Wednesday, September 21, 2011

प्रधानमंत्री और कांग्रेस को भी शामिल होने का आरोप टू जी घोटाला- 2जी: पीएम को गवाह बनाएंगे राजा!

नई दिल्ली. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की सांसद कनिमोझी के बाद पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए.राजा ने बुधवार को दिल्ली की एक अदालत के समक्ष कहा कि वह 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गवाह के रूप में बुलाना चाहेंगे।

मामले में अन्य आरोपियों के साथ तिहाड़ जेल में बंद राजा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत के समक्ष कहा कि वह प्रधानमंत्री के अलावा वर्ष 2008 में केंद्रीय वित्त मंत्री रहे पी. चिदम्बरम और केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल को भी गवाही के लिए बुलाना चाहेंगे।

राजा ने कहा कि वह इन गवाहों को यह साबित करने के लिए बुलाएंगे कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ।


वरिष्ठ वकील सुशील कुमार,राजा की तरह से पेश होते हुए स्पेशल सीबीआई जज ओपी सैनी से कहा "आज मैं यह बता देना चाहता हूं कि मैं प्रधानमन्त्री,तबके वित्त मंत्री और वर्त्तमान टेलिकॉम मंत्री को बतौर गवाह बनाउंगा। "


कुमार ने कहा कि जिस वक़्त यह साबित हो जाएगा कि सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं हुआ था,उसी वक़्त स्पेक्ट्रम आवंटन में धोखाधड़ी और साजिश का पूरा मामला खत्म हो जाएगा।

उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री और दो अन्य मंत्री इस बात को साबित कर देंगे।


केस चला तो पीएम को गवाह बनाएंगी कनिमोझी
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) की सांसद कनिमोझी ने मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में यहां कहा कि प्रधानमंत्री और तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री पी.चिदम्बरम 2जी लाइसेंस आवंटन से पूरी तरह वाकिफ थे और वर्तमान में जेल में कैद पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा के साथ उन्होंने निर्णय लिया था कि 2जी लाइसेंस की नीलामी न की जाए।


कनिमोझी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार ने विशेष न्यायाधीश ओ.पी.सैनी के समक्ष कहा कि वह उस बैठक में हुई बातचीत का ब्योरा पेश कर रहे हैं, जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह,पी.चिदम्बरम और राजा ने तय किया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंसों की नीलामी नहीं की जाएगी। अधिवक्ता ने कहा,"तीनों की गवाही इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त है कि इस मामले में कोई नुकसान नहीं हुआ है।


उनकी गवाहियां संसद में आधिकारिक तौर पर दी गई है कि सरकार को इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है।" कनिमोझी के खिलाफ मामले को समाप्त करने का आग्रह करते हुए अधिवक्ता ने कहा,"सीबीआई का मामला इस तर्क पर आधारित है कि आरोपी द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंसों की नीलामी न करने के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। जब नुकसान होने की बात ही खारिज की जा चुकी है, तो फिर जांच एजेंसी मेरे मुवक्किल पर धोखाधड़ी का आरोप कैसे लगा सकती है?" सुशील कुमार ने सीबीआई और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा जोड़े गए नुकसान के आकड़े को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह राशि अनुमानों पर आधारित है। यह आधार अभियोजन का आधार नहीं बन सकता।

कुमार ने कहा कि संसद द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद सीएजी की रपट महत्वहीन हो जाती है। उन्होंने कहा,"सीएजी की रपट (सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान)लोकसभा में 16 नवम्बर, 2010 को पेश की गई थी। सदन ने उसे मंजूरी नहीं दी। यह अभी तक अधर में लटकी हुई है, क्योंकि इसे सदन की मंजूरी मिलनी बाकी है।" कुमार ने कहा,"सीबीआई के दोनों आरोप पत्रों में 22,000 करोड़ रुपये और 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया गया है। ऐसे में यह बात मेरे समझ में नहीं आ रही है कि मेरे मुवक्किल ने आखिर कितने का नुकसान किया।"

सीबीआई दोहरी नीति अपना रही है'

करूणानिधि
करूणानिधि ने हाल में एआईडीएमके-कांग्रेस के क़रीब आने पर कटाक्ष किया था.
कांग्रेस पार्टी के सहयोगी दल डीएमके ने आरोप लगाया है कि मुख्य जाँच एजेंसी सीबीआई उसे झूठे मुकदमों में फंसा रही है और वो इसके ख़िलाफ़ उच्चतम न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाएंगे.
डीएमके ने कांग्रेस से समर्थन वापस लेने या सरकार को बाहर से समर्थन देने के मामले पर भी कुछ नहीं कहा.
चेन्नई में शुक्रवार शाम हुई एक बैठक में पास किए गए एक प्रस्ताव में पार्टी ने कहा है कि सीबीआई 2-जी स्पेक्ट्रम मामले में दोहरी नीति अपना रही है.
प्रस्ताव में कहा गया है कि ये दोहरी नीति ही डीएमके सांसद कनिमोड़ी और पूर्व संचार मंत्री ए राजा के ख़िलाफ़ चल रहे केस की वजह है.
पार्टी ने यह बैठक हाल में राज्य में हुए चुनाव में हार और बाक़ी मुद्दों की समीक्षा के लिए बुलाई थी.

क़ानूनी लड़ाई

बैठक के बाद प्रेस से बातचीत करते हुए डीएम के प्रमुख एम करूणानिधि ने कहा कि पार्टी 2-जी स्पैक्ट्रम मामले का क़ानूनी तौर पर सामना करेगी.
हालांकि विपक्षी राजनीतिक दल हमेशा से सीबीआई पर पक्षपात का आरोप लगाते रहे हैं लेकिन हाल के दिनों में केंद्र सरकार में मौजूद डीएमके भी इस आरोप को कई बार दोहरा चुकी है.
कुछ लोग इसे एक सहयोगी दल के कांग्रेस पार्टी पर प्रहार के रूप में भी देख रहे हैं तब भी जबकि डीएम ने सीधे तौर पर कांग्रेस का नाम नहीं लिया है.
डीएमके कांग्रेस पार्टी की इस टिप्पणी का भी जवाब नहीं दिया कि तमिलनाडु और पुडुचेरी की हार के लिए टेलीकॉम घोटाला काफ़ी हद तक ज़िम्मेदार था.
कांग्रेस पार्टी की पत्रिका 'संदेश' में छपे एक लेख में कहा गया है कि दोनों दक्षिणी राज्यों में हार की एक बहुत बड़ी वजह 2-जी घोटाला था. कुछ हलकों में इसे डीएमके पर कांग्रेस के प्रहार के तौर पर देखा गया है.
कनिमोड़ी
कनिमोड़ी ने अपनी ज़मानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाख़िल की है.
हज़ारों करोड़ रूपए के टेलीकॉम घोटाले में अभी तक डीएमके के एक मंत्री, पूर्व संचार मंत्री ए राजा और सांसद कनिमोड़ी ही जेल गए हैं. बाकी लोगों का ताल्लुक अफ़सरशाही और उद्योग जगत से है.
लेकिन डीएमके ने कांग्रेस के इस आरोप का सीधा जवाब नहीं दिया.
करूणानिधि ने कहा है कि पार्टी 2-जी मामले पर अपना पक्ष जनता के सामने रखने के लिए 20 से 30 जून के बीच आम सभाएं करेगी.

कांग्रेस से सहयोग

करूणानिधि ने कांग्रेस पार्टी को बाहर से समर्थन देने या समर्थन वापस लेने के मामले पर कुछ नहीं कहा.
जानकार मानते हैं कि डीएमके के लिए इस समय केंद्र सरकार से अलग होना उसके लिए और मुश्किलें खड़ी कर सकती है.
तमिलनाडु के दूसरे मुख्य दल एआईएडीएम की प्रमुख जे जयललिता ने कहा है कि अगर कांग्रेस डीएमके से अलग हो जाए तो उनकी पार्टी केंद्र सरकार को समर्थन देने को तैयार है.
एआईएडीएमके ने तमिलनाडु चुनाव में भारी मतों से जीत हासिल कर वहाँ सरकार बनाई है.

2जी: पीएम को गवाह बनाएंगे राजा!

 
Source: एजेंसी   |   Last Updated 17:57(24/08/11)
 
 
 
 
नई दिल्ली. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की सांसद कनिमोझी के बाद पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए.राजा ने बुधवार को दिल्ली की एक अदालत के समक्ष कहा कि वह 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गवाह के रूप में बुलाना चाहेंगे।

मामले में अन्य आरोपियों के साथ तिहाड़ जेल में बंद राजा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत के समक्ष कहा कि वह प्रधानमंत्री के अलावा वर्ष 2008 में केंद्रीय वित्त मंत्री रहे पी. चिदम्बरम और केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल को भी गवाही के लिए बुलाना चाहेंगे।

राजा ने कहा कि वह इन गवाहों को यह साबित करने के लिए बुलाएंगे कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ।


वरिष्ठ वकील सुशील कुमार,राजा की तरह से पेश होते हुए स्पेशल सीबीआई जज ओपी सैनी से कहा "आज मैं यह बता देना चाहता हूं कि मैं प्रधानमन्त्री,तबके वित्त मंत्री और वर्त्तमान टेलिकॉम मंत्री को बतौर गवाह बनाउंगा। "


कुमार ने कहा कि जिस वक़्त यह साबित हो जाएगा कि सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं हुआ था,उसी वक़्त स्पेक्ट्रम आवंटन में धोखाधड़ी और साजिश का पूरा मामला खत्म हो जाएगा।

उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री और दो अन्य मंत्री इस बात को साबित कर देंगे।


केस चला तो पीएम को गवाह बनाएंगी कनिमोझी
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) की सांसद कनिमोझी ने मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में यहां कहा कि प्रधानमंत्री और तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री पी.चिदम्बरम 2जी लाइसेंस आवंटन से पूरी तरह वाकिफ थे और वर्तमान में जेल में कैद पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा के साथ उन्होंने निर्णय लिया था कि 2जी लाइसेंस की नीलामी न की जाए।


कनिमोझी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार ने विशेष न्यायाधीश ओ.पी.सैनी के समक्ष कहा कि वह उस बैठक में हुई बातचीत का ब्योरा पेश कर रहे हैं, जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह,पी.चिदम्बरम और राजा ने तय किया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंसों की नीलामी नहीं की जाएगी। अधिवक्ता ने कहा,"तीनों की गवाही इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त है कि इस मामले में कोई नुकसान नहीं हुआ है।


उनकी गवाहियां संसद में आधिकारिक तौर पर दी गई है कि सरकार को इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है।" कनिमोझी के खिलाफ मामले को समाप्त करने का आग्रह करते हुए अधिवक्ता ने कहा,"सीबीआई का मामला इस तर्क पर आधारित है कि आरोपी द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंसों की नीलामी न करने के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। जब नुकसान होने की बात ही खारिज की जा चुकी है, तो फिर जांच एजेंसी मेरे मुवक्किल पर धोखाधड़ी का आरोप कैसे लगा सकती है?" सुशील कुमार ने सीबीआई और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा जोड़े गए नुकसान के आकड़े को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह राशि अनुमानों पर आधारित है। यह आधार अभियोजन का आधार नहीं बन सकता।

कुमार ने कहा कि संसद द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद सीएजी की रपट महत्वहीन हो जाती है। उन्होंने कहा,"सीएजी की रपट (सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान)लोकसभा में 16 नवम्बर, 2010 को पेश की गई थी। सदन ने उसे मंजूरी नहीं दी। यह अभी तक अधर में लटकी हुई है, क्योंकि इसे सदन की मंजूरी मिलनी बाकी है।" कुमार ने कहा,"सीबीआई के दोनों आरोप पत्रों में 22,000 करोड़ रुपये और 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया गया है। ऐसे में यह बात मेरे समझ में नहीं आ रही है कि मेरे मुवक्किल ने आखिर कितने का नुकसान किया।"

'2जी घोटाला में चिदम्बरम को सह अभियुक्त बनाया जाए '

 
Source: एजेंसी   |   Last Updated 14:34(15/09/11)
 
 
 
 
नई दिल्ली.जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने गुरुवार को निचली अदालत में एक याचिका दायर कर 2जी स्पेक्ट्रम मामले में केंद्रीय गृहमंत्री पी.चिदम्बरम को सह अभियुक्त बनाने की मांग की है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में दायर अपनी याचिका में सुब्रमण्यम ने चिदम्बरम का बयान फिर से दर्ज कराने की मांग की। मामले की सुनवाई न्यायाधीश ओ.पी.सैनी कर रहे थे।

स्वामी ने कहा कि संसद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए सिर्फ पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ही जिम्मेदार नहीं हैं।

यह मंत्रिमंडल का निर्णय था और केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में चिदम्बरम उस निर्णय में भागीदार थे।

स्वामी ने अदालत से अपने आवेदन में कहा,"इसलिए मैंने इस घोटाले में स्वयं के साथ अन्य गवाहों को सम्मन जारी करने और चिदम्बरम को सह अभियुक्त बनाने के लिए नई याचिका दाखिल की है।"


इससे पहले सुब्रमण्यम ने अदालत से कहा था कि सीबीआई द्वारा पेश आरोप पत्र में चिदम्बरम की भूमिका की अनदेखी की गई है, जिन्होंने स्पेक्ट्रम आवंटन के 'महत्वपूर्ण निर्णय को संयुक्त रूप से लिया था'।

गृह मंत्री को गवाह बनाया जाए: राजा

पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए राजा ने अदालत में कहा है कि 2 जी मामले में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम को भी गवाही के लिए बुलाया जाए.
ए राजा ने साफ किया कि सोमवार को अदालत में उन्होंने जो बयान दिया था उसमें प्रधानमंत्री या गृह मंत्री को इस मामले में घसीटने की उनकी कोई मंशा नहीं थी.
पिछले छह महीने से जेल में बंद राजा ने अपने बयान में कहा कि रिहाई की मांग करते हुए कहा कि उन्हें अवैध रुप से हिरासत में रखा गया है.
उन्होंने कोर्ट से अपील की कि सीबीआई को निर्देश जारी किए जाएं ताकि चिदंबरम को गवाही देने के लिए बुलाया जा सके.
राजा के वकील सुशील कुमार ने विशेष जज ओपी सैनी की अदालत में राजा के ख़िलाफ़ लगाए गए भ्रष्टाचार और अन्य आरोपों पर राजा का पक्ष रखा है.
मैं सिर्फ अपना बचाव कर रहा हूं. किसी पर आरोप नहीं लगा रहा हूं. मैं प्रधानमंत्री या तत्कालीन वित्त मंत्री को 2जी मामले में फंसाने की कोशिश नहीं कर रहा. मीडिया ने मेरे मुंह में शब्द डाले हैं. उनसे कहिए कि वो सही रिपोर्टिंग करें
ए राजा
राजा का कहना था कि तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह स्वान टेलीकॉम और यूनीटेक के शेयरों को विदेशी फर्म एटिलसैट और टेलीनॉर को दिए जाने के मामले से वाकिफ़ थे.
राजा ने साफ किया कि उनकी यह बात प्रधानमंत्री या गृह मंत्री के ख़िलाफ़ आरोप नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं सिर्फ अपना बचाव कर रहा हूं. किसी पर आरोप नहीं लगा रहा हूं. मैं प्रधानमंत्री या तत्कालीन वित्त मंत्री को 2जी मामले में फंसाने की कोशिश नहीं कर रहा. मीडिया ने मेरे मुंह में शब्द डाले हैं. उनसे कहिए कि वो सही रिपोर्टिंग करें.’’
राजा ने मीडिया पर उनके बयान को तोड़ने मरोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि अमरीका में कोर्ट की सुनवाई लाइव टेलीकास्ट की जाती है ताकि ऐसी भ्रम की स्थिति न उत्पन्न हो.
राजा ने कल कहा था कि तत्कालीन वित्त मंत्री जो अब गृह मंत्री हैं उन्होंने प्रधानमंत्री के सामने कहा था कि कारपोरेट क़ानून के अनुसार शेयरों के बेचे जाने को 2जी लाइसेंस की बिक्री नहीं कहा जा सकता है. प्रधानमंत्री इसका चाहें तो खंडन करें.
राजा ने मंगलवार को कंट्रोलर और ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट पर भी प्रश्नचिन्ह लगाए और कहा कि उनके आकड़ो पर सीबीआई तक यकीन नहीं कर रही है.



केंद्र सरकार कांग्रेस ने घोटाले जाँच में चिदंबरम की जांच का विरोध किया


नई दिल्ली।

Story Update : Wednesday, September 21, 2011    12:57 AM

सीबीआई ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में गृहमंत्री पी चिदंबरम की कथित भूमिका की जांच की मांग को अनुमति देना अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। सीबीआई ने दलील दी कि पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में हुए कई करोड़ के इस घोटाले की जांच पूरी हो गई है और ट्रायल कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं।

मूल्य तय करने में रही अहम भूमिका
जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एके गांगुली की पीठ के समक्ष सीबीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी के आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में विशेष अदालत में आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश जारी करना उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। स्वामी ने चिदंबरम के वित्तमंत्री पद पर रहते हुए स्पेक्ट्रम के मूल्य तय करने में उनकी कथित भूमिका की जांच करने की मांग की है। उन्होंने आवेदन में कहा है कि राजा के साथ चार अहम बैठकों में स्पेक्ट्रम का मूल्य तय करने में चिदंबरम की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

सीबीआई कोर्ट को ही निर्णय लेना चाहिए
स्वामी की इस दलील पर केंद्र और सीबीआई दोनों ने एकसाथ सवाल खड़े किए। दोनों ने पीठ के समक्ष कहा कि स्वामी की ओर से ऐसा ही एक आवेदन ट्रायल कोर्ट में भी दाखिल किया गया है और अब इस मामले में विशेष सीबीआई कोर्ट को ही निर्णय लेना चाहिए। वेणुगोपाल ने कहा कि आगे की जांच के सवाल पर या इस मामले में अन्य आरोपी को शामिल करने के मसले पर इस अदालत को नहीं, बल्कि ट्रायल कोर्ट को निर्णय लेना चाहिए। यदि ट्रायल कोर्ट को लगता है कि कुछ भी गलत हुआ है तो वह आरोपियों की सूची में संबंधित व्यक्ति का नाम शामिल कर सकती है।

केंद्र ने भी स्वामी के आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में ट्रायल कोर्ट ही संज्ञान ले सकता है, क्योंकि यह अब विशेष तौर पर उसके अधिकार क्षेत्र में है। वरिष्ठ अधिवक्ता पीपी राव नेकहा कि हर दस्तावेज जो सुप्रीम कोर्ट में स्वामी की ओर से पेश किया गया वह ट्रायल कोर्ट में भी दाखिल है। वह एक साथ दो अदालतों में एक ही मामले को नहीं ले जा सकते।

स्वामी ने दायर की थी याचिका
जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में पी चिदंबरम की कथित भूमिका की जांच की मांग की थी। स्वामी ने 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राजग सरकार में जब मंत्रियों के समूह की अध्यक्षता करने वाले जसवंत सिंह की भूमिका की जांच की जा सकती है तो सीबीआई को चिदंबरम की भूमिका की जांच क्यों नहीं करनी चाहिए।

सीबीआई की दलील
सीबीआई के वकील ने जस्टिस जीएस सिंघवी व जस्टिस एके गांगुली की पीठ के समक्ष दलील दी कि इस चरण में सुप्रीम कोर्ट किसी व्यक्ति को टूजी मामले में सहअभियुक्त बनाने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

जांच एजेंसी गृहमंत्री पी चिदंबरम को क्लीन चिट देने पर अड़ी है। कम से कम इस मामले में सीबीआई को जांच कर चिदंबरम की भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए।
-सुब्रह्मण्यम स्वामी

अमर उजाला ब्यूरो