Thursday, August 11, 2011

नई दिल्ली. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा भारतीय स्टेट बैंक कमर्शियल एंड इंटरनेशनल बैंक लिमिटेड (एसबीआईसीआई बैंक लिमिटेड) के अधिग्रहण को मंज़ूरी दे दी. भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम,1955 की धारा 35 की उपधारा (2) के अनुसार यह मंज़ूरी दी गई है. भारतीय स्टेट बैंक द्वारा एसबीआईसीआई बैंक के अधिग्रहण के लिए नियमों और शर्तों के निर्धारण के लिए एक अधिग्रहण योजना को दोनों बैंकों के निदेशकों और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मंज़ूरी दे दी गई है. अधिग्रहण योजना के आधार पर मसौदे का ‘आदेश’ बनाया गया है और इसे राजपत्र में अधिसूचित किया जाएगा.
एसबीआईसीआई बैंक लिमिटेड एसबीआई के पूर्ण स्वामित्व नियंत्रण वाला बैंक है जिसकी स्थापना 1994 में तत्कालीन बैंक ऑफ क्रेडिट एंड कॉमर्स इंटरनेशनल लिमिटेड (बीसीसीआई) के 1991 में दिवालिया घोषित होने के पश्चात उसे अधिग्रहित कर की गई थी. एसबीआईसीआई बैंक लिमिटेड की मात्र दो ही शाखाएं हैं. यह दोनों शाखाएं मुंबई में है. इसकी शुरुआत से ही इसने किसी लाभांश का भुगतान नहीं किया. 31 मार्च, 2010 के मुताबिक सौ करोड़ रुपए के पूंजी आधार पर इसके पास मात्र 128.74 करोड़ रुपए की शुद्ध संपत्ति थी.
समग्र विश्लेषण में, मौजूदा रुप में एसबीआईसीआई के जारी रहने से एक ऐसी दीर्घकालिक संस्था की स्थापना नहीं की जा सकती थी, जिसकी अपनी एक अलग पहचान हो और जो मध्यावधि में स्वंय को संभाल सके.
जहां भारतीय स्टेट बैंक का मौजूदा कोई भी लाभार्थी इससे प्रभावित नहीं होगा, वहीं एसबीआई कमर्शियल एंड इंटरनेशनल बैंक लिमिटेड के ग्राहकों को इससे फायदा होगा जिनकी पहुंच अब भारतीय स्टेट बैंक के विशाल नेटवर्क तक होगी.
इस स्तवन (आ०हृ०स्तो०) में गायत्री महामन्त्र के अधिष्ठाता सविता देवता की प्रार्थना है । इसे अग्नि का अभिवन्दन, अभिनन्दन भी कह सकते हैं । सभी लोग हाथ जोड़कर स्तवन की मूल भावना को हृदयगंम करें । हर टेक में कहा गया है- 'वह वरण करने योग्य सविता देवता हमें पवित्र करें ।' दिव्यता-पवित्रता के संचार की पुलकन का अनुभव करते चलें ।


यन्मण्डलं दीप्तिकरं विशालम्, रतनप्रभं तीव्रमनादिरूपम् ।
दारिद्र्य-दुःखक्षयकारणं च, पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्॥१॥

शुभ ज्योति के पंुज, अनादि, अनुपम । ब्रह्माण्ड व्यापी आलोक कर्त्ता ।
दारिद्र्य, दुःख भय से मुक्त कर दो । पावन बना दो हे देव सविता॥१॥

यन्मण्डलं देवगणैः सुपूजितम्, विप्रैः स्तुतं मानवमुक्तिकोविदम् ।
तं देवदेवं प्रणमामि भ्ार्गं, पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्॥२॥

ऋषि देवताओं से नित्य पूजित । हे भर्ग! भव बन्धन मुक्ति कर्त्ता ।
स्वीकार कर लो वन्दन हमारा । पावन बना दो हे देव सविता॥२॥

यन्मण्डलं ज्ञानघनं त्वगम्यं, त्रैलोक्यपूज्यं त्रिगुणात्मरूपम् ।
समस्त-तेजोेमय-दिव्यरूपं, पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्॥३॥

हे ज्ञान के घन, त्रैलोक्य पूजित । पावन गुणों के विस्तार कर्त्ता ।
समस्त प्रतिभा के आदि कारण । पावन बना दो हे देव सविता॥३॥

यन्मण्डलं गूढमतिप्रबोधं, धर्मस्य वृद्धिं कुरुते जनानाम् ।
यत् सर्वपापक्षयकारणं च, पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्॥४॥

हे गूढ़ अन्तःकरण में विराजित । तुम दोष-पापादि संहार कर्त्ता ।
शुभ धर्म का बोध हमको करा दो । पावन बना दो हे देव सविता॥४॥

यन्मण्डलं व्याधिविनाशदक्षं, यदृग्-यजुः सामसु सम्प्रगीतम् ।
प्रकाशितं येन च र्भूभुवः स्वः, पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्॥५॥

हे व्याधि-नाशक, हे पुष्टि दाता । ऋग् साम, यजु वेद संचार कर्त्ता ।
हे भ्र्ाूभुवः स्वः में स्व प्रकाशित । पावन बना दो हे देव सविता॥५॥

यन्मण्डलं वेदविदो वदन्ति, गायन्ति यच्चारण- सिद्धसङ्घाः ।
यद्योगिनो योगजुषां च सङ्घाः, पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्॥६॥

सब वेदविद्, चारण, सिद्ध योगी । जिसके सदा से हैं गान कर्त्ता ।
हे सिद्ध सन्तों के लक्ष्य शाश्वत् । पावन बना दो हे देव सविता॥६॥

यन्मण्डलं सर्वजनेषु पूजितं, ज्योतिश्च कुर्यादिह र्मत्यलोके ।
यत्काल-कालादिमनादिरूपम्, पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्॥७॥

हे विश्व मानव से आदि पूजित । नश्वर जगत् में शुभ ज्योति कर्त्ता ।
हे काल के काल-अनादि ईश्वर । पावन बना दो हे देव सविता॥७॥

यन्मण्डलं विष्णुचर्तुमुखास्यं, यदक्षरं पापहरं जनानाम् ।
यत्कालकल्पक्षयकारणं च, पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्॥८॥

हे विष्णु ब्रह्मादि द्वारा प्रचारित । हे भ्ाक्त पालक, हे पाप हर्त्ता ।
हे काल-कल्पादि के आदि स्वामी । पावन बना दो हे देव सविता॥८॥

यन्मण्डलं विश्वसृजां प्रसिद्धं, उत्पत्ति-रक्षा प्रलयप्रगल्भम् ।
यस्मिन् जगत्संहरतेऽखिलं च, पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्॥९॥

हे विश्व मण्डल के आदि कारण । उत्पत्ति-पालन-संहार कर्त्ता ।
होता तुम्हीं में लय यह जगत् सब । पावन बना दो हे देव सविता॥९॥

यन्मण्डलं सर्वगतस्य विष्णोः, आत्मा परंधाम विशुद्धतत्त्वम् ।
सूक्ष्मान्तरैर्योगपथानुगम्यं, पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्॥१०॥

हे स्ार्वव्यापी, प्रेरक नियन्ता । विशुद्ध आत्मा, कल्याण कर्त्ता ।
शुभ योग पथ्ा पर हमको चलाओ । पावन बना दो हे देव सविता॥१०॥

यन्मण्डलं ब्रह्मविदो वदन्ति, गायन्ति यच्चारण-सिद्धसंघाः ।
यन्मण्डलं वेदविदः स्मरन्ति, पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्॥११॥

हे ब्रह्मनिष्ठों से आदि पूजित । वेदज्ञ जिसके गुणगान कर्त्ता ।
सद्भावना हम सबमें जगा दो । पावन बना दो हे देव सविता॥११॥

यन्मण्डलं वेद- विदोपगीतं, यद्योगिनां योगपथानुगम्यम् ।
तत्सर्ववेदं प्रणमामि दिव्यं, पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्॥१२॥

हे योगियों के शुभ मार्गदर्शक । सद्ज्ञान के आदि संचारकर्त्ता ।
प्रणिपात स्वीकार लो हम सभ्ाी का । पावन बना दो हे देव सविता॥१२

टाटा देगी लोगों को 32,000 रुपये में घर

Tata-Group-image नई दिल्ली. लखटकिया कार नैनो पेश करने के बाद टाटा समूह अब 32,000 रुपये की कीमत वाला घर पेश करने की तैयारी में है. समूह ने ग्रामीण बाजार को ध्यान में रखकर सस्ते आवास की योजना बनाई है. इसे अगले साल के अंत तक पेश किया जा सकता है.
टाटा स्टील के वैश्विक शोध कार्यक्रम के प्रमुख सुमितेश दास ने कहा कि फिलहाल, आवास परियोजना देश के भर के 30 स्थानों पर प्रायोगिक स्तर पर है. फिलहाल हम कायर बोर्ड, जूट बोर्ड जैसी विभिन्न एजेंसियों तथा राज्य सरकारों से बातचीत कर रहे हैं.
आवास का निर्माण पहले से तैयार सामान के आधार (प्री-फैब्रिकेटेड फारमेट) पर किया जाएगा जिसके तहत कंपनी छत, दरवाजा, खिड़की जैसे सामान से युक्त किट उपलब्ध कराएगी. इसके आधार पर मकान को खड़ा किया जा सकता है.
बेस्ट प्रैक्टिसेस आफ इंटलेक्चुअल प्रोपर्टी मैनेजमेंट पर आयोजित सम्मेलन में दास ने कहा कि अगर आपके पास जमीन है तो इस आवास को सात दिन में बना सकते हैं. 20 वर्ग मीटर के माडल पर आधारित सीधा छत की लागत करीब 500 यूरो (करीब 32,000 रुपए) होगी। उन्होंने कहा कि उन्नत 30 वर्ग मीटर माडल पर खर्च 700 यूरो आएगा. इंदिरा आवास योजना का यही माडल है. दास ने कहा कि इसी प्रकार, घर की छत पर सौर पैनल युक्त कई और माडल हो सकते हैं.
2001 की जनगणना के अनुसार देश में 1.48 करोड़ ग्रामीण आवास की कमी है. इस लिहाज से टाटा की योजना काफी सफल हो सकती है. परियोजना के बारे में विस्तार से बताते हुए सुमितेश दास ने कहा कि इस साल के अंत तक कंपनी को विनिर्माताओं, आपूर्तिकताओं तथा विभिन्न पंचायतों जैसे संबंधित पक्षों के विचार मिल जाएंगे.
उन्होंने कहा कि पहली पायलट परियोजना में हमने लोगों की रुचि बरामदे में देखी जिसे हमने शामिल कर दिया. हमारा मानना है कि अगर हम इसे शामिल करते हैं तो बिक्री काफी होगी. हमें इस बारे में पंचायत की राय की जरूरत है जो हमारे अंतिम ग्राहक हैं.
दास ने कहा कि हमारे पास प्रौद्योगिकी है लेकिन हमारे पास उद्यमी नहीं है. इसीलिए हमें ऐसे लोगों की तलाश है जो निवेश कर सके और हमारे लिए उत्पाद बना सके. उन्होंने कहा कि ऐसे घर 20 साल तक चल सकते हैं. और अनुसंधान कर मियाद बढ़ाई भी जा सकती है.