Friday, October 2, 2015

Mutual Fund क्या है? एक सरल परिचय


मान लीजिये आपके पास 50,000 रुपये की पूंजी है, और आप इस निर्णय पर पहुँचे हैं कि शेयर बाजार में निवेश कर के इस पूंजी से अच्छा लाभ कमाया जा सकता है. किंतु आपको शेयर बाजार के विषय में पर्याप्त जानकारी नहीं है. तो आप इसके लिए एक अन्य व्यक्ति अमर से संपर्क करते हैं. अमर आपको बताता है कि शेयर बाजार में पूंजी लगाने में जोखिम भी है. आप लाभ कमाने की जगह हानि भी उठा सकते हैं. हानि से बचने के लिए पूंजी को कई तरह के शेयरों में वितरित करके रखना चाहिए. पूरी पूंजी एक साथ न लगा कर एक हिस्सा ऐसे समय के लिए बचा कर रखना चाहिए जब की शेयर बाजार में गिरावट हो. ठीक समय पर लाभ को निकाल भी लेना चाहिए. बाजार में सही वितरण के लिए एक साथ बीसियों कंपनियों के शेयरों में धन लगाना पड़ सकता है, और बड़ी तथा भरोसेमंद कंपनियों के एक शेयर की कीमत 3000 रुपये या उससे भी अधिक हो सकती है. ऐसे में 50,000 रुपये की पूंजी पर्याप्त नहीं है. तथा यदि आप किसी विशेषज्ञ की सेवाएँ लेते हैं तो 50,000 की पूंजी पर होने वाले लाभ से उसकी फीस चुकाना भी संभव नहीं होगा. अब आपके सामने दो प्रमुख समस्याएँ हैं.
1. अपर्याप्त पूंजी.
2. बाजार के विषय में अनभिज्ञता.
उपरोक्त दोनों समस्यायों के लिए अमर आपको सलाह देता है कि आप अपने साथ कुछ और लोगों को शामिल करिए जिससे कि निवेश योग्य पूंजी बढ़ाई जा सके. मान लीजिए आप अपने जैसे 20 लोगों को अपनी योजना में शामिल करते हैं. प्रत्येक व्यक्ति औसत 50,000 रुपये निवेश करना चाहता है. अब आपके पास 10 लाख रुपये(20*50,000=10,00,000) की निवेश योग्य पूंजी है. अब आप किसी ऐसे व्यक्ति की सेवाएँ भी ले सकते हैं जो शेयर बाजार का विशेषज्ञ हो. पूंजी अधिक होने के कारण आप उस व्यक्ति को उसकी सलाह का मूल्य भी चुका सकते हैं. सलाह का मूल्य भी 20 लोगों में वितरित होने के कारण एक व्यक्ति को उसका बीसवां हिस्सा ही चुकाना होगा, जो सस्ता भी पड़ेगा.
उपरोक्त अवधारणा के अनुरूप जब व्यवसायिक रूप से निवेशकों के समूह का प्रबंध वैधानिक नियंत्रणों के अनुरूप किया जाता है, तब उसे Mutual Fund कहते हैं. आमतौर पर ऐसे Mutual Fund जो पूंजी का निवेश शेयरों में करते हैं अधिक लोकप्रिय हैं. किंतु अपने प्रस्तावित उद्देश्य के अनुसार Mutual Fund अन्य साधनों में भी निवेश कर सकते हैं जैसे की Government Bond, Money Market Securities, Commodity तथा Real Estate आदि. अतः
“मुचुअल फंड एक ऐसा निवेश साधन है, जो कि छोटे निवेशकों को शेयर, बॉन्ड, वस्तुओं अथवा अन्य चीज़ों में वितरण के साथ निवेश करने का अवसर प्रदान करता है. प्रत्येक निवेशक अपनी पूंजी के अनुसार लाभ तथा हानि में भागीदार होता है.”
आइए अब हम देखते हैं कि यह कैसे काम करता है. 
अमर की सलाह के अनुसार आपने एक समूह तैयार किया है. समूह का जो Fund है उसका Corpus 10 लाख रुपये का हैं. एक विशेषज्ञ की नियुक्ति Fund Manager के रूप में कर दी है. मान लीजिये Fund Manager से Fund Value का 2.5% प्रति वर्ष Management Fees के रूप में देना तय हुआ है. अब 20 लोग जो इस समूह के सदस्य हैं यह तय करते हैं कि हिसाब की सुविधा के लिए 10 लाख रुपये कीUnit जारी की जाएँगीं. प्रत्येक Unit का शुरुआत में मूल्य 10 रुपये होगा. तो 1 लाख Unit 20 लोगों में प्रत्येक द्वारा लगाई गयी पूंजी के अनुपात में वितरित कर दी जाती हैं. प्रस्तुत उदाहरण में सभी ने 50 हज़ार रुपये लगाए हैं तो प्रत्येक सदस्य 5000 Units का हकदार है. और प्रत्येक Unit की NAV (नेट असेट वैल्यू) 10 रुपये है.
फंड मैनेजर और निवेशकों के बीच यह तय हुआ है कि इस पूंजी को विभिन्‍न सेक्टर की बड़ी कंपनियों के शेयरों में ही लगाना है. तो यह एक Largecap Diversified Equity Fund है. साथ ही 10 लोग ऐसे हैं जो यह चाहते हैं कि Fand Manager जब चाहे तब लाभ में से एक हिस्सा Dividend के रूप में वापस कर सकता है. ऐसे लोग Dividend Option का चुनाव करते हैं. शेष 10 लोग चाहते हैं कि उनका लाभ भी फंड में निवेशित ही रहे, तो ऐसे लोग Growth Option का चुनाव करते हैं.
मान लीजिए लगभग एक वर्ष की अवधि में आपका Fund लाभ कमाने के कारण बढ़ कर 12.40 लाख हो जाता है. इसमें से आप 40 हज़ार रुपए Fund Manager की फीस एवं टैक्स जैसी अन्य चीज़ों में खर्च कर देते हैं. शेष 12 लाख रुपये fund का Net Corpus है. निवेशकों में जारी यूनिटों की संख्या 1 लाख है तो इस समय Fund की NAV 12 रुपये (12 लाख/1 लाख=12) हो गयी. प्रत्येक निवेशक की 5000 Unit का मूल्य अब 60 हज़ार रुपये (5000*12=60,000) हो गया है.
फंड मैनेजर यह तय करता है कि वह एक Unit पर 1 रुपया Dividend के रूप में देगा. यूनिट की Face Value (शुरूआती मूल्य) 10 रुपये थी तो 1 रुपये के Dividend को 10% Dividend कहा जायेगा. Dividend का प्रतिशत हमेशा Unit की फेस वैल्यू के अनुसार ही निकाला जाता है, चाहे उसकी वर्तमान एन ए वी कुछ भी हो. चूँकि हमारे उदाहरण में 10 निवेशकों ने Dividend Option का चुनाव किया था तो इस Option में कुल 50,000 Units हैं. 1 रुपया प्रति Unit की दर से Fund Manager 50 हज़ार रुपये 10 निवेशकों में वितरित कर देता है. Dividend Option के प्रत्येक निवेशक को 5000 रुपये प्राप्त होते हैं. Dividend Option के निवेशकों के लिए अब एन ए वी भी घट कर 11 रुपये रह जाएगी, जिसे Ex Dividend NAV (डिविडेंड के उपरांत की एन ए वी) कहा जाएगा. जब कि Growth Option के निवेशकों के लिए NAV अभी भी 12 रुपये है. तो अब 50 हज़ार Units Growth Option के निवेशकों के पास हैं जिनका मूल्य 6 लाख रुपये (50,000*12=6,00,000) है तथा 50 हज़ार Units Dividend Option के निवेशकों के पास हैं जिनका मूल्य 5.50 लाख रुपये (50,000*11=5,50,000) है. इस प्रकार कुल 1 लाख यूनिट का मूल्य 11.50 लाख रुपये (6 लाख+5.50 लाख=11.50 लाख) है. जब कि Fund Manager के पास भी 11.50 लाख रुपये (12 लाख-50 हज़ार=11.50 लाख) हैं.
उपरोक्त फंड में यदि यह सुविधा है कि कोई भी निवेशक जब चाहे अपनी कुछ या समस्त Units बेच कर धन प्राप्त कर सकता है तथा कोई पुराना अथवा नया निवेशक जब भी चाहे वर्तमान NAV पर धन लगा कर निवेश कर सकता है तो यह एक Open Ended Fund है. किंतु यदि यह शर्त है कि धन केवल Fund के बनाए जाने के समय 10 रुपये की NAV पर ही लगाया जा सकता है तथा एक पूर्व निर्धारित समय से पहले नहीं निकाला जा सकता है तो यह एक Closed Ended Fund है.
वैधानिक स्वरूप:
वैधानिक रूप से मुचुअल फंड मूलतः एक Trust होता है जो निवेशकों के धन की देखभाल करता है. इस ट्रस्ट की Sponsor कोई स्थापित Financial Company या बैंक होते हैं. स्पांसर कंपनी एक AMC (असेट मैनेग्मेंट कंपनी) की नियुक्ति करती है जिसके पास अपने Fund Manager होते हैं. AMC के Fund Manager ही निवेश संबंधी निर्णय लेते हैं. समस्त Mutual Fund SEBI (Securities and Exchange Board of India) के नियंत्रण में काम करते है. Mutual Fund से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए आप AMFI (Assotiation of Mutual funds in India) की वेबसाइट पर भी संपर्क कर सकते है.

(This article was earlier appeared in Navbharat Times Blog  ‘मुचुअल फंड के फंडे’.)

Equity Funds और उनका प्रदर्शन

ऐसे फंड जिनका औसत 65%  या अधिक हिस्सा equity अर्थात शेयरों में निवेशित रहता हैं, equity fund की श्रेणी में आते हैं. पूंजी बाजार की एक प्रचलित मान्यता है कि लंबी अवधि में equity अर्थात शेयर सबसे अच्छे लाभ देते हैं. शायद इसी कारण से ऐसे Mutual Fund जो शेयरों में निवेश करते हैं अधिक लोकप्रिय हैं. दूसरी ओर शेयर बाजार सबसे अधिक अनिश्चित व्यवहार करने के लिए भी बदनाम है. छोटी अवधि में शेयर बाजार अक्सर उम्मीदों तथा भय के आधार पर व्यवहार करता है. छोटी या मध्यम अवधि में तत्कालीन परिस्थितियों के चलते निवेश गिरावट का शिकार भी हो सकता है अथवा ऐसा भी हो सकता है कि निवेश उतना लाभ ना दे सके जिसकी की उम्मीद की गयी थी. किंतु जब बात लंबी अवधि की होती है तो तात्कालिक परिस्थितियों का प्रभाव कम हो जाता है. लंबी अवधि में शेयर बाजार का प्रदर्शन वास्तविक कारणों पर अधिक निर्भर करता है. यही कारण है कि ईक्विटी मुचुअल फंड के निवेशकों को बाजार की ‘timing’ करने की जगह ‘time in’ अर्थात कितने समय के लिए निवेश कर रहे है इस पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है. यह सिद्धांत कितना कारगर है



 Equty Fund के खर्चे: मैनेजमेंट फीस सहित सभी खर्चों के लिए कोई भी equity fund प्रथम 100 करोड़ के corpus पर 2.5%, अगले 300 करोड़ पर 2.25%, उसके बाद के 300 करोड़ पर 2% तथा उसके बाद के शेष corpus पर 1.75% फीस वसूलकर सकता है. 
 Equity Fund पर Tax व्यवहार: equity fund में dividend के रूप में प्राप्त होने वाली आमदनी टॅक्स फ्री है अर्थात उस पर किसी भी प्रकार का टॅक्स नहीं देना पड़ता है. साथ ही इन फंडों को ‘dividend distribution tax’ भी नहीं देना होता है. एक वर्ष से कम की अवधि में यदि आप लाभ कमाते हैं तथा धन को फंड में से निकाल भी लेते हैं तो कमाए गये लाभ पर 15% की दर से ‘short term capital gain’ tax देना होता है. किंतु यदि निवेश 1 वर्ष या उससे अधिक की अवधि तक जारी रहता है तो लाभ ‘long term capital gain’ कहलाता है जिस पर कोई टॅक्स नहीं है. साथ ही प्रत्येक स्थिति में unit बेचने से प्राप्त रकम पर 0.25% की दर से STT (securities transaction tax) भी देना होता है.
जोखिम: जोखिम के मामले में equity fund सर्वोपरि हैं. उपरोक्त सारणी में ही हम देख सकते हैं क़ी पिछले 1 वर्ष की अवधि में कुछ फंडों ने 20% से भी अधिक नुकसान दिया है. दरअसल सबसे बड़ी जोखिम शेयर बाजार के अनिश्चित व्यवहार के कारण है. आज आप लाभ की आशा से निवेश करें और कल से ही बाजार में गिरावट होने लगे. यह भी निश्चित नहीं है कि गिरावट कितनी हो सकती है और कितने समय तक चल सकती है. यद्यपि गिरावट का पूर्वानुमान लगा कर फंड मैनेजर शेयरों में से पूंजी निकाल भी सकता है किंतु 65% का औसत बनाए रखने एवं फंड के बड़े आकार का होने के कारण इस काम की भी अपनी कुछ सीमाएँ हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो equity mutual fund बाजार जोखिमों के आधीन होते हैं. दूसरी ओर यह बात भी उतनी ही सत्य है कि लंबी अवधि में यह जोखिम कम भी होती जाती है.
Equtiy fund में निवेश करते समय कुछ बातों पर ध्यान देना आवश्यक है जैसे कि आप कितने समय के लिए निवेश कर सकते हैं? यदि यह अवधि 5 वर्ष से कम है तो आपको विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. 3 वर्ष से कम अवधि के लिए इनमें निवेश ना ही करें तो अच्छा है. सामान्यतः 5 वर्ष से अधिक की अवधि में निवेश पर जोखिम कम होने लगता है. 10 वर्ष या उससे अधिक की अवधि equity निवेश के लिए आदर्श मानी गयी है. दूसरा प्रश्न यह है कि कितना निवेश करना चाहिए? तो यह पूर्णतः व्यक्तिगत प्रश्न है. यह आपकी व्यक्तिगत आर्थिक परिस्थितियों एवं आर्थिक लक्ष्यों पर अधिक निर्भर करता है. किंतु सामान्य सिद्धांत यह है कि 100 में से अपनी उम्र घटायें, जो उत्तर आए अपनी बचत का उतना प्रतिशत ईक्विटी या ईक्विटी फंड में निवेशित रखना चाहिए. क्योंकि बढ़ती हुई मुद्रास्फीति के विरुद्ध equity सबसे कारगर निवेश है.
आवश्यक घोषणा: इस ब्लॉग में कही गयी किसी भी बात को निवेश सलाह के रूप में नहीं लेना चाहिए. वास्तविक निवेश से पहले अपने वित्त सलाहकार की मदद अवश्य लें. यह लेखक का व्यक्तिगत मत है और इसे मात्र सूचना के रूप में ही लेना चाहिए. यहाँ लिखी गयी किसी भी बात को वास्तविक निवेश सलाह के रूप में लेने पर लेखक की कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी.
(This article was earlier appeared in Navbharat Times Blog  ’मुचुअल फंड के फंडे’.)

Wednesday, September 23, 2015

Test your errors

Presenting a list of common mistakes most English learners
make; fixing these would go a long way in helping an
individual master the minutiae of learning the English
language.
Mistake 1: Introductions
'Myself Amit. I belong to Delhi' or similar introductory
sentences are often used and the mistakes are repetitive.
Both these sentences are incorrect.
A better way of introducing oneself is to simply say 'I am
Amit. I am from Delhi.'
Or
'My name is Amit. I live in Delhi.'
Mistake 2: Forming plurals
'I have two childrens.'
'I need some informations about the course.'
English learners often make mistakes in forming plurals.
'Children' is the correct plural form of the noun 'child'.
'Information' is an uncountable noun and hence, doesn't
have a plural form.
Mistake 3. Similar sounding words
'Be careful. You will loose your phone.'
Words like 'Lose' and 'Loose' are often used
interchangeably.
'Loose' should generally be used as an adjective, the
opposite of 'tight' or 'contained'
For example: This pair of jeans is loose around my waist.
'Lose' is a verb that means 'to suffer the loss of'.
Another example: Don't lose the car keys.
Mistake 4. Talking about past events
'Did you met him yesterday?'
'We didn't went to Mumbai last month.'
While using the past tense, especially in negative and
interrogative sentences, many learners use the incorrect
verb form.
It is important to remember to use the base form of the verb
while making negative and interrogative sentence in the
past tense.
The correct sentences are:
'Did you meet him yesterday?'
'We didn't go to Mumbai last month.'
Mistake 5. Making comparisons
'He is the most tallest boy in the class.'
'This house is more big than our house.'
Both the sentences above are incorrect.
In the first sentence, we do not need the word 'most' before
the superlative adjective 'tallest'.
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In the second one, the word 'bigger' needs to be used
instead of 'more big'.
Mistake 6. Usage of articles
Most Indian languages do not have the concept of articles.
That is the reason many learners either do not use articles
at all or use articles where they are not required.
Consider the following incorrect sentences:
'I am going to the Mumbai next month.'
'Can I borrow pen?'
In the first sentence, we have used the article 'the' which is
incorrect. We do not use articles before the names of cities.
In the second one, the indefinite article 'a' is required before
the noun 'pen'.
Mistake 7. Usage of 'much' and 'many'
Another common mistake is the interchangeable use of
quantifiers.
Consider the following incorrect sentences -
'How many time will it take?'
'How much people are there in the room?'
The rule is that we use the quantifier 'much' with
uncountable nouns like 'time' and the quantifier 'many' with
countable nouns like 'people'.
Mistake 8. Telling the time
'It is 3 pm in the afternoon.'
'It is 6 pm and 30 minutes.'
The sentences above convey the meaning but the language
used is incorrect. The correct sentences are-
'It is 3 pm'
'It is 6:30 pm' / 'It is half past six'
Note that we do not use 'in the morning / afternoon/
evening' when we use 'am' or 'pm'
Mistake 9. Subject verb agreement
'He live in Kanpur.'
'We lives Kanpur.'
Such mistakes are the most commonly made mistakes by
beginners.
It is important to use the singular verb with the singular
subject and plural verb with plural subjects.
The correct sentences are:
'He lives in Kanpur.'
'We live in Kanpur.'
Mistake 10. Usage of prepositions
Most English learners get confused about the correct usage
of prepositions. Both the sentences below are incorrect.
'My birthday is in April 4th.'
'I will visit China on March.'
We use the prepositions 'on' with days / dates and the
preposition 'in' for months / years.
Hence, the correct sentences are:
'My birthday is on April 4th'
'I will visit China in March.'
By mastering the basics, one can learn this language with
fun and ease.