Tuesday, August 2, 2011

दो बार फेल हुए थे गणितज्ञ रामानुजन

जीवन जीने के लिए –2
देश के महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन 12वीं में दो बार फेल हुए. उनका वजीफा बंद हो गया. उन्हें क्लर्क की नौकरी करनी पड़ी. इससे पहले उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पहले दरजे से पास की थी. जिस गवर्नमेंट कॉलेज में पढ़ते हुए वे दो बार फेल हुए, बाद में उस कॉलेज का नाम बदल कर उनके नाम पर ही रखा गया.
पटना सहित कई शहरों में उनके नाम पर शिक्षण संस्थान हैं. तब उनकी प्रतिभा को समझनेवाले लोग देश में नहीं थे. उन्होंने तब के बड़े गणितज्ञ जीएच हार्डी को अपना पेपर भेजा. इसमें 120 थ्योरम (प्रमेय) थे. उन्हें कैंब्रिज से बुलावा आया. फेलो ऑफ रॉयल सोसाइटी से सम्मानित किया गया. उनके सूत्र कई वैज्ञानिक खोजों में मददगार बने.
अगर रामानुजन 12वीं में फेल होने पर निराश हो गये होते, तो कल्पना कीजिए, दुनिया को कितना बड़ा नुकसान होता. ठीक है, सभी रामानुजन नहीं हो सकते, पर यह भी अकाट्य सत्य है कि हर किसी कि अपनी विशिष्टता है. इस विशिष्टता का व्यक्तिगत व सामाजिक मूल्य भी है. इसे नष्ट नहीं, बल्कि पहचानने व मांजने की जरत है.
फ्रांस के इमाइल दुर्खीम आत्महत्या पर शोध करनेवाले पहले आधुनिक समाज विज्ञानी हैं.1897 में उन्होंने इसके तीन कारण बताये, जिनमें पहला है आत्मकेंद्रित होना. व्यक्ति का समाज से कट जाना. जिंदगी को अकेलेपन में धकेलने के बदले, आइए हम खुद को सतरंगी समाज का अंग बना दें

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