देशद्रोहियों के नाम :-खूनी पर्चा : आर्य जितेंद्र
राजीव दीक्षित को जहर पिलाने वाला कौन ?
4जून को जनता के ऊपर लट्ठ चलाने वाला कौन ?
बहिन के सम्मुख साध्वी प्रज्ञा की खाल खिंचाने वाला कौन ?
थूक थूक कर जमीं के ऊपर हमें चटाने वाला कौन ?
एक बूंद के बदले तेरा घट पर खून बहाऊंगा ?
जब तक तुझको मिटा न लूंगा, चैन न किंचित पाऊंगा
अमर भूमि से प्रकट हुआ हूं, मर-मर अमर कहाऊंगा,
जब तक तुझको मिटा न लूंगा, चैन न किंचित पाऊंगा।
तुम हो जालिम दगाबाज, मक्कार, सितमगर, अय्यारे,
डाकू, चोर, गिरहकट, रहजन, जाहिल, कौमी गद्दारे,
खूंगर तोते चश्म, हरामी, नाबकार और बदकारे,
दोजख के कुत्ते खुदगर्जी, नीच जालिमों हत्यारे,
अब तेरी फरेबबाजी से रंच न दहशत खाऊंगा,
जब तक तुझको मिटा न लूंगा, चैन न किंचित पाऊंगा
दिल्ली के रामलीला मैदान का घाव भभकता सीने पर,
देशभक्त बलिदानों का अनुराग धधकता सीने पर,
सिंगूर नंदीग्राम का वह जिंदा रक्त उबलता सीने पर,
आंखों देखा जुल्म नक्श है क्रोध उछलता सीने पर,
दस हजार के बदले तेरे तीन करोड़ बहाऊंगा,
जब तक तुझको मिटा न लूंगा, चैन न किंचित पाऊंगा
राजीव दीक्षित को जहर पिलाने वाला कौन ?
4जून को जनता के ऊपर लट्ठ चलाने वाला कौन ?
बहिन के सम्मुख साध्वी प्रज्ञा की खाल खिंचाने वाला कौन ?
थूक थूक कर जमीं के ऊपर हमें चटाने वाला कौन ?
एक बूंद के बदले तेरा घट पर खून बहाऊंगा ?
जब तक तुझको मिटा न लूंगा, चैन न किंचित पाऊंगा
अमर भूमि से प्रकट हुआ हूं, मर-मर अमर कहाऊंगा,
जब तक तुझको मिटा न लूंगा, चैन न किंचित पाऊंगा।
तुम हो जालिम दगाबाज, मक्कार, सितमगर, अय्यारे,
डाकू, चोर, गिरहकट, रहजन, जाहिल, कौमी गद्दारे,
खूंगर तोते चश्म, हरामी, नाबकार और बदकारे,
दोजख के कुत्ते खुदगर्जी, नीच जालिमों हत्यारे,
अब तेरी फरेबबाजी से रंच न दहशत खाऊंगा,
जब तक तुझको मिटा न लूंगा, चैन न किंचित पाऊंगा
दिल्ली के रामलीला मैदान का घाव भभकता सीने पर,
देशभक्त बलिदानों का अनुराग धधकता सीने पर,
सिंगूर नंदीग्राम का वह जिंदा रक्त उबलता सीने पर,
आंखों देखा जुल्म नक्श है क्रोध उछलता सीने पर,
दस हजार के बदले तेरे तीन करोड़ बहाऊंगा,
जब तक तुझको मिटा न लूंगा, चैन न किंचित पाऊंगा
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