Monday, July 11, 2011

ज्यादा टेलीविजन डालता है आपके दिल पर वजन

टीवी से स्वास्थ्य और मानसिक विकास पर असर
आज के बच्चे अपने खाली समय का इस्तेमाल बाहर मैदान में या गलियों में खेलने में जाया करने के बजाय टीवी देखकर या वीडियो गेम खेलकर बिता देते हैं.
बाहर जाकर खुली हवा में शारीरिक श्रम वाले खेल न खेलने से बच्चे के स्वास्थ्य और मानसिक विकास पर असर पड़ता है. लेकिन यह बात शायद आपको मालूम न हो कि बच्चों की टेलीविजन देखने की लत उनके दिल के लिए भी काफ़ी खतरनाक है.
भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक की अगुआई में आस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यलय में किये गये एक शोध में पाया गया है कि कि छह साल के उम्र के जो बच्चे घंटों टीवी पर आंख गड़ाये रहते हैं, उनकी आंखों की रक्त कोशिकाएं सिकुड़ती चली जाती हैं. यह ह्दय की बीमारी और उच्च रक्तचाप की पूर्व चेतावनी है. शोधकर्ताओं के अनुसार बच्चे औसतन प्रतिदिन दो घंटे टेलीविजन देखते हैं या कंप्यूटर पर गेम खेलते हैं और केवल 36 मिनट ही शारीरिक अभ्यास करते हैं. इस अध्ययन के अनुसार जो बच्चे प्रतिदिन एक घंटे शारीरिक अभ्यास करते हैं, वे ज्यादा स्वस्थ रहते

अंतरिक्ष मिशन में बड़ी कामयाबी

पीएसएलवी मिशन की लतागार 17वीं सफ़लता के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने कामयाबी का नया इतिहास लिख दिया है. इस सफ़लता से दिसंबर में जीएसएलवी के प्रक्षेपण में मिली नाकामी के झटके से उबरने में तो मदद मिलेगी ही, अंतरिक्ष कारोबार में भी लंबी छलांग की उम्मीद जतायी जा रही है.
हैदराबाद के आंघ्रप्रदेश में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्री हरिकोटा से पीएसएलवी ने एक बार फ़िर सफ़लता की नयी कहानी लिख दी है. इसरों ने इतिहास रचते हुए श्रीहरिकोटा से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-सी16 (पीएसएलवी-सी16) सफ़लतापूर्वक प्रक्षेपण किया है. यह भारत की अंतरिक्ष कामयाबी के इतिहास में एक बड़ा कदम है. पीएसएलवी की सफ़लता ने अंतरिक्ष जगत में भारत की स्थिति को मजबूती प्रदान किया है. इस प्रक्षेपण पर देशभर की निगाहें टिकी थीं. इसके सफ़ल प्रक्षेपण की न सिर्फ़ इसरो दुआ कर रहा था, बल्कि देश के करोड़ों किसान भी इसकी ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे थे.
तीन उपग्रह छोड़े : ध्रुवीय प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी-16 के साथ तीन उपग्रह छोड़े गये, जिसमें भारत के अलावा रूस और सिंगापुर के सैटेलाइट शामिल हैं. मुख्य उपग्रह रिसोर्ससैट-2 को इसरो ने तैयार किया है. इसके अलावा भारत-रूस द्वारा निर्मित नैनोसैटेलाइट यूथसैट और सिंगापुर का माइक्रासैटेलाइट(लघु उपग्रह) एक्स-सैट का प्रक्षेपण किया गया. इस प्रक्षेपण से भारत को कई तरह के लाभ हो सकते हैं. इन सैटेलाइटों से प्राकृतिक संसाधनों का पता लगाने, उनके अध्ययन एवं प्रबंधन में मदद मिल सकती है.
पीएसएलवी का 18वां मिशन : ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान सी-16 यानि पीएसएलवी-सी16 ने कुल 1,404 किलोग्राम वजन की सामग्री (तीनों उपग्रह) लेकर अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी. 44 मीटर ऊंचाई वाला पीएसएलवी चार चरणों वाला रॉकेट है, जिसमें ठोस व तरल प्रणोदक वैकल्पिक रूप से मौजूद हैं. प्रथम और तृतीय चरण के इंजन ठोस प्रणोदक से संचालित होंगे और द्वितीय और चतुर्थ चरण के इंजन तरल प्रणोदक से संचालित होंगे. यह पीएसएलवी श्रृंखला का 18वां मिशन है.
उल्लेखनीय है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के 17 में से 16 अभियान सफ़ल रहे हैं. इस यान ने 1994 से अब तक 25 पेलोड सहित कुल 44 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है. बुधवार को इस प्रक्षेपण यान ने कुल 1404 किलोग्राम वजन के तीन उपग्रहों को अपने 18वें मिशन में पृथ्वी से 822 किलोमीटर दूर ध्रुवीय सूर्य समकालिक कक्षा में स्थापित किया. ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी सी 15 ने 12 जुलाई को सुदूर संवेदी उपग्रह काटरेसैट 2 बी को सफ़लतापूर्वक कक्षा में पहुंचाया था.
उपग्रह रिसोर्ससैट-2 : अत्याधुनिक सुदूर संवेदी (रिमोट सेंसिंग) उपग्रह रिसोर्ससैट-2 इसरो द्वारा निर्मित आधुनिक दूरस्थ (सुदूर) संवेदी अथवा रिमोट सेंसिंग उपग्रह है. इसका वजन 1206 किलोग्राम है. यह प्राकृतिक संसाधनों के अध्ययन और उनके प्रबंधन को सुगम बनायेगा. इस संबंधित आंकड़े और तसवीरों को लगातार पांच वर्षो तक भेजता रहेगा. देश का दूरसंवेदी उपग्रह, रिसोर्ससैट-2 मूल रूप से इस वर्ष जनवरी में लांच किया जाने वाला था, लेकिन पहले उसकी लांचिंग फ़रवरी के लिए और उसके बाद अप्रैल के लिए टाली गयी थी. दूरसंवेदी उपग्रह उपयोगी चित्रों व अन्य आकड़ों को पृथ्वी पर भेजते हैं.
दूर संवेदी उपग्रहों के क्षेत्र में भारत की क्षमता दुनिया में सबसे ज्यादा है. बेहतर गुणवत्ता और सटीक जानकारियां उपलब्ध कराने से भारत वैश्विक बाजार में इस क्षेत्र में बड़ा सूचना प्रदाता बन गया है. वर्तमान में भारत के पास इस प्रकार के दूरसंवेदी उपग्रहों का दुनिया में सबसे बड़ा समूह हो गया है, जो अलग-अलग रिजोल्यूशंस में अंतरिक्ष की तसवीरें उपलब्ध कराते हैं. ये रिजल्यूशंस एक मीटर से लेकर 500 मीटर तक के होते हैं. भारत वैश्विक बाजार में इस तरह के आंकड़ों का एक बड़ा विक्रेता हो गया है. इसके अलावा रिसोर्ससैट-2 में कुछ ऐसे उपकरण भी लगाये गये हैं, जो जहाजों पर निगरानी रख सकेंगे और उनके स्थान, गति और अन्य चीजों के बारे में जानकारी जुटा सकेंगे.
रिसोर्ससैट-2 भारत की रिमोट सेंसिंग सीरिज का ताजा उपग्रह है, इसे आइआरएस पी6 के नाम से भी जाना जाता है. इसका कार्य जमीन पर मौजूद जल संपदा की निगरानी करना, जंगलों और तटीय इलाकों के बारे में आकड़े जुटाना होता है. यह उपग्रह समुद्र के बारे में भी नयी जानकारियां भी जुटा सकता है. रिसोर्ससैट वर्ष 2003 में छोड़े गये रिसोर्ससैट-1 का स्थान लेगा. इसरो के अनुसार रिसोर्ससैट-2 का जीवनकाल पांच वर्ष होगा. यह कनाडा से अतिरिक्त पेलोड को लेकर भी गया है. जो प्रतिदिन 14 घूर्णन कर पोत निगरानी संबंधी आंकड़े मुहैया करायेगा. रिसोर्ससैट-2 में एक ही प्लेटफ़ार्म पर तीन हाई रिजॉल्यूशन कैमरे लगे हैं. ये कैमरे ऐसी तसवीरें लेंगे जो फ़सलों की स्थिति के आकलन का काम करेंगे. साथ ही, वन कटाई की स्थिति, झीलों और जलाशयों के जल स्तर और हिमालय में पिघलने वाली बर्फ़ पर नजर रखेंगे.

पीएसएलवी मिशन की सफ़लता की कहानी

ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान या पीएसएलवी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र द्वारा संचालित एक प्रक्षेपण यान है. भारत ने इसे अपने सुदूर संवेदी उपग्रह को सूर्य समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित करने के लिए विकसित किया.
पीएसएलवी के विकास से पूर्व यह सुविधा केवल रूस के पास थी. पीएसएलवी छोटे आकार के उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षा में भी भेजने में सक्षम है. यह अपनी विश्वसनीयता और कार्य क्षमता को समय-समय पर सिद्ध करता रहा है. पीएसएलवी के एक उड़ान में 17 मिलियन डॉलर की लगत आती है. यह चार चरणों वाला रॉकेट है. जिसमें ईंधन के रूप में पहले और तीसरे चरण में ठोस और दूसरे और चौथे चरण में द्रव प्रणोदक प्रयोग किये जाते हैं. यह ठोस व द्रव संचालन प्रणाणी का बारी-बारी से इस्तेमाल करता है.
पीएसएलवी का यह लगातार 17वां सफ़ल मिशन है. पीएसएलवी मिशन सिर्फ़ एक बार विफ़ल हुआ था, जब सबसे पहले पीएसएलवी-डी1 को 20 सितंबर 1993 को प्रक्षेपित किया गया था. वर्ष 1994 से पीएसएलवी को इसरो का तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र विकसित कर रहा है. पीएसएलवी के जरिये 44 उपग्रह प्रक्षेपित हो चुके हैं, जिनमें से 25 विदेशी उपग्रह हैं. इससे इसरो ने काफ़ी आय प्राप्त किया है. पीएसएलवी ने जो खास प्रक्षेपण किये हैं, उनमें भारत का चंद्र अभियान चंद्रयान-1 शामिल है, जिसे अक्तूबर 2008 में भेजा गया था. इसके अलावा काटरेसैट और रिसोर्ससैट-1 भी अहम प्रक्षेपणों में शामिल हैं.
मानक पीएसएलवी 44 मीटर लंबा होता है और इसका वजन 295 टन होता है. यह अपने साथ 1,600 किलोग्राम वजनी उपग्रह ले जा सकता है और उन्हें सूर्य समकालिक ध्रुवीय कक्षा में 620 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित कर सकता है. पीएसएलवी भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा में भी 1,050 किलोग्राम वजनी उपग्रह स्थापित कर सकता है. पीएसएलवी ऐसा परिवर्तनशील यान बन गया है जो ध्रुवीय सूर्य समकालिक कक्षा, निम्न पृथ्वी कक्षा और समकालिक स्थानांतरण कक्षा में कई उपग्रहों को स्थापित कर सकता है. पीएसएलवी में एक ही प्रक्षेपण में कई पेलोड और कई मिशन को साथ ले जाने की क्षमता है.
- पीएसएलवी-डी1 आइआरएस-1 -20 सितंबर 1993 – विफ़ल.
- पीएसएलवी-डी2 आइआरएस-पी2 -15 अक्तूबर 1994- सफ़ल.
- पीएसएलवी-डी3 आइआरएस-पी3 -21 मार्च 1996 – सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी1 आइआरएस-1डी -29 सितंबर 1997 – सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी1 ओशियनसैट और दो अन्य उपग्रह -26 मई 1999 – सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी3 टीइएस -22 अक्तूबर 2001 – सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी4 कल्पना-1 -12 सितंबर 2002 – सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी5 रिसोर्ससैट-1 -17 अक्तूबर 2003 – सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी6 काटरेसैट-1 और हैमसैट -5 मई 2005 – सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी7 काटरेसैट-2 और तीन अन्य उपग्रह -10 जनवरी 2007 – सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी8 एजाइल -23 अप्रैल 2007 – सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी10 टीइसीएसएएआर -23 जनवरी 2008 – सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी9 काटरेसैट - 2ए आईएमएस-1 और आठ नैनो उपग्रह -28 अप्रैल 2008 – सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी11 चंद्रयान-1 -22 अक्तूबर 2008 – सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी12 आरआइसैट-2 और एएनयूसैट -20 अप्रैल 2009 – सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी14 ओशियनसैट-2 व छह अन्य उपग्रह -23 सितंबर 2009- सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी15 काटरेसैट-2बी व चार अन्य उपग्रह -12 जुलाई 2010- सफ़ल.
- पीएसएलवी-सी16 रिसोर्ससैट-2 और दो अन्य उपग्रह -20 अप्रैल 2011 – सफ़ल.