केंद्र सरकार कांग्रेस ने घोटाले जाँच में चिदंबरम की जांच का विरोध किया | |||
नई दिल्ली। | |||
Story Update : Wednesday, September 21, 2011 12:57 AM | |||
सीबीआई ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में गृहमंत्री पी चिदंबरम की कथित भूमिका की जांच की मांग को अनुमति देना अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। सीबीआई ने दलील दी कि पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में हुए कई करोड़ के इस घोटाले की जांच पूरी हो गई है और ट्रायल कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। मूल्य तय करने में रही अहम भूमिका जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एके गांगुली की पीठ के समक्ष सीबीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी के आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में विशेष अदालत में आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश जारी करना उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। स्वामी ने चिदंबरम के वित्तमंत्री पद पर रहते हुए स्पेक्ट्रम के मूल्य तय करने में उनकी कथित भूमिका की जांच करने की मांग की है। उन्होंने आवेदन में कहा है कि राजा के साथ चार अहम बैठकों में स्पेक्ट्रम का मूल्य तय करने में चिदंबरम की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सीबीआई कोर्ट को ही निर्णय लेना चाहिए स्वामी की इस दलील पर केंद्र और सीबीआई दोनों ने एकसाथ सवाल खड़े किए। दोनों ने पीठ के समक्ष कहा कि स्वामी की ओर से ऐसा ही एक आवेदन ट्रायल कोर्ट में भी दाखिल किया गया है और अब इस मामले में विशेष सीबीआई कोर्ट को ही निर्णय लेना चाहिए। वेणुगोपाल ने कहा कि आगे की जांच के सवाल पर या इस मामले में अन्य आरोपी को शामिल करने के मसले पर इस अदालत को नहीं, बल्कि ट्रायल कोर्ट को निर्णय लेना चाहिए। यदि ट्रायल कोर्ट को लगता है कि कुछ भी गलत हुआ है तो वह आरोपियों की सूची में संबंधित व्यक्ति का नाम शामिल कर सकती है। केंद्र ने भी स्वामी के आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में ट्रायल कोर्ट ही संज्ञान ले सकता है, क्योंकि यह अब विशेष तौर पर उसके अधिकार क्षेत्र में है। वरिष्ठ अधिवक्ता पीपी राव नेकहा कि हर दस्तावेज जो सुप्रीम कोर्ट में स्वामी की ओर से पेश किया गया वह ट्रायल कोर्ट में भी दाखिल है। वह एक साथ दो अदालतों में एक ही मामले को नहीं ले जा सकते। स्वामी ने दायर की थी याचिका जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में पी चिदंबरम की कथित भूमिका की जांच की मांग की थी। स्वामी ने 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राजग सरकार में जब मंत्रियों के समूह की अध्यक्षता करने वाले जसवंत सिंह की भूमिका की जांच की जा सकती है तो सीबीआई को चिदंबरम की भूमिका की जांच क्यों नहीं करनी चाहिए। सीबीआई की दलील सीबीआई के वकील ने जस्टिस जीएस सिंघवी व जस्टिस एके गांगुली की पीठ के समक्ष दलील दी कि इस चरण में सुप्रीम कोर्ट किसी व्यक्ति को टूजी मामले में सहअभियुक्त बनाने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर सकता। जांच एजेंसी गृहमंत्री पी चिदंबरम को क्लीन चिट देने पर अड़ी है। कम से कम इस मामले में सीबीआई को जांच कर चिदंबरम की भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए। -सुब्रह्मण्यम स्वामी अमर उजाला ब्यूरो |
Wednesday, September 21, 2011
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