यह दुनिया चलती है नॉलेज से
जिक इंडस्ट-ी में अपने पांव जमाने की कोशिश में जुटी सूफी गायिका पार्वती कुमारी ने हाल ही में सारेगामा की ओर से अपना नया एलबम बरसे-बरसे नयना लांच किया. झारखंड (धनबाद) से ताल्लुक रखनेवाली पार्वती कुमारी मुंबई के अलावा अन्य शहरों में भी अपने एलबम का प्रचार कर रही हैं.
बरसे-बरसे नयना में उस नायिका की पीड़ा है, जिसे सुकून की तलाश है. चाहे वह प्रियतम से मिलने की तड़प हो या खुदा से जुड़ने की बेचैनी, हर लम्हा उसे पाने की लालसा में बीतता है.पार्वती जब सिर्फ दस साल की थीं, तभी से उनकी सांगीतिक यात्रा शु हो गयी थी. वह अपने शहर में भजन गाया करती थीं. उन्होंने संगीत की शिक्षा गंधर्व महाविद्यालय से ली और म्यूजिक में बीए दिल्ली यूनिवर्सिटी से किया. ओबदा परवीन का संगीत सुनने के बाद सूफी संगीत की तरफ उनका झान बढ़ा. जिसके बाद सूफी संगीत की शिक्षा गुरु चांद फ़रीदी निजामी से दिल्ली में लेनी शु की. पार्वती के अनुसार गुरु निजामी बंधुओं के आशीर्वाद से सूफी संगीत की खिदमत का मौका मिला है. उनसे शब्दों को सुरों में पिरोने की कला सीखी. सूफ़ी संगीत के शहंशाह नुसरत फ़तेह अली खान की आवाज से भी पार्वती काफी प्रभावित हैं.पार्वती का मानना है कि सूफ़ी संगीत इतना पाक है कि यह खुदा से जोड़ता है.
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