Sunday, July 10, 2011

आपका बच्चा गणित में कमजोर तो नहीं


ज्यादातर छात्रों को गणित मुष्किल विशय लगता है लेकिन कुछ छात्रों के गणित में कमजोर होने का कारण डिसकैलकुलिया नामक स्नायु बीमारी (न्यूरोकोगनिटिव डिसआर्डर) है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चे बुनियादी संख्यात्मक और गणित अवधारणायें नहीं सीख पाते। इसलिए डिसलेक्सिया के समान ही डिसकैलकुलिया से पीड़ित बच्चों को भी शिक्षा की मुख्य धारा में लाने के लिए विशेष प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसके लिए विश्व भर के वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने एक आवश्यक तंत्रिका नेटवर्क की स्थापना की है जो डिसकैलकुलिया से पीड़ित व्यक्ति के दिमाग के नेटवर्क में अंकगणित और इससे संबंधित असमान्यताओं का पता लगाता है।
डिसकैलकुलिया एक प्रकार का डिसलेक्सिया है और मैथेमैटिक्स डिसलेक्सिया के नाम से जाना जाता है। हालांकि डिसलेक्सिया की तरह ही डिसकैलकुलिया से सिर्फ 7 प्रतिशत आबादी ही पीड़ित है। डिसकैलकुलिया से पीड़ित बच्चों को गणित खासकर अंकगणित सीखने में कठिनाई होती है। उन्हें समय और माप की गणना करने में कठिनाई होती है। हालांकि ऐसे बच्चों को सिर्फ गणना में समस्या आती है बाकी विषयों में वे अच्छे होते हैं। ऐसे बच्चों की लिखावट, पढ़ाई और बोलने का कौशल सामान्य हो सकता है और उनका बुद्धि स्तर सामान्य होता है। यह विकार मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में हुए नुकसान का परिणाम होता है। लेकिन संज्ञानात्मक विकास से संबंधित इस डिसआर्डर की लोग अक्सर उपेक्षा करते हैं।
तंत्रिका विज्ञान संबंधित इस अनुसंधान से पता चलता है कि सरल संख्या के अवधारणाओं को मजबूत करने के लिए किस तरह की मदद की सबसे ज्यादा जरूरत है। इसे उचित तरीके से विशेष रूप से डिजाइन किये गए शिक्षण योजनाओं से प्राप्त किया जा सकता है जिसे गेम की तरह सॉफ्टवेयर से समर्थन प्रदान किया जाता है जो शिक्षार्थी के सीखने के मौजूदा स्तर के अनुकूल बनाता है।
यूसीएल इंस्टीच्यूट ऑफ कोगनिटिव न्यूरोसाइंस में सेंटर फॉर एजुकेशनल न्यूरोसाइंस (सीईएन) के सदस्य और इस अध्ययन के सहअनुसंधानकर्ता प्रोफेसर ब्रायन बटरवर्थ कहते हैं, ‘‘डिसकैलकुलिया व्यक्ति को डिसलेक्सिया की तरह ही विकलांग बनाता है। फिर भी सिर्फ शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर ही इस डिसआर्डर पर सरसरी संदर्भ दिये गये हैं लेकिन शिक्षार्थी, शिक्षक या माता-पिता की सहायता के लिए कोई सलाह नहीं दिये गये हैं क्योंकि सरकार इस बीमारी के अस्तित्व को स्वीकार करना नहीं चाहती। ’’
डिसलेक्सिया की तरह ही, डिसकैलकुलिया वैसी स्थिति है बच्चा जिसके साथ ही पैदा होता है और यह अधिकतर मामलों में वंशानुगत हो सकता है। जुड़वा बच्चों और विशेष आबादी पर किये गए अनुसंधानों से पता चलता है कि अंकगणितीय विकलांगता एक बड़ा आनुवांशिक घटक है, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार जीन की पहचान नहीं की गयी है।
यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के इंस्टीच्यूट ऑफ एजुकेशन (आईओई) के सीईएन के सदस्य और सह शोधकर्ता प्रोफेसर डायना लौरीलार्ड कहती हैं, ‘‘डिसकैलकुलिया के आनुवांशिक होने का मतलब यह नहीं है कि इसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता। डिसलेक्सिया की तरह ही विशेष शिक्षण से इसमें मदद मिल सकती है। आईओई में विकसित सॉफ्टवेयर से डिसकैलकुलिया से पीड़ित बच्चों को सहायता मिल सकती है। मस्तिश्क अनुसंधान पर आधारित इस अनुसंधान से पता चलता है कि मस्तिश्क में वास्तव में क्या समस्या है।’’
प्रोफेसर लौरीलार्ड कहते हैं, ‘‘तंत्रिका विज्ञान और विकासात्मक मनोविज्ञान के परिणाम हमें बताते हैं कि डिसकैलकुलिया से पीड़ित शिक्षार्थी को सामान्य शिक्षार्थियों की तुलना में अधिक संख्या में कार्य अभ्यास करने की जरूरत है। एडेप्टिव, गेम की तरह प्रोग्राम जो संख्याओं को सार्थक बनाने पर बल देते हैं, स्कूल से अलग शिक्षार्थियों को सीखने में सहायता कर सकते हैं और अंकगणित को हल करने में आवयक बुनियादी समझ को विकसित कर सकते हैं। इस शोध को सुप्रसिद्ध साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

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