Sunday, July 24, 2011

1.जन्‍मकुंडली से तिथि का अनुमान किया जा सकता है !!
ज्‍योतिष जैसे गूढ विषय को सैद्धांतिक रूप में नहीं , यानि किताबी भाषा में नहीं , व्‍यावहारिक तौर पर लेख के द्वारा समझाने का प्रयास करना आसान नहीं, भाषा के हेरफेर से कुछ त्रुटि रह ही जाती है , पिछले पोस्‍ट पर हुई ऐसी ही गलती पर हमारा ध्‍यान दिनेश राय द्विवेदी जी ने आकृष्‍ट किया। निंदक के तौर पर उनकी टिप्‍पणियों के मिलने से आप सबों की जानकारी में अवश्‍य वृद्धि होगी। वैसे उनके द्वारा टिप्‍पणी की गयी भाषा में थोडी तल्‍खी अवश्‍य है, जो किसी के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्‍त होने पर स्‍वाभाविक रूप से आ जाती है, इसलिए इसे इग्‍नोर करना ही मैं उचित समझती हूं।

दरअसल अपने ब्‍लॉग के सामान्‍य पाठकों को अभी पंचांग के बारे में जानकारी देने का मेरा इरादा नहीं था , अभी तक लिखे गए आलेखों में जन्‍मकुंडली को देखकर आसमान की स्थिति , लग्‍न , जन्‍म समय , सूर्यराशि और चंद्रराशि निकालने के बारे में जानकारी देने के बाद इस आलेख के द्वारा मैं तो मात्र यह समझाना चाह रही थी कि किसी जन्‍मकुंडली में सूर्य की स्थिति को देखते हुए आप जन्‍म के महीने का मोटामोटी अंदाजा किस प्रकार लगा सकते हैं , जिस दिन आपलोगों को पंचांग के बारे में जानकारी मिलेगी , बहुत कुछ समझ में आ ही जाएगा।

जैसा कि अबतक हम समझ चुके , सूर्य एक एक महीने प्रत्‍येक राशि में होता है , उस एक महीने के दौरान चंद्रमा सभी राशियों का चक्‍कर लगा लेता है। चंद्रमा को 360 डिग्री की इन बारहों राशियों को पार करने में लगभग 30 दिन लगते हैं , क्‍यूंकि वह ढाई ढाई दिनों तक एक राशि में रहता है। जब जन्‍मकुंडली में सूर्य और चंद्र एक साथ हो , तो वह अमावस्‍या या उसके आसपास का दिन होता है , जबकि जन्‍मकुंडली में सूर्य और चंद्र आमने सामने हो , तो वह पूर्णिमा या उसके आस पास का दिन होता है।

जन्‍मकुंडली में सूर्य से दूर होते हुए चंद्रमा को देखकर आप शुक्‍ल पक्ष की विभिन्‍न तिथियों का अंदाजा लगा सकते हैं। सूर्य से एक खाने बाद रहने वाले चंद्र से तृतीया के आसपास , सूर्य से दो खाने बाद रहने वाले चंद्र से पंचमी के आसपास , सूर्य से तीन खाने बाद रहने वाले चंद्र से अष्‍टमी के असपास , सूर्य से चार खाने बाद रहने वाले चंद्र से दशमी के आसपास , सूर्य से पांच खाने बाद रहने वाले चंद्र से त्रयोदशी के आसपास और सूर्य के सामने रहने वाले चंद्रमा से पूर्णिमा के आसपास की तिथि में बालक का जन्‍म समझा जा सकता है।

इस तरह जन्‍मकुंडली में सूर्य की ओर प्रवृत्‍त होते चंद्रमा को देखकर आप कृष्‍ण पक्ष की विभिन्‍न तिथियों का आकलन कर सकते हैं । सूर्य से पांच खाने पहले रहनेवाले चंद्र से तृतीया के आसपास , सूर्य से चार खाने पहले रहने वाले चंद्र से पंचमी के आसपास , सूर्य से तीन खाने पहले रहने वाले चंद्र से अष्‍टमी के आसपास , सूर्य से दो खाने पहले रहने वाले चंद्र से दशमी के आसपास , सूर्य से एक खाने पहले रहनेवाले चंद्र से त्रयोदशी के आसपास और सूर्य के साथ रहने वाले चंद्र से अमावस्‍या के आसपास की तिथि में बालक का जन्‍म समझा जा सकता है।






2.पाश्‍चात्‍य ज्‍योतिषियों के अनुसार सूर्य राशि
पिछले आलेख में लिखी गयी खा‍मी की ओर डॉ महेश सिन्‍हा जी और हेम पांडेय जी ने इशारा किया। वास्‍तव में एक एक तिथि की चर्चा न कर पिछले आलेख में पूरे वर्ष के दौरान मैं मोटे तौर पर सूर्य के प्रत्‍येक राशि में एक एक महीने समझाना था , क्‍यूंकि इन एक दो दिनों के विचलन पर ध्‍यान देने में पाठकों को संकेन्‍द्रण गडबड हो सकता था।

वास्‍तव में सूर्य 15 अप्रैल को मेष राशि में जाकर 14 मई तक वहां रहकर 15 मई से 15 जून तक वृष राशि में होता है। इसी प्रकार 16 जून से 15 जुलाई तक मिथुन में, 16 जुलाई से 16 अगस्‍त तक कर्क में, 17 अगस्‍त से 17 सितंबर सिंह में, 18 सितंबर से 17 अक्‍तूबर कन्‍या में, 18 अक्‍तूबर से 16 नवंबर तुला में, 17 नवंबर से 16 दिसंबर वृश्चिक में, 17 दिसंबर से 14 जनवरी धनु में, 15 जनवरी से 12 फरवरी मकर में, 13 फरवरी से 14 मार्च कुंभ में तथा 15 मार्च से 14 अप्रैल तक मीन राशि में घूमते हुए पुन: 15 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश करता है। इसी के आधार पर सूर्यराशि का फैसला किया जा सकता है।
कुछ मासिक पत्रिकाओं में हर महीने की 22 या 23 तारीख को ही सूर्य का राशि परिवर्तन दिखाया जाता है , Aries (21 March-20 April)
Taurus (21 April-21 May)
Gemini (22 May-21 June)
Cancer (22 June-22 July)
Leo (23 July-22 August)
Virgo (23 August-21 September)
Libra (22 September-22 October)
Scorpio (23 October-21 November)
Sagittarius (22 November-21 December)
Capricorn (22 December-20 January)
Aquarius (21 January-19 February)
Pisces (20 February-20 March)
यानि हमारे द्वारा गणना किए जानेवाली तिथि से 24 या 25 दिन पूर्व ही , इसका कारण पाश्‍चात्‍य ज्‍योतिषियों द्वारा आसमान के 0 डिग्री को भारतीय ज्‍योतिषियों से 25 डिग्री पहले मान लिया जाना है। इसके कारण की चर्चा कभी बाद में , पर हमारा मत है कि हमारे ऋषियों द्वारा तय किए गए राशि वर्गीकरण में कोई खामी नहीं है और इसमें किसी प्रकार के तर्क को घुसेडने की कोई जगह नहीं।






3.किसी जन्‍मकुंडली में सूर्य की स्थिति को देखकर जन्‍म के महीने का पता लगाया जा सकता है !!
पिछले आलेख में हमने जाना कि पृथ्‍वी की घूर्णन गति के फलस्‍वरूप सूर्य 24 घंटों में एक बार आसमान के चारो ओर घूमता नजर आता है। इस कारण सूर्य की स्थिति को देखते हुए किसी भी लग्‍नकुंडली के द्वारा बच्‍चे के जन्‍म का समय निकाला जा सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं , पृथ्‍वी की परिभ्रमण गति के कारण भी सूर्य की स्थिति में परिवर्तन देखा जाता है । आसमान को 12 भागों में बांटते वक्‍त जहां पर 0 डिग्री से शुरू किया गया है , उस स्‍थान पर सूर्य प्रतिवर्ष 14 अप्रैल को पहुंच जाता है और प्रतिदिन एक एक डिग्री बढता हुआ वर्षभर बाद पुन: उसी स्‍थान पर पहुंच जाता है। इस प्रकार यह एक एक महीने में 12 राशियों को पार करता जाता है।

सूर्य की स्थिति 14 अप्रैल से 14 मई तक मेष राशि में , 14 मई से 14 जून तक वृष राशि में , 14 जून से 14 जुलाई तक मिथुन राशि में 14 जुलाई से 14 अगस्‍त तक कर्क राशि में , 14 अगस्‍त से 14 सितंबर तक सिंह राशि में , 14 सितंबर से 14 अक्‍तूबर तक कन्‍या राशि में , 14 अक्‍तूबर से 14 नवंबर तक तुला राशि में , 14 नवंबर से 14 दिसंबर तक वृश्चिक राशि में , 14 दिसंबर से 14 जनवरी तक धनु राशि में , 14 जनवरी से 14 फरवरी तक मकर राशि में , 14 फरवरी से 14 मार्च तक कुंभ राशि में तथा 14 मार्च से 14 अप्रैल तक मीन राशि में होती है।

यही कारण है कि 14 अप्रैल से 14 मई तक जन्‍म लेनेवालों की सूर्यराशि मेष , 14 मई से 14 जून तक जन्‍म लेनेवालों की सूर्यराशि वृष , 14 जून से 14 जुलाई तक जन्‍म लेनेवालों की सूर्यराशि मिथुन , 14 जुलाई से 14 अगस्‍त तक जन्‍म लेनेवालों की सूर्यराशि कर्क  , 14 अगस्‍त से 14 सितंबर तक जन्‍म लेनेवालों की सूर्यराशि सिंह , 14 सितंबर से 14 अक्‍तूबर तक जन्‍म लेनेवालों की सूर्यराशि कन्‍या , 14 अक्‍तूबर से 14 नवंबर तक जन्‍म लेनेवालों की सूर्यराशि तुला  , 14 नवंबर से 14 दिसंबर तक जन्‍म लेनेवालों की सूर्यराशि वृश्चिक , 14 दिसंबर से 14 जनवरी तक जन्‍म लेनेवालों की सूर्यराशि धनु , 14 जनवरी से 14 फरवरी तक जन्‍म लेनेवालों की सूर्यराशि मकर , 14 फरवरी से 14 मार्च तक जन्‍म लेनेवालों की सूर्यराशि कुंभ तथा 14 मार्च से 14 अप्रैल तक जन्‍म लेनेवालों की सूर्यराशि मीन होती है।

इसलिए किसी भी जन्‍मकुंडली में बालक की सूर्यराशि मेष हो तो समझ लें कि जातक ने14 अप्रैल से 14 मई के मध्‍य जन्‍म लिया है। इसी प्रकार सूर्यराशि वृष हो , तो उसके 14 मई से 14 जून के मध्‍य जन्‍म लेने , सूर्यराशि मिथुन हो , तो उसके 14 जून से 14 जुलाई के मध्‍य जन्‍म लेने , सूर्यराशि कर्क हो , तो उसके 14 जुलाई से 14 अगस्‍त के मध्‍य जन्‍म लेने , सूर्य राशि सिंह हो तो उसके 14 अगस्‍त से 14 सितंबर तक जन्‍म लेने , सूर्य राशि कन्‍या हो , तो उसके 14 सितंबर से 14 अक्‍तूबर के मध्‍य जन्‍म लेने , सूर्य राशि तुला हो , तो उसके 14 अक्‍तूबर से 14 नवंबर के मध्‍य जन्‍म लेने , सूर्य राशि वृश्चिक हो , तो उसके 14 नवंबर से 14 दिसंबर के मध्‍य जन्‍मलेने , सूर्य राशि धनु हो तो उसके 14 दिसंबर से 14 जनवरी के मध्‍य जन्‍म लेने , सूर्यराशि मकर हो , तो उसके 14 जनवरी से 14 फरवरी के मध्‍य जन्‍म लेने , सूर्यराशि कुंभ हो , तो उसके 14 फरवरी से 14 मार्च के मध्‍य जन्‍म लेने तथा सूर्यराशि मीन हो , तो उसके 14 मार्च से 14 अप्रैल के मध्‍य जन्‍म लेने की पुष्टि हो जाती है।





4.भचक्र की राशियों में से तीन हमारे लिए बहुत महत्‍वपूर्ण
आज एक बार फिर से शीर्षक में परिवर्तन करते हुए पिछली कडी को आगे बढा रही हूं। हमारा सामना अक्‍सर कुछ वैसे लोगों से होता है , जो ऐसे तो कभी ग्रहों या ज्‍योतिष पर विश्‍वास नहीं करते , पर जब कभी लंबे समय तक चलने वाली किसी विपत्ति में फंसते हैं , ज्‍योतिष पर अंधविश्‍वास ही करने लगते हैं। ऐसी हालत में उनकी परेशानियां दुगुनी तिगुणी बढने लगती है ,अपनी समस्‍याओं में त्‍वरित सुधार लाने के लिए वे उस समय हम जैसों की अच्‍छी सलाह भी नहीं मानते। ज्ञान हर प्रकार के भ्रम का उन्‍मूलन करती है , ज्‍योतिष को जानने के बाद आप स्‍वयं सही निर्णय ले सकते हैं। यही सोंचकर मै अधिक से अधिक लोगों को खेल खेल में ज्‍योतिष सीखलाने की बात सोंच रही हूं , आप सबों का सहयोग मुझे अवश्‍य सफलता देगा।


पिछले लेखमाला में हमने सीखा कि ज्‍योतिष में पृथ्‍वी के सापेक्ष पूरे भचक्र का अवलोकण किया जाता है , साथ ही सूर्य के उदाहरण से समझने में सफलता मिली कि विभिन्‍न पिंड पृथ्‍वी सापेक्ष अपनी स्थिति के अनुरूप ही पृथ्‍वी पर प्रभाव डालते हैं। पहले ही लेख में चर्चा की गयी है कि पृथ्‍वी को स्थिर मानकर पूरे आसमान के 360 डिग्री को 12 भागों में बांटने से 30 - 30 डिग्री की 12 राशियां बनती है। आमान के 0 डिग्री से 30 डिग्री तक को मेष , 30 डिग्री से 60 डिग्री तक को वृष , 60 डिग्री से 90 डिग्री तक को मिथुन , 90 डिग्री से 120 डिग्री तक को कर्क , 120 डिग्री से 150 डिग्री तक को सिंह , 150 से 180 डिग्री तक को कन्‍या , 180 से 210 डिग्री तक को तुला , 210 से 240 डिग्री तक को वृश्चिक , 240 से 270 डिग्री तक को धनु , 270 डिग्री से 300 डिग्री तक को मकर , 300 से 330 डिग्री तक को कुंभ तथा 330 से 360 डिग्री तक को मीन कहा जाता है।

हमारे ऋषि महर्षियों द्वारा आसमान के 0 डिग्री एक आधार को लेकर निश्चित किया गया था , पर कुछ ज्‍योतिष विरोधी हमारे ऋषि महर्षियों द्वारा आसमान के अध्‍ययन के लिए किए गए इस विभाजन को भी अवास्‍तविक मानते हैं , पर मेरे अनुसार यह विभाजन ठीक उसी प्रकार किया गया है , जिस प्रकार पृथ्‍वी के अध्‍ययन के लिए हमने आक्षांस और देशांतर रेखाएं खींची हैं। जिस प्रकार भूमध्‍य रेखा से ही 0 डिग्री की गणना की जानी सटीक है तथा देशांतर रेखाओं  की शुरूआत और अंत दोनो ध्रुवों पर करना आवश्‍यक है , उसी प्रकार आसमान में किसी खास विंदू से 0 डिग्री शुरू कर चारो ओर घुमाते हुए 360 डिग्री तक पहुंचाया गया है , हालांकि यह विंदू भी ज्‍योतिष में विवादास्‍पद बना हुआ है , जिसका कोई औचित्‍य नहीं। पृथ्‍वी की घूर्णन गति के कारण 24 घंटों में ये बारहों राशियां पूरब से उदित होती हुई पश्चिम में अस्‍त होती जाती है।

यूं तो ये बारहों राशियां और इनमें स्थित ग्रह हमारे लिए महत्‍वपूर्ण हैं , पर तीन राशियां सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण होती हैं। पहली, जिस राशि में बालक के जन्‍म के समय सूर्य होता है , वो उसकी सूर्य राशि कहलाती है। दूसरी, जिस राशि में बालक के जन्‍म के समय चंद्रमा होता है , वो उसकी चंद्र राशि कहलाती है। तीसरी, जिस राशि का उदय बालक के जन्‍म के समय पूर्वी क्षितिज पर होता है, वह बालक की लग्‍न राशि कलाती है। एक महीने तक सूर्य एक ही राशि में होता है , इसलिए एक महीने के अंदर जन्‍म लेने वाले सभी लोग एक सूर्य राशि में आ जाते हैं। ढाई दिनों तक चंद्रमा एक ही राशि में होता है , इस दौरान जन्‍म लेने वाले सभी लोग एक ही चंद्र राशि में आते हैं। दो घंटे तक एक ही लग्‍न उदित होती रहती है , इस दौरान जन्‍म लेने वाले सभी बच्‍चे एक ही लग्‍न राशि में आ जाते हैं।







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