Saturday, July 2, 2011

डॉ. राजीव दीक्षितः असमय शांत हो गई एक ओजस्वी वाणी

ऐसा कम ही होता है कि लोगों की जन्म तिथि और पुण्यतिथि एक हो। क्योंकि जिन लोगों का जन्म और देहांत एक ही दिन होता है वे महान आत्माएं होती हैं। ऐसी ही एक महान आत्मा हमारे बीच नहीं रही। जिसने अपनी तेजस्वी वाणी से भारत के कोने-कोने में स्वदेशी की अलख जगाई और अपने वाक कौशल से लोगों को अंदर तक झकझोर दिया, ऐसे डॉ. राजीव दीक्षित असमय काल का शिकार हो गए। ३० नवंबर १९६७ को उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ जिले के अतरौली तहसील में जन्में राजीव दीक्षित ने ३० नवंबर २०१० को अचानक हार्ट अटैक हो जाने से छत्तीसगढ के भिलाई में अंतिम सांस ली। उस समय वे भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के तत्वाधान में आयोजित भारत स्वाभिमान यात्रा पर थे।

स्वदेशी के प्रखर वक्ता और बाबा रामदेव के मार्गदर्शन में स्थापित भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे राजीव दीक्षित की शुरुआती शिक्षा ग्रामीण परिवेश में हुई। राधेश्याम दीक्षित के घर में जन्में डॉ. राजीव का शुरुआती जीवन वर्धा में व्यतीत हुआ। बेहद सरल और संयमी जीवन जीने वाले राजीव दीक्षित निरंतर साधना में लगे रहते थे। पिछले कुछ महीनों से वे लगातार गांव-गांव व शहर-शहर घूमकर भारत के उत्थान के लिए भ्रष्टाचार और स्वदेशी जैसे मुद्‌दों पर लोगों के बीच जनजाग्रति पैदा कर रहे थे। राजीव भाई वैज्ञानिक भी रहे उन्होंने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ भी काम किया और फ्रांस के टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर के अलावा भारत के सीएसआईआर में भी काम किया था।
 
राजीव दीक्षित पिछले २० सालों से बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बहुराष्ट्रीय उपनिवेशवाद के खिलाफ व स्वदेशी की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे थे। वे मानते थे कि भारत पुनर्गुलामी की ओर बढ़ रहा है और इसे रोकना बहुत जरूरी है। उनकी प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा फिरोजाबाद में हुई। फिर वे १९९४ में उच्च शिक्षा के लिए इलाहबाद चले गए। वे सेटेलाइट कम्युनिकेशन में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे, लेकिन अपनी शिक्षा बीच में ही छोड कर वे देश को विदेशी कंपनियों की लूट से मुक्त करने के लिए स्वदेशी आंदोलन में कूद पड े। शुरू में वे भगतसिंह, उधमसिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों से प्रभावित रहे। बाद में जब उन्होंने गांधी जी को पढ ा तो उनसे भी काफी प्रभावित हुए।


पिछले २० सालों में राजीव दीक्षित ने जो कुछ भी सीखा उसके बारे में लोगों को जागृत किया। भारतीय जनमानस में स्वाभिमान जगाने के लिए उन्होंने लगातार व्याखयान दिए। २० सालों में राजीव भाई ने तकरीबन १५ हजार से अधिक व्याखयान दिए। जिनमें से कुछ व्याखयानों की ऑडियो और वीडियो सीडी भी बनाई गईं। उनके व्याखयानों की सीडी लोगों के बीच खासी लोकप्रिय हैं। उन्होंने सबसे पहले देश में स्वदेशी और विदेशी कंपनियों की सूची तैयार की और लोगों से स्वदेशी अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने पेप्सी और कोक जैसे पेय पदार्थों के खिलाफ आंदोलन चलाया और कानूनी कार्यवाही भी की। पिछले १० सालों से स्वामी रामदेव के साथ संपर्क में रहने के बाद ९ जनवरी २००९ को उन्होंने भारत स्वाभिमान की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली।
 
जब राजीव दीक्षित मंच से बोलते थे, तो सुनने वाले एकटक उनकी ओर देखते हुए उन्हें सुनते रह जाते थे। उनके भाषण में ऐसा सम्मोहन था कि बीच से उठकर जाना कठिन था। आवाज में ऐसा आकर्षण था कि कोई कहीं भी सुने तो खिंचा चला आए। ठोस तथ्यों के साथ वो अपनी बात को इतनी मजबूती और सहज ढंग से रख देते थे कि समझने के लिए दिमाग पर जोर डालने की जरूरत नहीं पड़ती। देश की कठिन से कठिन समस्या पर उन्होंने बेहद सरलता के साथ निदान दिए। कम ही लोगों को समझ आने वाला अर्थशास्त्र भी वे बेहद सरलता के साथ लोगों को समझा देते थे। यही कारण था कि लोगों को उनके रूप में देश का कर्णधार नजर आने लगा था। लेकिन ३० नवंबर २०१० को लोगों की इन उम्मीदों पर उस समय पानी फिर गया जब अचानक आए हार्ट अटैक ने डॉ. राजीव दीक्षित को हमसे छीन लिया। 

5 comments:

  1. पहली बात कि यह कौन सा तथ्य है कि जन्मदिन और मरण-दिन एक हो जाने से कुछ खास बात हो जाती है, वह भी अंग्रेजी तारीख में। राजीव न तो डाक्टरेट प्राप्त थे, न 15000 व्याख्यान दिए, न कलाम के साथ काम किया। यह सब बात बनावटी है।

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    1. पहली बात की आपको यदि जन्मदिन और मरण-दिन एक हो जाने से कुछ खास बात नहीं लगती तो कोई बात नहीं, आप उनके कार्यों को देखिये और उसके बाद बात कीजिये.... हम राष्ट्रभक्त लोगो को तो ""अमर शहीद महाज्ञानी परम आदरणीय श्री राजीव दीक्षित जी"" की हर एक बात, हर एक चीज, हर एक तथ्य.....हद से अधिक खाश बात लगती है और हमें गर्व है की हम श्री राजीव भाई जी के बारे में जानते है....
      आपको शायद पता नहीं अतः आपको बता देता हू की हमारे श्री राजीव भाई जी हजारों नहीं लाखो लोगो का इलाज प्राकर्तिक चिकित्सा पदतियो से कर चूके है, श्री राजीव जी वो महानतम महा-पुरुष है जिन्होने पिछले ३००० वर्षी के इतिहास में पहली बार वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार स्वष्तय-ग्रन्थ को फिर से आज के अनुसार बनाकर लिखा एवं लाखो लोग आज भी उस ग्रन्थ की वजह से बीमारियों से मुक्त होकर निरोगी जीवन जी रहे है.... पहले उनके बारे में पूरी जानकारी कर लीजिए उसके बाद ऐसे भ्रामक एवं असत्य लेख लिखे...

      हा आपकी ये बात बिलकुल सही लगी की उन्होंने १५,००० व्याख्यान नहीं दिए.....
      क्योकि उन्होंने १५,००० से कही ज्यादा व्याख्यान दिए है.. और हा एक और बात अगर उनके अप्रत्यक्ष व्याख्यानों (सीडी, डीवीडी, टीवी, इन्टरनेट, साहित्य आदि के माध्यम से) को भी गिनती में शामिल कर लिया जाये तो भाई जी गिनना मुश्किल ही नहीं असंभव भी हो जायेगा...

      आपने फिर पूरी जानकारी नहीं पता की, श्री राजीव भाई जी ने CSIR में लंबे समय तक कार्य किया है तथा श्री कलाम जी के साथ भी कार्य किया है...

      5000 वर्षों का ज्ञान, असीम स्मृति वाले, अपरिमित क्षमता वाले थे राजीव भाई।
      राजीव भाई को इन्साइक्लोपीडिया कहा जाता था। वे चलते-फिरते अथाह ज्ञान के सागर थे।

       व्यक्ति जब समिष्ट के संकल्प के साथ जीने लगता है तो वो सबका प्रिय हो जाता है। वे अपने माता-पिता के लाल नही थे, बल्कि करोडों-करोडों लोगों के दुलारे और प्यारे थे। वे भारत माता के लाल थे।
      एक मां की कोख धन्य होती है जब ऐसे लाल पैदा होते है।
      राजीव भाई हमारे भाई ही नहीं बल्कि देश के करोडों-करोडों लोगों के भाई थे।
      प्रतिभावान, विनम्र, निष्कलंक जीवन था राजीव भाई का।
      राजीव भाई लगभग दो दशक से अपना संपूर्ण जीवन लोगों के लिये जी रहे थे।

      कुल मिलकर कहे तो - - - - - श्री राजीव भाई भगवान के भेजे हुए एक श्रेष्ठतम रचना थे, धरती पर एक ऐसी सौगात जिसे हम चाह कर भी पुन: निर्मित नहीं कर सकते। - - - - -

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  2. जी आप पहले सचाई से अवगत होले तब ऐसी बात करे आपको कोई ज्ञान नहीं है और न ही आप को समझ है की ये कोन थे और क्या कर के गय है अनजाने को क्षमा किया जा सकता है लेकिन दोष लगाने आपको शोभा नहीं देता

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    1. श्री आकाश मिश्रा जी, आपका लेख बहुत बहुत अच्छा लगा...
      एक और बात आप नकारात्मक कमेन्ट की बिलकुल भी चिंता मत करना. अज्ञानतावश और खाश कर दुर्भाग्यवश कुछ लोग श्री राजीव भाई जी के बारे में नहीं जानते और कुछ लोग मेकोले से ग्रसित है....

      आपका पुनः धन्यवाद, शानदार लेख लिखने के लिए...
      वनदे मातरम... जय श्री राजीव भाई जी...
      जय भारत...

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  3. देश जागरूक कैसे करना है और हम कितने और क्या लोग थे ये इन्होने घर घर तक पहुचाने का जो कार्य है वो शायद कोई और आजाद भारत में किसी ने नहीं किया और शायद कोई करे भी नहीं अहम होता है उस संवेदना को समझना और उनकी कार्य से अवगत होले

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