Sunday, July 24, 2011

सिर्फ लग्‍नकुंडली से ही जातक के लग्‍न का प्रहर जाना जा सकता है !!

पिछले आलेख में चर्चा हुई थी कि किसी भी जन्‍मकुंडली में सूर्य की स्थिति को देखकर बालक के जन्‍म के पहर की जानकारी कैसे प्राप्‍त की जा सकती है। इसपर एक टिप्‍पणी मिली है कि इस विधि से हम सिर्फ लग्‍न कुंडली से ही जन्‍म के समय की जानकारी प्राप्‍त कर सकते हैं , चंद्रकुंडली और सूर्य कुंडली के आधार पर समय की जानकारी नहीं प्राप्‍त कर सकते, बिल्‍कुल सही टिप्‍पणी है। दरअसल ज्‍योतिष में जब भी सिर्फ कुंडली की चर्चा की जाती है , तो वह जन्‍मकुंडली यानि लग्‍न कुंडली ही होती है। भविष्‍यवाणियों में सटीकता लाने के लिए चंद्रकुंडली , सर्यूकुंडली या अन्‍य अनेक प्रकार की कुंडली बनाए जाने की परंपरा शुरू हुई है। लेकिन गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष की माने तो आज भी लग्‍नकुंडली ही किसी व्‍यक्ति के व्‍यक्तित्‍व का दर्पण है , जो उसके पूरे जीवन के विभिन्‍न संदर्भो के सुख दुख और जीवन भर की परिस्थितियों के उतार और चढाव की जानकारी दे सकता है, जिसपर चर्चा करने में अभी कुछ समय तो अवश्‍य लगेगा। भविष्‍यवाणी करने के लिए चंद्र कुंडली , सूर्यकुंडली या सूक्ष्‍मतर रूप से बनाए जाने वाले अन्‍य कुंडलियों का भी आंशिक प्रभाव माना ही जा सकता है।
वैसे चाहे लग्‍नकुंडली हो, चंद्र कुंडली हो, सूर्य कुंडली हो या अन्‍य कोई भी कुंडली , बालक के जन्‍म के समय आसमान में ग्रहों की जो स्थिति होती है , उसी को दर्शाया जाता है , सिफर् अलग अलग खाने को महत्‍व देने से ये कुंडलियां परिवर्तित हो जाती हैं। जिस खाने को महत्‍व दिया जाए , उसे सबसे ऊपर यानि मस्‍तक पर रख दिया जाता है। जब हम लग्‍न को महत्‍व देते हैं , लग्‍नवाले खाने को ऊपर रखते हैं , इससे लग्‍नकुंडली बन जाती है। जब हम चंद्र को महत्‍व देते हैं , चंद्र वाले खाने को ऊपर रखते हैं , चंद्रकुंडली बन जाती है। जब हम सूर्य को महत्‍व देते हैं , सूर्य वाले खाने को ऊपर रखते हैं , सूर्यकुंडली बन जाती है। इसी प्रकार अन्‍य ग्रहों को भी महत्‍व देते हुए आप अन्‍य प्रकार की कुंडली बना सकते हैं , पर उसमें अन्‍य ग्रहों की स्थिति में हम कोई परिवर्तन नहीं कर सकते। नीचे एक जातक की तीनो कुंडलियां देखिए , प्रत्‍येक कुंडली में ग्रहों की स्थिति समान जगह पर है , सिर्फ उन्‍हें अपने तरीके से घुमा दिया गया है। ये है लग्‍नकुंडली ....

                                   
ये है चंद्रकुंडली ........

और ये है सूर्यकुंडली ....

                                      
जैसा कि पहले भी लिखा जा चुका है , सूर्य कुंडली या चंद्र कुंडली तो ढाई दिनों तक पूरे 24 घंटों तक जन्‍म लेनेवाले बच्‍चों के लिए एक ही बनेगी , सिर्फ लग्‍न कुंडली ही मात्र दो घंटे तक यानि पूर्वी क्षितिज में एक लग्‍न के उदय होने तक एक सी रहती है , इसलिए यही बालक के जन्‍म के समय पूर्वी क्षितिज की जानकारी दे पाती है , यही कारण है कि इसी कुंडली से बालक के जन्‍म के समय को जाना जा सकता है।

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