भारत-विभाजन
के लिए जितने जिम्मेदार मुस्लिम लीग तथा अंग्रेज हैं, उतने ही ये मूर्ख
हिन्दुत्ववादी भी जिम्मेदार हैं। आजाद भारत में हिन्दू ही हुकूमत करेंगे,
ऐसा शोर मचाकर हिन्दुत्ववादियों ने विभाजनवादी मुसलमानों के लिए एक ठोस
आधार दे दिया था। ये विभाजनवादी लोग कहम् मुहम्मद अली जिन्ना, कहम् सावरकर,
हेडगेवार, गोलवलकर और श्यामाप्रसाद मुखर्जी आदि का भय दिखाकर उनका
चालाकीपूर्वक उपयोग करते थे। हिन्दुत्ववादी ...अभी भी अपनी बेवकूफियों पर
गर्व का अनुभव करते हैं। अंग्रेजों को जिन्हें कभी जेल में रखने की जरूरत
ही नहीं पडी, उन गोलवलकर की अदृश्य ताकत का उपयोग अंग्रेज गांधीजी के खिलाफ
करते थे। शहाबुद्दीन राठौड की भाषा में कहें तो उस समय की राष्टींय
राजनीति में यो लोग जयचन्द थे। भारत का विभाजन गांधी के कारण नहीं हुआ है,
इन लोगों के कारण हुआ है। गांधीजी ने तो अन्त तक भारत विभाजन का विरोध किया
था। गांधीजी ने अन्तिम समय तक इसके लिए जिन्ना के साथ क्रमबद्ध मंत्रणाए!
कीं। गांधीजी ने पाकिस्तान को स्टेट माना था। (देखें प्यारेलाल लिखित'लास्ट
फेज') गांधीजी सर्वसमावेशक उदार राष्टंवादी थे। इसीलिए उन्होंने सब कौमों
को अपनाया था, मात्र मुसलमानों को ही नहीं। प्रत्येक छोटी अस्मिता व्यापक
राष्टींयता में मिल जाय, यह चाहते थे गांधीजी। एक राष्टींय नेता की यह
दूरदृष्टि थी। महात्मा का यह वात्सल्य-भाव था सबके प्रति। बदनसीबी से
हिन्दू राष्टंवादी यह समझना ही नहीं चाहते थ
गांधी ही जिम्मेदार है उसने कहा था की पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा पर उसकी लाश पाक बनते समय नहीं दिखी, बल्कि बाद में गोली के दम पर उसे लाश में बदल दिया गया
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