Sunday, September 20, 2015

Basic of market investment

शेयर बाजार फाइनैंशल वर्ल्ड का सबसे दुलारा शब्द है और साथ
ही रहस्यमय भी। कुछ लोग इसे जुआ मानते हैं तो कुछ लीगल तरीके
से अतिरिक्त आमदनी करने का एक बेहतरीन जरिया। वहीं, कुछ
ऐसे भी लोग है जो शेयर बाजार को ही अपनी आजीविका का
मुख्य जरिया बना लेते हैं। आप चाहे इनमें जिस भी कैटिगरी में
आते हों, आपको यह समझ लेना होगा कि दलाल स्ट्रीट के
ट्रैफिक के भी अपने कुछ नियम हैं और अगर आपने इनकी अनदेखी
की, तो फिर आपको महंगी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
दलाल स्ट्रीट पर फर्राटा भरने से पहले आपको इसका ककहरा
समझना होगा। शेयर बाजार के दो शॉपिंग सेंटर हैं, नैशनल स्टॉक
एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई)। ये दोनों
शॉपिंग सेंटर मुंबई में हैं। हालांकि बीएसई की उम्र सौ साल से
ज्यादा हो चुकी है और एनएसई की शुरुआत सिर्फ दो दशक पहले
1991 में हुई, लेकिन आज एनएसई मार्केट कैपिटलाइजेशन के
लिहाज से देश का सबसे बड़ा और दुनिया का 11वां सबसे बड़ा
एक्सचेंज बन चुका है। मार्केट कैपिटलाइजेशन खरीद-बिक्री के
लिए बाजार में मौजूद किसी कंपनी के शेयरों और उनकी कीमत
को मल्टीप्लाई कर हासिल किया जाता है।
शेयर मतलब हिस्सेदारी
शेयर दरअसल किसी कंपनी का सबसे छोटा यूनिट होता है और
इसे खरीदने का मतलब सीधे उस कंपनी का हिस्सा खरीदना
होता है। जैसे, अगर किसी कंपनी के 1 करोड़ शेयर बाजार में हैं
और आपने उसके 1 लाख शेयर खरीद लिए तो इसका मतलब यह
होगा कि आप उस कंपनी के 1 फीसदी हिस्से के मालिक हो
गए।
डिविडेंड पर मिलेगा हक
सवाल यह है कि अगर आप किसी कंपनी के 1 फीसदी हिस्से के
मालिक हैं, तो इससे आपको क्या मिलेगा? दरअसल किसी भी
कंपनी को जो मुनाफा होता है, उसमें से अपनी ग्रोथ के लिए
जरूरी रकम निकाल कर बाकी वह अपने शेयरहोल्डर्स
(हिस्सेदारों) में बांट देती है। इसे डिविडेंड कहते हैं। यह डिविडेंड
हर शेयर के हिसाब से मिलता है। तो अगर हर शेयर पर आपको 2
रुपये का डिविडेंड मिल रहा है और आपके पास 1 लाख शेयर हैं,
तो आपको 2 लाख रुपये मिलेंगे।
डिविडेंड की मलाई कितनी बार
कुछ कंपनियां अपने तिमाही नतीजों के समय ही डिविडेंड
घोषित करती हैं। वहीं कुछ सालाना नतीजों के समय इनका
ऐलान करती हैं। साल के बीच में दिए गए डिविडेंड इंटरिम
(अंतरिम) कहलाते हैं, जबकि साल के आखिर में मिलने वाला
डिविडेंड फाइनल कहा जाता है। लेकिन यहां यह बात ध्यान
रखने लायक है कि डिविडेंड देना किसी कंपनी की मर्जी पर
निर्भर करता है। इसलिए अगर आप डिविडेंड को ध्यान में रखते हुए
किसी कंपनी के शेयर खरीद रहे हों, तो उसका इतिहास जरूर देख
लें कि उसने इससे पहले डिविडेंड दिया है कि नहीं।
डिविडेंड यील्ड का गणित
कोई कंपनी कितना डिविडेंड देती है, इसे समझने के लिए
डिविडेंड यील्ड का इस्तेमाल किया जाता है। कोई कंपनी हर
शेयर पर 10 रुपये डिविडेंड देती है और उसकी कीमत 200 रुपये है।
वहीं दूसरी कंपनी 7 रुपये डिविडेंड देती है, जबकि उसकी कीमत
100 रुपये है। किसी शेयर का डिविडेंड यील्ड वह रकम होती है,
जो उस शेयर के हर 100 रुपये पर डिविडेंड के तौर पर हासिल
होती है। इसीलिए इसे फीसदी के तौर पर समझा जाता है। ऊपर
के उदाहरण में पहले शेयर का डिविडेंड यील्ड 5 फीसदी है,
जबकि दूसरे का 7 फीसदी। यानी डिविंडेड के लिहाज से
दूसरी कंपनी के शेयरों की खरीद बेहतर है।
डिविडेंड के अलावा क्या?
अगर कोई कंपनी डिविडेंड देती ही नहीं हो, तो फिर उसके शेयर
क्यों खरीदें? इसका जवाब उस शेयर की कीमत है, जो लगातार
बढ़ती-घटती रहती है। अगर आपने कोई शेयर 100 रुपये का खरीदा
हो और उसकी कीमत बढ़कर 120 रुपये हो जाए तो आप उसे बेचकर
20 रुपये का सीधा मुनाफा कमा सकते हैं। यानी डिविडेंड के
अलावा किसी कंपनी के शेयर खरीदने का मकसद उसके दाम में
आने वाली बढ़त का फायदा उठाना है।
बढ़त की भविष्यवाणी कैसे
यही वह सवाल है जहां बहुत लोग शेयर बाजार को जुए के बराबर
मानते हैं। क्या यह संभव है कि किसी कंपनी के शेयर का भाव
गिरने या बढ़ने की भविष्यवाणी पहले से ही की जा सके? क्या
इस भविष्यवाणी का कोई साइंटिफिक आधार है? इसे समझने के
लिए पहले यह समझना होगा कि किसी कंपनी के शेयरों का
भाव कैसे तय होता है।
प्राइस-अर्निंग रेशो (पीई)
प्राइस-अर्निंग रेशो या पीई का मतलब होता है कि किसी
शेयर की कीमत कितने बरसों में वसूल हो जाएगी। यानी किसी
शेयर का दाम 200 रुपये है और पीई 5 तो इसका मतलब है कि इतने
ही साल में आपकी पूरी लागत वसूल हो जाएगी। इसको ऐसे भी
समझ सकते हैं कि किसी कंपनी की प्रति शेयर सालाना
आमदनी 40 रुपये हो और कीमत 200 रुपये, तो पीई 5 होगा। यह
पीई तय करने का कोई निश्चित फॉर्म्युला नहीं है। इसे बाजार
उस शेयर, उसके सेक्टर और इतिहास के आधार पर तय करता है।
मसलन किसी एक सेक्टर को ऐतिहासिक तौर पर 10 का पीई
मिल रहा हो सकता है, जबकि किसी दूसरे सेक्टर के लिए यह
पीई 15 का हो सकता है।
किसी सेक्टर को ज्यादा या कम पीई मिलना इस बात पर
निर्भर करता है कि उस सेक्टर की सालाना ग्रोथ रेट क्या है?
मसलन अगर दो सेक्टरों में से एक की ग्रोथ रेट 10 फीसदी
सालाना और दूसरे की 15 फीसदी है, तो मार्केट में दूसरे सेक्टर
के शेयरों की वैल्यू हमेशा ज्यादा होगी। आप आईटी सेक्टर में
इंफोसिस के शेयर खरीदना चाहते हैं। आप कैसे पता लगाएंगे कि
2800 रुपये के मौजूदा भाव पर यह महंगा है या सस्ता। इस भाव पर
इंफोसिस का पीई 16.8 है, लेकिन आईटी इंडस्ट्री का एवरेज
पीई फिलहाल 20.5 है। तो इस लिहाज से आप यह मान सकते हैं
कि इंफोसिस के शेयर अभी सस्ते हैं। लेकिन यह निष्कर्ष
निकालना थोड़ी जल्दी होगी। आपको यह भी देखना होगा
कि मौजूदा फाइनैंशल ईयर में आईटी इंडस्ट्री और इंफोसिस की
ग्रोथ रेट क्या है? इंफोसिस के शेयरों को सस्ता केवल तभी
माना जा सकता है जब उसकी ग्रोथ रेट या तो आईटी सेक्टर के
बराबर हो या फिर उससे ज्यादा।
शेयरों के वैल्यूएशन का प्रोसेस समझने के बाद आप यह बखूबी समझ
सकते हैं कि कोई शेयर इस समय सस्ता है या महंगा। अगर शेयर
सस्ता है, तो उसकी खरीद कर मुनाफा कमाने को वैल्यू बाईंग
कहते हैं। लेकिन कई बार महंगे शेयर खरीद कर भी मुनाफा कमाया
जा सकता है। या कई बार सस्ते शेयरों की खरीद भी आपको
नुकसान का झटका दे सकती है।

Saturday, September 12, 2015

Awesomesauce! 30 new words added to Oxford dictionary

Here is our list of some really cool words from the latest
update.
Awesomesauce (adj): Extremely good
Beer o' clock (n): The best time of day to drink beer
Brain fart (n): A temporary mental lapse to reason correctly
Bitch face (n): (With reference to a woman) a scowling
facial expression
Bruh (n): A male friend
Butt dial (v): Inadvertently dial someone on a mobile phone
that is in one's rear trouser pocket
Butthurt (adj): Overly offended
Bants (n): Playfully teasing
Cate cafe (n): A cafe where people pay to interact with cats
housed on the premises
Fat-shame (v): Cause (someone judged to be fat or
overweight) to feel humiliated by making mocking or critical
comments about their size
Fatberg (n): A very large mass of solid waste in a sewerage
system, consisting especially of congealed fat and personal
hygiene products that have been flushed down toilets
Fur baby (n): A person's dog, cat, or other furry pet animal
Glanceable (adj): Denoting or relating to information,
especially as displayed on an electronic screen, that can be
read or understood very quickly and easily
Hangry (adj): Bad-tempered or irritable as a result of hunger
Manspreading (n): The practice whereby a man, especially
one travelling on public transport, adopts a sitting position
with his legs wide apart, in such a way as to encroach on an
adjacent seat or seats

Manic pixie dream girl (n): A type of female character
depicted as vivacious and appealingly quirky, whose main
purpose within the narrative is to inspire a greater
appreciation for life in a male protagonist
Mecha (n): (In anime, manga, etc) a large armoured robot,
typically controlled by a person riding inside the robot itself
Mic drop (n): (Informal, chiefly US) an instance of
deliberately dropping or tossing aside one's microphone at
the end of a performance or speech one considers to have
been particularly impressive
Mx (n): A title used before a person's surname or full name
by those who wish to avoid specifying their gender or by
those who prefer not to identify themselves as male or
female
NBD (abbrev): No big deal
Pwnage (n): (Especially in video gaming) the action or fact
of utterly defeating an opponent or rival
Rage-quit (v): Angrily abandon an activity or pursuit that
has become frustrating, especially the playing of a video
game
Rly (abbrev): Really
Skippable (adj): (of a part or feature of something) able to
be omitted or passed over so as to get to the next part or
feature
Social Justice Warrior or SJW (n): (Derogatory) A person
who expresses or promotes socially progressive views
Snackable (adj): (of online content) designed to be read,
viewed, or otherwise engaged with briefly and easily
Spear phishing (n): The fraudulent practice of sending e-
mails ostensibly from a known or trusted sender in order to
induce targeted individuals to reveal confidential
information
Swatting (n): The action or practice of making a hoax call to
the emergency services in an attempt to bring about the
dispatch of a large number of armed police officers to a
particular address
Wine o' clock (n): An appropriate time of day for starting to
drink wine
Weak sauce (n): Something that is of a poor or
disappointing standard or quality

कुछ दोहे ज्ञान के

''उमा राम गुन गूढ़ पंडित मुनि पावहिं बिरति।
पावहिं मोह बिमूढ़ जे हरि बिमुख न धर्म रति।।
प्रभु शिव माता पार्वती से कहते हैं,,,,
''हे पार्वती ! श्री राम जी के गुण गूढ़ हैं,पंडित और मुनि उन्हें समझ
कर वैराग्य
प्राप्त करते हैं।
परन्तु जो भगवान से विमुख हैं और जिनका धर्म में प्रेम नही है,वे
महा मूढ़ उन्हें
सुनकर मोह को प्राप्त होते हैं।''
जयंत को प्रभु राम के चरणों में ही मिला शरण
पुर नर भरत प्रीति मैं गाई।
मति अनुरूप अनूप सुहाई।।
अब प्रभु चरित सुनहु अति पावन।
करत जे बन सुर नर मुनि भावन।।
एक बार चुनि कुसुम सुहाए।
निज कर भूषन राम बनाए।।
सीतहि पहिराए प्रभु सादर।
बैठे फटिक सिला पर सुंदर।।
सुरपति सुत धरि बायस बेषा।
सठ चाहत रघुपति बल देखा।।
जिमि पिपीलिका सागर थाहा।
महा मंदमति पावन चाहा।।
सीता चरन चौंच हति भागा।
मूढ़ मंदमति कारन कागा।।
चला रुधिर रघुनायक जाना।
सींक धनुष सायक संधाना।।
दो0-अति कृपाल रघुनायक सदा दीन पर नेह।
ता सन आइ कीन्ह छलु मूरख अवगुन गेह।।
प्रेरित मंत्र ब्रह्मसर धावा।
चला भाजि बायस भय पावा।।
धरि निज रुप गयउ पितु पाहीं।
राम बिमुख राखा तेहि नाहीं।।
भा निरास उपजी मन त्रासा।
जथा चक्र भय रिषि दुर्बासा।।
ब्रह्मधाम सिवपुर सब लोका।
फिरा श्रमित ब्याकुल भय सोका।।
काहूँ बैठन कहा न ओही।
राखि को सकइ राम कर द्रोही।।
मातु मृत्यु पितु समन समाना।
सुधा होइ बिष सुनु हरिजाना।।
मित्र करइ सत रिपु कै करनी।
ता कहँ बिबुधनदी बैतरनी।।
सब जगु ताहि अनलहु ते ताता।
जो रघुबीर बिमुख सुनु भ्राता।।
नारद देखा बिकल जयंता।
लागि दया कोमल चित संता।।
पठवा तुरत राम पहिं ताही।
कहेसि पुकारि प्रनत हित पाही।।
आतुर सभय गहेसि पद जाई।
त्राहि त्राहि दयाल रघुराई।।
अतुलित बल अतुलित प्रभुताई।
मैं मतिमंद जानि नहिं पाई।।
निज कृत कर्म जनित फल पायउँ।
अब प्रभु पाहि सरन तकि आयउँ।।
सुनि कृपाल अति आरत बानी।
एकनयन करि तजा भवानी।।
माता सीता के पैर में चोंच मारकर प्रभु राम की शक्ति को
ललकारने वाले देवराज
इंद्र के पुत्र जयंत को भी अंतिम शरण राम के चरणों में ही मिली।
प्रसंग के तहत वनवास के दौरान अनुज लक्ष्मण और पत्नी सीता
के साथ प्रभु राम
को अवसर मिला तो स्फटिक शीला पर बैठ गए।
यहां वह सुंदर फूलों से माता सीता के लिए हार बना रहे थे।
इस दौरान ही विपरीत दिशा से देवराज इंद्र का मूर्ख पुत्र जयंत
कौआ का रूप धारण
कर आया।
वह भगवान राम के बल की परीक्षा लेने निकला था,जैसे महान
मंदबुद्धि चींटी सागर
का थाह पाना चाहती हो।
वह मूढ़ मंदबुद्धि इस उद्येश्य से माता सीता के पैर में चोंच मारकर
भाग गया।
सीता के पैर से खून निकलता देख राम ने जयंत का पीछा किया।
उन्होंने अनुसंधान कर सिकंडी बाण तैयार कर उसे जयंत पर छोड़ा।
प्रभु के मन्त्र से प्रेरित वह वाण जयंत के पीछे दौड़ पड़ा।
अपने असली रूप में अपने पिता इंद्र के पास पहुंचा।
इंद्र भी उसे प्रभु श्री राम के विरोधी जान कर अपने पास नही
रख पाए।
इससे घबराया जयंत ब्रह्म व शिव लोक बारी-बारी से पहुंचा
लेकिन उसे रामद्रोही जान
कहीं भी शरण नहीं मिली।
किसी ने उसे बैठने के लिए भी नही कहा।
श्री राम जी के द्रोही को कौन शरण देने का साहस कर सकता
है।
काक भुशुण्डी जी ने गरुड़ से कहा,
''श्री राम द्रोही के लिए माता मृत्यु के समान,पिता यमराज के
समान और
अमृत भी विष के समान हो जाता है।
मित्र भी सैकड़ों शत्रुओं जैसा कार्य करने लगता है।
देवनदी गंगा माता उसके लिए वैतरणी हो जाती है।
जो श्री रघुनाथ जी के विमुख होता है,समस्त जगत उसक्के लिए
अग्नि से भी
अधिक तापमय हो जाता है।''
भागते भागते जयंत की मुलाकात देवऋषि नारद से हुई।
नारद जी ने जयंत को व्याकुल देखा तो उन्हें दया आ गयी,
नारद मुनि ने जयंत से उसकी परेशानी का कारण पूछा।
सारी बात पता चलने पर देवऋषि को दया आ गयी।
संतों का चित्त कोमल होता ही है।
उन्होंने समझाया कि तुम कहीं और नहीं सीधे राम के
पास ही जाओ।
प्रभु राम बड़े दयालु हैं और तुम्हें अवश्य क्षमा कर देंगे।
देवऋषि की सलाह पर अमल करते हुए कौआ रूपी जयंत राम के पास
पहुंचता है।
आतुर भयभीत जयंत ने जाकर प्रभु श्री राम के चरण पकड लिए और
कहा,
''हे दयालु रघुनाथ जी,मेरी रक्षा कीजिये,मैं आप की शरण आया
हूँ।
आप के अतुलित सामर्थ्य,प्रभुता को मैं मंदबुद्धि नहीं समझ
पाया।
अपने कर्म से किया हुआ फल मैंने पा लिया है।
अब हे प्रभु ! मेरी रक्षा कीजिये।
इतना कह वह भगवान के चरणों में गिर विलाप करने लगा।
उसकी दीनता को देख प्रभु राम को दया आ गई।
श्री रघुनाथ जी ने उसकी अत्यंत आर्त्त वाणी सुनकर उसे
सांकेतिक रूप से
सजा देते हुए एक आँख से वेध कर छोड़ दिया।
नमामि भक्त वत्सलं। कृपालु शील कोमलं।।
भजामि ते पदांबुजं। अकामिनां स्वधामदं।।
निकाम श्याम सुंदरं। भवाम्बुनाथ मंदरं।।
प्रफुल्ल कंज लोचनं। मदादि दोष मोचनं।।
प्रलंब बाहु विक्रमं। प्रभोऽप्रमेय वैभवं।।
निषंग चाप सायकं। धरं त्रिलोक नायकं।।
दिनेश वंश मंडनं। महेश चाप खंडनं।।
मुनींद्र संत रंजनं। सुरारि वृंद भंजनं।।
मनोज वैरि वंदितं। अजादि देव सेवितं।।
विशुद्ध बोध विग्रहं। समस्त दूषणापहं।।
नमामि इंदिरा पतिं। सुखाकरं सतां गतिं।।
भजे सशक्ति सानुजं। शची पतिं प्रियानुजं।।
त्वदंघ्रि मूल ये नराः। भजंति हीन मत्सरा।।
पतंति नो भवार्णवे। वितर्क वीचि संकुले।।
विविक्त वासिनः सदा। भजंति मुक्तये मुदा।।
निरस्य इंद्रियादिकं। प्रयांति ते गतिं स्वकं।।
तमेकमभ्दुतं प्रभुं। निरीहमीश्वरं विभुं।।
जगद्गुरुं च शाश्वतं। तुरीयमेव केवलं।।
भजामि भाव वल्लभं। कुयोगिनां सुदुर्लभं।।
स्वभक्त कल्प पादपं। समं सुसेव्यमन्वहं।।
अनूप रूप भूपतिं। नतोऽहमुर्विजा पतिं।।
प्रसीद मे नमामि ते। पदाब्ज भक्ति देहि मे।।
पठंति ये स्तवं इदं। नरादरेण ते पदं।।
व्रजंति नात्र संशयं। त्वदीय भक्ति संयुता।।
जो मनुष्य इस स्तुति का भक्ति भाव से आदर पूर्वक पाठ करते हैं,
वे प्रभु श्री राम की युक्त होकर प्रभु के परम पद को प्राप्त होते
हैं।
बंदउँ नाम राम रघुबर को।
हेतु कृसानु भानु हिमकर को।।
बिधि हरि हरमय बेद प्राण सो।
अगुन अनुपम गुन निधान सो।।
श्री रघुनाथ के नाम "राम" की वंदना करता हूँ,
जो कृशानु (अग्नि),भानु (सूर्य) और हिमकर
(चन्द्रमा) का हेतु अर्थात "र" "आ" और "म"
रूप से बीज हैं।
वह "राम" नाम ब्रह्मा,विष्णु और शिव रूप हैं।
वह वेदों का प्राण हैं;
निर्गुण,उपमा रहित और गुणों का भण्डार हैं।
जयति पुण्य सनातन संस्कृति,,,
जयति पुण्य भूमि भारत,,,
सदा सुमंगल,,,
प्रभु श्री राम का नाम,,,
जय सीता भवानी,,,
जय श्री राम