जिस महीने पूर्णिमा पूर्वाषाढा नक्षत्र में पडे , आषाढ का महीना , जिस महीने पूर्णिमा श्रवण नक्षत्र में पडे , श्रावण का महीना , जिस महीने पूर्वभा्रद्रपद नक्षत्र में पडे , भाद्रपद का महीना , जिस महीने पूर्णिमा अश्विनी नक्षत्र में पडे , उस महीने आश्विन का महीना , जिस महीने पूर्णिमा कृतिका नक्षत्र में पडे , कार्तिक का महीना , जिस महीने पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र में पडे , माघ का महीना , जिस महीने पूर्णिमा पुष्य नक्षत्र में पडे , पोष का महीना तथा जिस महीने पूर्णिमा फाल्गुनी नक्षत्र में पडे , उसे फाल्गुन का महीना माना जाता है।
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