Thursday, March 22, 2012

हिंदू गर्व के आधार


नौ देवियों से सीखें जीवन प्रबंधन

नवरात्रि में पूजे जाने वाले मां दुर्गा नौ रूप और उनके स्वरूप भी हमें जीना सीखाते हैं। इनकी आराधना से हमें सभी सुख-समृद्धि प्राप्त हो जाती है।
नौ देवियों से सीखें जीवन प्रबंधन..

शैलपुत्री से सीखें हिमालय की दृढ़ता
मां शैलपुत्री का पूजन नवरात्रि के पहले दिन किया जाता है। मां दुर्गा के इस अवतार का जन्म हिमालय के यहां हुआ। इसी वजह से इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। माता का इस स्वरूप में सीख सकते हैं कि किस तरह विषम परिस्थितियों में भी हम हिमालय की तरह दृढ़ता से खड़े रहे।

ब्रह्मचारिणी सीखती हैं तप
नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी का पूजन होता है। ब्रह्मचारिणी अर्थात् ब्रह्मï शक्ति। ब्रह्म शक्ति तप शक्ति की प्रतीक हैं। बिना तपस्या के किसी भी कार्य का पूरा होना असंभव है। तप से ही हमारी इच्छा शक्ति बढ़ती है। ब्रह्मचारिणी यही संदेश देती है कि तप शक्ति से हम किसी भी परिस्थिति पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

चंद्रघंटा से सीखें शत्रु पर विजय कैसे मिलें
दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना तीसरे दिन की जाती है। इन दिनों समाज में बुराइयों का साम्राज्य हो गया है, ऐसी बुराइयों से कैसे निपटा जाएं? इस बात की शिक्षा देती हैं चंद्रघंटा। इन देवी के मस्तक पर घंटाकार चंद्रमा होता है, इसी वजह से इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। घंटाकार चंद्रमा की टंकार से मां दुर्गा के शत्रु भयभीत हो जाते हैं और माता उन विजय प्राप्त करती है। इसी तरह इनकी कृपा से भक्त भी शत्रु पर टंकार से विजय प्राप्त कर सकता है।

कूष्माण्डा हटाती है जीवन से अंधकार
जब चारों ओर अंधकार व्याप्त था उस समय मां कूष्माण्डा ने इस संपूर्ण ब्रह्मांड को रचा। नवरात्रि के चौथे दिन इनकी पूजा की जाती है। मां कूष्माण्डा की उपासना से समस्त रोग-शोक का विनाश होकर आयु, यश व बल की वृद्धि होती है, अंधकार दूर होता है।

स्कन्दमाता सीखाती हैं खुद की बुराइयों से कैसे लड़े...
नवरात्रि के पांचवे दिन पूजा होती है माता स्कंदमाता की। देवासुर संग्राम में मां दुर्गा को देवताओं का सेनापति नियुक्त किया गया था। हमारा जीवन भी देवासुर संग्राम की तरह ही है, मां स्कंदमाता हमें यही सीखाती हैं कि किस तरह हम अपने अंदर की बुराइयों से निपटा जाएं।

कात्यायनी: कठोर तपस्या से मिलता है हर सुख
नवरात्रि के छठें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। महर्षि कात्यायन की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसी वजह से इनका नाम कात्यायनी पड़ा। मां कात्यायनी संदेश देती हैं कि कठोर तपस्या से हर सुख प्राप्त हो जाता है।

कालरात्रि का संदेश, भय मुक्त रहो
मां दुर्गा की सातवीं शक्ति का नाम है कालरात्रि। इनकी पूजा हमें सर्वदा भय से मुक्ति दिलाती है और साहसी एवं दृढ़निश्चयी बनाती है। कालरात्रि सीखाती हैं कि चाहे जैसी भी विषम परिस्थिति हो हमें जीवन में भयमुक्त रहना चाहिए।

महागौरी बताती हैं आत्मबल का महत्व
नवरात्रि के आठवें दिन आत्मबल के महत्व को प्रदर्शित करतीं माता महागौरी का दिन है। यह देवी बताती हैं कि बिना आत्मबल के कुछ भी संभव नहीं है। अत: इस शक्ति की उपासना असंभव कार्य को भी संभव कर देती है।

सिद्धिदात्री सीखाती हैं कार्य कौशल
सिद्धिदात्री अर्थात् सिद्धि देने वाली मां। शिवजी का आधा शरीर नारी का है, नारी का आधा शरीर मां सिद्धिदात्री का ही है। शिवजी इस ब्रह्मांड के पालनकर्ता है और मां सिद्धिदात्री उनके साथ इस ब्रह्मांड का संचालन करती हैं। इसी वजह से दुर्गा का यह रूप कार्य कुशलता का संदेश देता है।

जय हिंद ... वन्देमातरम

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