Sunday, October 2, 2011

कांग्रेस रंगे हाथ सबूत के साथ पकड में आई मगर कोई क्या कर लेंगा

नई दिल्ली। क्या प्रणब मुखर्जी ने चिदंबरम को लेकर वित्त मंत्रालय के खत से उपजे विवाद से तंग आकर पद छोड़ने की धमकी दी थी? क्या उन्होंने प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी से ये कहा था कि बस अब बहुत हो गया, अब मुझे मंत्री पद की जिम्मेदारियों से मुक्त कीजिए? चर्चा तो यहां तक है कि प्रणब दा इतने खफा थे कि उन्हें मनाने के लिए खुद सोनिया गांधी उतरीं। हालांकि कांग्रेस इन खबरों को निराधार बता रही है।
माना जा रहा है कि अमेरिका में जब प्रणब मुखर्जी वॉशिंगटन डीसी में थे तो उन्होंने अचानक अपना कार्यक्रम बदला और न्यूयॉर्क जाने की इच्छा जताई। उन्हें न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम में पहुंचे प्रधानमंत्री से मिलना था। संकेत साफ थे प्रणब मुखर्जी कुछ कहना चाहते थे। लेकिन क्या? कहा जा रहा है कि ये पहला मौका था जब प्रणब ने इस्तीफे की पेशकश कर दी। सत्ता के सूत्रों की मानी जाए तो एक चिट्ठी से उपजे विवाद में पीएमओ, चिदंबरम और खुद को घसीटे जाने से प्रणब बुरी तरह आहत थे, उनका धैर्य जवाब देने लग गया था।
अमेरिका में प्रणब ने कर दी थी इस्तीफे की पेशकश!
प्रणब को लगने लगा था कि वो चिट्ठी जिसमें ये कहा गया था कि अगर तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम चाहते तो टेलीकॉम घोटाला रोका जा सकता था, उनके गले में लटका कर उनपर आरोप मढ़े जा रहे हैं। वो चिट्ठी जिसके पीछे वो खुद अकेले नहीं थे, कई मंत्रालयों की राय ली गई थी, वो चिट्ठी जिसमें इनपुट खुद प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी दिया था, अब उसकी सूली पर वो क्यों चढ़ें। सो प्रणब का पारा चढ़ रहा था और सियासी सूत्रों की मानें तो उन्होंने विदेश दौरे पर गए प्रधानमंत्री से विदेश में ही अपनी नाराजगी जता दी। उन्होंने कह दिया- बस, अब बहुत हो गया, अब आप मुझे कैबिनेट मंत्री के पद से मुक्त कीजिए।
अमेरिका से लौटने के बाद भारत में सोनिया के दखल के बाद प्रधानमंत्री ने भी अपनी आवाज बढ़ाई और उसके बाद खिंचे खिंचे प्रणब और चिदंबरम मिले उससे ये साफ हो जाता है कि अमेरिका में प्रणब ने अपनी सफाई में बहुत कुछ कहा होगा। समझा जा रहा है कि प्रणब चिट्ठी विवाद पर सरकार के एक हिस्से के बर्ताव से खफा थे, दुखी थे और खिन्न थे।
जाहिर है प्रधानमंत्री तब तक प्रणब मुखर्जी के इस्तीफे की पेशकश की जानकारी सोनिया को दे चुके थे। सो सोनिया ने न्यौता भेजा और 10 जनपथ में प्रणब के साथ उनकी बैठक 45 मिनट तक खिंची। दरअसल, सरकार को शर्मसार होने से बचाने-मंत्रियों के झगड़े को निपटाने का सारा रास्ता इसी बैठक से निकला। बताया जा रहा है कि सोनिया ने प्रणब से कई अनुरोध किए।
1. प्रणब को किसी भी तरह डैमेज कंट्रोल करने को कहा गया। 2. टेलीकॉम घोटाले पर राजनीतिक जमीन खो रही सरकार को संभालते हुए विपक्ष को जवाब देने को कहा गया। सोनिया के शब्द अटल थे-पत्थर की लकीर थे सो प्रणब बाबू चिदंबरम के साथ एक मंच पर आने को तैयार हो गए। हालांकि, साथ खड़े होने के लिए दो आला मंत्रियों को भी आना पड़ा और इस तरह सत्ता का ये सीजफायर लागू हो सका।

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