Sunday, July 31, 2011

मुसलमानो के अल्लाह सिर्फ़ की प्रेरणा दाता है क्या


मुस्लिमो द्वारा वन्‍देमातम् को लेकर जो गंदा खेल खेला जा रहा है, उसके पीछे देश के एकीकृत ढाचे को तोड़ने की मंशा दिखाई देती है। वन्‍दे मातरम् कोई गीत मात्र नही है बल्कि देश की आजादी के समय स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानियो में जोश भर देने वाला मंत्र था, जिसे गर्व से हिन्‍दू भी गाता था और मु‍स्‍लमान भी और इसके साथ साथ स्‍वतंत्रता की लडाई लड़ने वाला हर भारतीय ने इसे स्‍वाभिमान के साथ स्‍वीकार किया। वंदेमातरम् बोलते समय भगत‍ सिंह अशफाक उल्‍ला के स्‍वर एक साथ फूटते थे और सीना चौड़ा कर अग्रेजो बत्‍तीसी तोड़ने की माद्दा रखते थे। ये असर थ वन्‍देमातरम् का।
इस्‍लामकि खलीफाओ की दादागीरि सिर्फ महिलाओ पर ही होती है। 112 का बुड्डा 17 साल की लड़की से शादी कर रहा है। और भी ऐसी बातें बेहतर पढ़ सकते है। 
आज कुछ तुगलकी मु‍स्‍लमान, ये कह रहे है कि वन्‍देमातरम् गाने से वे नापाक हो जायेगे तो वे कब का नापाक हो चुके है, जितनी बार वन्‍देमातरम् का विरोध करते है उतनी बार ही भारत माता को प्रणाम भी करते है। देश का हर प्रकार के भोजन मे वंदेमातरम् का गान गूँज रहा है और इसे मुस्‍लमान भी खा रहे और और हिन्‍दू भी। आज मु‍स्‍लमान हिन्‍दूओ के साथ रह रहे है, जबकि इस्लाम मे कहा गया है जहाँ भी मूर्तिपूजक मिले उन्‍हे मार डालो, जब तक कि वे अल्‍लाह की पनाह मे न आ जाये। अरे नामकूलो 80 करोड़ हिन्‍दूओ के साथ रह कर अल्‍लाह के नियम को तुम कब का तोड़ चुके हो, तुम अल्‍लाह के गुनाहगार हो गये हो, तुम न तो 80 करोड़ हिन्‍दूओ के मार सके और न ही उन्‍हे अल्‍लाह का गुलाम बना सके। अल्‍लाह के प्रति तुम लोग कितना अनैनिक काम किये जा रहे है, तभी तूम लोगो पर अल्‍लाह रहम किये हुये है, तुम्‍हे हूरो से बद्दुआये नही दिलवा रहा, तुम गर्व से वन्‍देमातनरम् गाओ, इस पर भी अल्‍लाह नाराज नही होगा।
 
यार तुम्‍हारा अल्‍लाह न हो गये हो छुई-मुई जब देखो तब किसी न किसी बात से नाराज हो जाते है कभी महिलाओ द्वारा पुरूष से सेक्‍स से इंकार करने पर भी अल्‍लाह नाराज हो जाता है तो कभी वंदेमातरम् गाने से, अल्‍लाह को सर्वशक्तिमान बने रहने दो छुई-मुई मत बनाओ, अगर तुम लोग अल्‍लाह को छुई-मुई बनाओ के तो जरूर अल्‍लाह नाराज हो जायेगा।
 
हिन्‍दी चिट्ठकारी मे एक सनकी महाराज है, जब सनक सवार होती है तो एक घटिया पोस्‍ट डाल देते है अब वो कर रहे है किदेशभक्ति जताने के लिए मुसलमान 'वन्दे-मातरम्' के मुहताज नहीं है। अब वो देश भक्ति की बात भी करते है और अल्‍लाह भक्ति की भी जबकि उनके अनुसार इस्‍लाम सिर्फ अल्‍लाह की भक्ति की बात ही करता है। बन्‍देमातरम् गाकर देशभक्ति नही कर सकते तो गोलियो के दम देश से देशभक्ति न करो। वन्‍देमारम् न गाने की बात अब हम पाकिस्‍मानी से सीखेगे वो हमे बतायेगा कि हम बन्‍देमातरम् क्‍यो न गाये। जिस बड़े विद्वान डॉ. जाकिर अब्दुल करीम नाइक की बात हो रही है उसे मुस्‍लमानो ने ही पिछले साल इलाहाबाद और लखुनऊ मे घुसने नही दिया, इसलिये कि खुद मुसलमान इससे नफरत करते है।
Postal Stamp Vande Mataram
आज सरकार और उनके गृहमंत्री के सामने यह सब हो रहा है और लज्‍जाहीन गृहमंत्री अपने सामने होने की बात से इंकार कर रहे है इससे ज्‍यादा शर्म की बात और क्‍या हो सकती है? काग्रेसी नीति देश तोड़ो राज करो की नी‍ति थी, अखिर काग्रेस पैदाईस तो है अंग्रेजो की ही। गृहमंत्री को बाबरी ढ़ाचा याद आता है गुजरात याद आ जाता है किन्‍तु वो काग्रेंसियो द्वारा सिखों पर हमले को वो भूल जाते है, आखिर क्‍यो ? क्‍योकि खुद के दामन पर दाग आता है। जब तक देश में देश विरोधी शक्तियाँ सत्‍ता मे रहेगी 20 करोड़ मुस्लिम अल्‍पसंख्‍यक रहेगे और 2 करोड़ सिखों के साथ अन्‍याय किया जाता रहेगा।
 
आज वंदे मातरम गलत है तो कल को भारत के संविधान के खिलाफ फतावा जारी हो सकता है क्‍योकि संविधान सभी को समानता का अधिकार देता है चाहे वो पुरूष हो या स्‍त्री पर इस्‍लाम की किताबो में लिखा है कि एक पुरूष की बयान दो महिलाओ के बराबर होती है। इस्‍लाम की कुछ ऐसी बाते जिसे संविधान प्रतिरोध करता है-
  • एक रखैल अपने मालिक की सम्पत्ति है, वह उसको कोड़े मार सकता है और बेच सकता है ।
भारतीय सविधान के अनुसार ऐसा कृत्‍य अपराध होगा।
  • वह एक बलात पत्नी है और वह अपने मालिक को उसकी इच्छानुसार उसके साथ संभोग करने से इंकार नहीं कर सकती, नही वह वहाँ से भाग सकती थी क्योकि भगोड़े दासों से संबंधित कानून वस्तुत: बहुत कठोर था।
महिला आयोग ही दंडा लेकर पीछे पड़ जायेगी।
  • यदि कोई स्त्री अपने पति से बुलाए जाने पर शय्या पर न आए तो वह फरिश्तों की बद्दुआओं का निशाना बन जाती है । यदि वह अपने पति की शय्या त्याग कर चली जाती है तो भी ठीक ऐसा ही होगा । ( बोखारी, खण्ड 7 पृष्ठ 93 )
आज के समय में स्त्रियाँ चाहे बद्दुआओं का निशाना बने या न बने, ऐसा कृत्‍य करने वाले इस्‍लामिक पुरूषो को महिला आयोग जरूर बद्दुआओं के शिकार हो जायेगे।
  • फिर जब हराम के महीने बीत जाएं, तो 'मुश्रिकों'* को जहाँ कहीं पाओ कत्ल करो, और पकड़ो, और उन्हें घेरो, और घात की जगह उनकी ताक में बैठो । फिर यदि वे ' तौबा ' कर लें नमाज कायम करें, और जकात दें, तो उनका मार्ग छोड़ दो । नि: सन्देह अल्लाह बड़ा क्षमाशील और दया करने वाला है । *मूर्तिपूजको (कुरान - '10 पार: 9 शूर: 5 वीं आयत)
ये भारतीय दंड संहिता की धाराओ का उल्‍लंघन करती है। 
ये तो कुछ ही बाते है जो भारतीय स‍ंविधान की भावना का अतिक्रमण करने है और भारतीय संविधान इसका अतिक्रमण करता है। इस लहजे से जब वंदेमातरम से अल्‍लाह नाराज हो जाता है तो भारतीय संविधान द्वारा अल्‍लाह के पावर में हस्‍तक्षेप कैसे अल्‍लाह और उनके कठमुल्‍ले कैसे बर्दाश्‍त कर सकते है? फतवा तो संविधान के खिलाफ होना च‍ाहिये। मुस्‍लमानो का संविधान के प्रति फतावा जरूरी भी है, क्योकि देश‍भक्ति जताने के लिये बंदेमातरम) जरूरी नही है उसी प्रकार मुस्लिमो के अनुसार देश में रहने के लिये संविधान भी जरूरी नही है। वैसे भी संविधान गैर इस्‍लामिक हो गया है, और मुस्लिमो के लिये भारत उनका कब रहा ही है जो वो संविधान से बंधे रहे ? 
और अ़ंत में आज मुझे अपने हिन्‍दू होने और कहने पर गर्व है कि मै सूर्य, पृथ्वी, जल, वायु या प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष किसी के भी प्रति कृतज्ञता प्रकट कर सकता हूँ, जिससे हमें कुछ मिल रहा है हमारा धर्म हमें यही सिखाता भी है। क्‍योकि हमारा ईश्‍वर छुई-मुई जो नही है, कि छूने से ही मुरझा जाये।

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