नई दिल्ली. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की सांसद कनिमोझी के बाद पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए.राजा ने बुधवार को दिल्ली की एक अदालत के समक्ष कहा कि वह 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गवाह के रूप में बुलाना चाहेंगे।
मामले में अन्य आरोपियों के साथ तिहाड़ जेल में बंद राजा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत के समक्ष कहा कि वह प्रधानमंत्री के अलावा वर्ष 2008 में केंद्रीय वित्त मंत्री रहे पी. चिदम्बरम और केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल को भी गवाही के लिए बुलाना चाहेंगे।
राजा ने कहा कि वह इन गवाहों को यह साबित करने के लिए बुलाएंगे कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ।
वरिष्ठ वकील सुशील कुमार,राजा की तरह से पेश होते हुए स्पेशल सीबीआई जज ओपी सैनी से कहा "आज मैं यह बता देना चाहता हूं कि मैं प्रधानमन्त्री,तबके वित्त मंत्री और वर्त्तमान टेलिकॉम मंत्री को बतौर गवाह बनाउंगा। "
कुमार ने कहा कि जिस वक़्त यह साबित हो जाएगा कि सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं हुआ था,उसी वक़्त स्पेक्ट्रम आवंटन में धोखाधड़ी और साजिश का पूरा मामला खत्म हो जाएगा।
उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री और दो अन्य मंत्री इस बात को साबित कर देंगे।
केस चला तो पीएम को गवाह बनाएंगी कनिमोझी
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) की सांसद कनिमोझी ने मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में यहां कहा कि प्रधानमंत्री और तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री पी.चिदम्बरम 2जी लाइसेंस आवंटन से पूरी तरह वाकिफ थे और वर्तमान में जेल में कैद पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा के साथ उन्होंने निर्णय लिया था कि 2जी लाइसेंस की नीलामी न की जाए।
कनिमोझी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार ने विशेष न्यायाधीश ओ.पी.सैनी के समक्ष कहा कि वह उस बैठक में हुई बातचीत का ब्योरा पेश कर रहे हैं, जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह,पी.चिदम्बरम और राजा ने तय किया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंसों की नीलामी नहीं की जाएगी। अधिवक्ता ने कहा,"तीनों की गवाही इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त है कि इस मामले में कोई नुकसान नहीं हुआ है।
उनकी गवाहियां संसद में आधिकारिक तौर पर दी गई है कि सरकार को इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है।" कनिमोझी के खिलाफ मामले को समाप्त करने का आग्रह करते हुए अधिवक्ता ने कहा,"सीबीआई का मामला इस तर्क पर आधारित है कि आरोपी द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंसों की नीलामी न करने के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। जब नुकसान होने की बात ही खारिज की जा चुकी है, तो फिर जांच एजेंसी मेरे मुवक्किल पर धोखाधड़ी का आरोप कैसे लगा सकती है?" सुशील कुमार ने सीबीआई और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा जोड़े गए नुकसान के आकड़े को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह राशि अनुमानों पर आधारित है। यह आधार अभियोजन का आधार नहीं बन सकता।
कुमार ने कहा कि संसद द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद सीएजी की रपट महत्वहीन हो जाती है। उन्होंने कहा,"सीएजी की रपट (सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान)लोकसभा में 16 नवम्बर, 2010 को पेश की गई थी। सदन ने उसे मंजूरी नहीं दी। यह अभी तक अधर में लटकी हुई है, क्योंकि इसे सदन की मंजूरी मिलनी बाकी है।" कुमार ने कहा,"सीबीआई के दोनों आरोप पत्रों में 22,000 करोड़ रुपये और 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया गया है। ऐसे में यह बात मेरे समझ में नहीं आ रही है कि मेरे मुवक्किल ने आखिर कितने का नुकसान किया।"
मामले में अन्य आरोपियों के साथ तिहाड़ जेल में बंद राजा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत के समक्ष कहा कि वह प्रधानमंत्री के अलावा वर्ष 2008 में केंद्रीय वित्त मंत्री रहे पी. चिदम्बरम और केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल को भी गवाही के लिए बुलाना चाहेंगे।
राजा ने कहा कि वह इन गवाहों को यह साबित करने के लिए बुलाएंगे कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ।
वरिष्ठ वकील सुशील कुमार,राजा की तरह से पेश होते हुए स्पेशल सीबीआई जज ओपी सैनी से कहा "आज मैं यह बता देना चाहता हूं कि मैं प्रधानमन्त्री,तबके वित्त मंत्री और वर्त्तमान टेलिकॉम मंत्री को बतौर गवाह बनाउंगा। "
कुमार ने कहा कि जिस वक़्त यह साबित हो जाएगा कि सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं हुआ था,उसी वक़्त स्पेक्ट्रम आवंटन में धोखाधड़ी और साजिश का पूरा मामला खत्म हो जाएगा।
उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री और दो अन्य मंत्री इस बात को साबित कर देंगे।
केस चला तो पीएम को गवाह बनाएंगी कनिमोझी
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) की सांसद कनिमोझी ने मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में यहां कहा कि प्रधानमंत्री और तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री पी.चिदम्बरम 2जी लाइसेंस आवंटन से पूरी तरह वाकिफ थे और वर्तमान में जेल में कैद पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा के साथ उन्होंने निर्णय लिया था कि 2जी लाइसेंस की नीलामी न की जाए।
कनिमोझी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार ने विशेष न्यायाधीश ओ.पी.सैनी के समक्ष कहा कि वह उस बैठक में हुई बातचीत का ब्योरा पेश कर रहे हैं, जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह,पी.चिदम्बरम और राजा ने तय किया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंसों की नीलामी नहीं की जाएगी। अधिवक्ता ने कहा,"तीनों की गवाही इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त है कि इस मामले में कोई नुकसान नहीं हुआ है।
उनकी गवाहियां संसद में आधिकारिक तौर पर दी गई है कि सरकार को इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है।" कनिमोझी के खिलाफ मामले को समाप्त करने का आग्रह करते हुए अधिवक्ता ने कहा,"सीबीआई का मामला इस तर्क पर आधारित है कि आरोपी द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंसों की नीलामी न करने के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। जब नुकसान होने की बात ही खारिज की जा चुकी है, तो फिर जांच एजेंसी मेरे मुवक्किल पर धोखाधड़ी का आरोप कैसे लगा सकती है?" सुशील कुमार ने सीबीआई और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा जोड़े गए नुकसान के आकड़े को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह राशि अनुमानों पर आधारित है। यह आधार अभियोजन का आधार नहीं बन सकता।
कुमार ने कहा कि संसद द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद सीएजी की रपट महत्वहीन हो जाती है। उन्होंने कहा,"सीएजी की रपट (सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान)लोकसभा में 16 नवम्बर, 2010 को पेश की गई थी। सदन ने उसे मंजूरी नहीं दी। यह अभी तक अधर में लटकी हुई है, क्योंकि इसे सदन की मंजूरी मिलनी बाकी है।" कुमार ने कहा,"सीबीआई के दोनों आरोप पत्रों में 22,000 करोड़ रुपये और 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया गया है। ऐसे में यह बात मेरे समझ में नहीं आ रही है कि मेरे मुवक्किल ने आखिर कितने का नुकसान किया।"
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