Thursday, October 6, 2011

7वीं पास ने हवा से बिजली पैदा कर दी

मनुष्य यदि किसी काम को करने की ठान ले तो मुश्किलें भी उसके लिए राह बनाने लगती हैं। मुजफ्फरनगर जिले के युवक सुनील ने इसे एक बार फिर साबित किया है।

ग्रामीण परिवेश में पलने वाले सुनील ने हवा से बिजली उत्पन्न करने वाले प्रोजेक्टर से पंखा, रेडियो और ट्यूब जलाकर लोगों को हैरत में डाल दिया है। थाना नकुड़ के ग्राम खेड़ा अफगान के मजरा याकूबपुर निवासी मोकम सिंह के पांच पुत्र हैं। पूरा परिवार मजदूरी पर आश्रित है। मोकम सिंह का एक पुत्र सुनील (22) घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण सात तक ही पढ़ पाया। लेकिन उसने वर्ष 2003 से बिजली उत्पन्न करने वाले यंत्र बनाने का सपना अपने मन में संजो रखा था।

चार साल के अथक प्रयास के बाद उसकी मेहनत रंग लायी और 2007 में उसने अपने सपने को साकार कर दिखाया। उसने हवा से बिजली उत्पन्न करने वाले ऐसे यंत्र का आविष्कार कर दिया जिसे देख कर लोग दांतो तले अंगुली दबाने पर मजबूर हो गए। सुनील ने मात्र 50 रुपये की लागत से घर पर ही ऐसा यंत्र तैयार किया जिससे चार वॉल्ट डीसी का करंट उत्पन्न होता है। उसके इस कार्य की सराहना करते हुए बहुजन समाज पार्टी के पूर्व समन्वयक और परिवहन मंत्री डॉ. मेघराज सिंह जरावरे ने वर्ष 2008 उसे सम्मानित किया। जब उसके इस कार्य की सूचना बिजली निगम को लगी तो सुपरिंटेंडिंग इंजिनियर शेष कुमार बघेल ने भी उसकी इस खोज को देखने की इच्छा व्यक्त की।

सुनील ने बताया कि उसका लक्ष्य इस परियोजना तक सीमित नहीं है। उसका अगला लक्ष्य मोटरसाइकिल के इंजन से हेलिकॉप्टर बनाने का है। उसने अपने द्वारा तैयार हेलिकॉप्टर के कलपुर्जों को पत्रकारों को दिखाया जिसे देखकर सभी दंग रह गए। सुनील ने बताया कि उसके इस काम की सराहना तो सभी ने की, लेकिन सरकार अथवा किसी ने भी उसकी आर्थिक सहायता नहीं की। उसने कहा कि यदि सरकार उसे साधन उप्लब्ध कराए तो वह हवा से बिजली उत्पन्न करने वाली एक बड़ी परियोजना तैयार कर सकता है।

सुनील के पिता मोकम ने बताया कि आर्थिक दशा खराब होने की वजह से उन्होंने उसके कार्य को हमेशा पागलपन समझा, लेकिन अब पूरा परिवार उसके साथ है।

Sunday, October 2, 2011

कांग्रेस रंगे हाथ सबूत के साथ पकड में आई मगर कोई क्या कर लेंगा

नई दिल्ली। क्या प्रणब मुखर्जी ने चिदंबरम को लेकर वित्त मंत्रालय के खत से उपजे विवाद से तंग आकर पद छोड़ने की धमकी दी थी? क्या उन्होंने प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी से ये कहा था कि बस अब बहुत हो गया, अब मुझे मंत्री पद की जिम्मेदारियों से मुक्त कीजिए? चर्चा तो यहां तक है कि प्रणब दा इतने खफा थे कि उन्हें मनाने के लिए खुद सोनिया गांधी उतरीं। हालांकि कांग्रेस इन खबरों को निराधार बता रही है।
माना जा रहा है कि अमेरिका में जब प्रणब मुखर्जी वॉशिंगटन डीसी में थे तो उन्होंने अचानक अपना कार्यक्रम बदला और न्यूयॉर्क जाने की इच्छा जताई। उन्हें न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम में पहुंचे प्रधानमंत्री से मिलना था। संकेत साफ थे प्रणब मुखर्जी कुछ कहना चाहते थे। लेकिन क्या? कहा जा रहा है कि ये पहला मौका था जब प्रणब ने इस्तीफे की पेशकश कर दी। सत्ता के सूत्रों की मानी जाए तो एक चिट्ठी से उपजे विवाद में पीएमओ, चिदंबरम और खुद को घसीटे जाने से प्रणब बुरी तरह आहत थे, उनका धैर्य जवाब देने लग गया था।
अमेरिका में प्रणब ने कर दी थी इस्तीफे की पेशकश!
प्रणब को लगने लगा था कि वो चिट्ठी जिसमें ये कहा गया था कि अगर तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम चाहते तो टेलीकॉम घोटाला रोका जा सकता था, उनके गले में लटका कर उनपर आरोप मढ़े जा रहे हैं। वो चिट्ठी जिसके पीछे वो खुद अकेले नहीं थे, कई मंत्रालयों की राय ली गई थी, वो चिट्ठी जिसमें इनपुट खुद प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी दिया था, अब उसकी सूली पर वो क्यों चढ़ें। सो प्रणब का पारा चढ़ रहा था और सियासी सूत्रों की मानें तो उन्होंने विदेश दौरे पर गए प्रधानमंत्री से विदेश में ही अपनी नाराजगी जता दी। उन्होंने कह दिया- बस, अब बहुत हो गया, अब आप मुझे कैबिनेट मंत्री के पद से मुक्त कीजिए।
अमेरिका से लौटने के बाद भारत में सोनिया के दखल के बाद प्रधानमंत्री ने भी अपनी आवाज बढ़ाई और उसके बाद खिंचे खिंचे प्रणब और चिदंबरम मिले उससे ये साफ हो जाता है कि अमेरिका में प्रणब ने अपनी सफाई में बहुत कुछ कहा होगा। समझा जा रहा है कि प्रणब चिट्ठी विवाद पर सरकार के एक हिस्से के बर्ताव से खफा थे, दुखी थे और खिन्न थे।
जाहिर है प्रधानमंत्री तब तक प्रणब मुखर्जी के इस्तीफे की पेशकश की जानकारी सोनिया को दे चुके थे। सो सोनिया ने न्यौता भेजा और 10 जनपथ में प्रणब के साथ उनकी बैठक 45 मिनट तक खिंची। दरअसल, सरकार को शर्मसार होने से बचाने-मंत्रियों के झगड़े को निपटाने का सारा रास्ता इसी बैठक से निकला। बताया जा रहा है कि सोनिया ने प्रणब से कई अनुरोध किए।
1. प्रणब को किसी भी तरह डैमेज कंट्रोल करने को कहा गया। 2. टेलीकॉम घोटाले पर राजनीतिक जमीन खो रही सरकार को संभालते हुए विपक्ष को जवाब देने को कहा गया। सोनिया के शब्द अटल थे-पत्थर की लकीर थे सो प्रणब बाबू चिदंबरम के साथ एक मंच पर आने को तैयार हो गए। हालांकि, साथ खड़े होने के लिए दो आला मंत्रियों को भी आना पड़ा और इस तरह सत्ता का ये सीजफायर लागू हो सका।

अगली बार राबर्ट वाड्रा को बेनकाब करूंगा : स्वामी

लखनऊ। जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने शनिवार को कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत जुटा रहे हैं। स्वामी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैं भ्रष्टाचार में राबर्ट वाड्रा की संलिप्तता साबित करने के लिए सबूत जुटाने की प्रक्रिया में हूं। अभी मैं इस बारे में कुछ और खुलासा करने नहीं जा रहा।
स्वामी ने 'घोटाले की प्रकृति' जिसमें वाड्रा कथित रूप से संलिप्त हैं, उसके बारे में कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। स्वामी ने कहा कि मैं जब कभी भी भ्रष्ट व्यक्तियों को बेनकाब करने का प्रयास करता हूं तो मेरी निष्ठा पर सवाल उठाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि 2जी घोटाले में जब मैंने ए. राजा की संलिप्तता उजागर की तो विरोधियों ने मुझे दलित विरोधी बताया। इसी तरह इस घोटाले में जब कनिमोझी गिरफ्तार हुईं तो यह कहा गया कि मैंने उन्हें इसलिए बेनकाब किया क्योंकि वह महिला हैं और मैं सामान्य रूप से महिला विरोधी हूं।
स्वामी ने कहा कि यह सब आधारहीन बातें हैं। मैं अपने आरोपों को हमेशा दस्तावेजों से पुष्ट करता हूं और इन दस्तावेजों को मैं व्यक्तिगत रूप से जुटाता हूं। 2जी घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की खिंचाई करते हुए स्वामी ने कहा कि यहां तक कि घोटाले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम की भूमिका के संकेत देने वाले दस्तावेज मौजूद हैं लेकिन उन्हें मामले में सह-आरोपी नहीं बनाया गया है। मैं उन्हें सह-आरोपी बनाने का प्रयास करूंगा।
अगली बार राबर्ट वाड्रा को बेनकाब करूंगा : स्वामी
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी 50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और वह इस सिलसिले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ 'सामंजस्य' बिठाने के लिए तैयार हैं। स्वामी ने कहा कि इस मसले पर हालांकि भाजपा को निर्णय करना है।