Friday, October 2, 2015

Equity Funds और उनका प्रदर्शन

ऐसे फंड जिनका औसत 65%  या अधिक हिस्सा equity अर्थात शेयरों में निवेशित रहता हैं, equity fund की श्रेणी में आते हैं. पूंजी बाजार की एक प्रचलित मान्यता है कि लंबी अवधि में equity अर्थात शेयर सबसे अच्छे लाभ देते हैं. शायद इसी कारण से ऐसे Mutual Fund जो शेयरों में निवेश करते हैं अधिक लोकप्रिय हैं. दूसरी ओर शेयर बाजार सबसे अधिक अनिश्चित व्यवहार करने के लिए भी बदनाम है. छोटी अवधि में शेयर बाजार अक्सर उम्मीदों तथा भय के आधार पर व्यवहार करता है. छोटी या मध्यम अवधि में तत्कालीन परिस्थितियों के चलते निवेश गिरावट का शिकार भी हो सकता है अथवा ऐसा भी हो सकता है कि निवेश उतना लाभ ना दे सके जिसकी की उम्मीद की गयी थी. किंतु जब बात लंबी अवधि की होती है तो तात्कालिक परिस्थितियों का प्रभाव कम हो जाता है. लंबी अवधि में शेयर बाजार का प्रदर्शन वास्तविक कारणों पर अधिक निर्भर करता है. यही कारण है कि ईक्विटी मुचुअल फंड के निवेशकों को बाजार की ‘timing’ करने की जगह ‘time in’ अर्थात कितने समय के लिए निवेश कर रहे है इस पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है. यह सिद्धांत कितना कारगर है



 Equty Fund के खर्चे: मैनेजमेंट फीस सहित सभी खर्चों के लिए कोई भी equity fund प्रथम 100 करोड़ के corpus पर 2.5%, अगले 300 करोड़ पर 2.25%, उसके बाद के 300 करोड़ पर 2% तथा उसके बाद के शेष corpus पर 1.75% फीस वसूलकर सकता है. 
 Equity Fund पर Tax व्यवहार: equity fund में dividend के रूप में प्राप्त होने वाली आमदनी टॅक्स फ्री है अर्थात उस पर किसी भी प्रकार का टॅक्स नहीं देना पड़ता है. साथ ही इन फंडों को ‘dividend distribution tax’ भी नहीं देना होता है. एक वर्ष से कम की अवधि में यदि आप लाभ कमाते हैं तथा धन को फंड में से निकाल भी लेते हैं तो कमाए गये लाभ पर 15% की दर से ‘short term capital gain’ tax देना होता है. किंतु यदि निवेश 1 वर्ष या उससे अधिक की अवधि तक जारी रहता है तो लाभ ‘long term capital gain’ कहलाता है जिस पर कोई टॅक्स नहीं है. साथ ही प्रत्येक स्थिति में unit बेचने से प्राप्त रकम पर 0.25% की दर से STT (securities transaction tax) भी देना होता है.
जोखिम: जोखिम के मामले में equity fund सर्वोपरि हैं. उपरोक्त सारणी में ही हम देख सकते हैं क़ी पिछले 1 वर्ष की अवधि में कुछ फंडों ने 20% से भी अधिक नुकसान दिया है. दरअसल सबसे बड़ी जोखिम शेयर बाजार के अनिश्चित व्यवहार के कारण है. आज आप लाभ की आशा से निवेश करें और कल से ही बाजार में गिरावट होने लगे. यह भी निश्चित नहीं है कि गिरावट कितनी हो सकती है और कितने समय तक चल सकती है. यद्यपि गिरावट का पूर्वानुमान लगा कर फंड मैनेजर शेयरों में से पूंजी निकाल भी सकता है किंतु 65% का औसत बनाए रखने एवं फंड के बड़े आकार का होने के कारण इस काम की भी अपनी कुछ सीमाएँ हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो equity mutual fund बाजार जोखिमों के आधीन होते हैं. दूसरी ओर यह बात भी उतनी ही सत्य है कि लंबी अवधि में यह जोखिम कम भी होती जाती है.
Equtiy fund में निवेश करते समय कुछ बातों पर ध्यान देना आवश्यक है जैसे कि आप कितने समय के लिए निवेश कर सकते हैं? यदि यह अवधि 5 वर्ष से कम है तो आपको विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. 3 वर्ष से कम अवधि के लिए इनमें निवेश ना ही करें तो अच्छा है. सामान्यतः 5 वर्ष से अधिक की अवधि में निवेश पर जोखिम कम होने लगता है. 10 वर्ष या उससे अधिक की अवधि equity निवेश के लिए आदर्श मानी गयी है. दूसरा प्रश्न यह है कि कितना निवेश करना चाहिए? तो यह पूर्णतः व्यक्तिगत प्रश्न है. यह आपकी व्यक्तिगत आर्थिक परिस्थितियों एवं आर्थिक लक्ष्यों पर अधिक निर्भर करता है. किंतु सामान्य सिद्धांत यह है कि 100 में से अपनी उम्र घटायें, जो उत्तर आए अपनी बचत का उतना प्रतिशत ईक्विटी या ईक्विटी फंड में निवेशित रखना चाहिए. क्योंकि बढ़ती हुई मुद्रास्फीति के विरुद्ध equity सबसे कारगर निवेश है.
आवश्यक घोषणा: इस ब्लॉग में कही गयी किसी भी बात को निवेश सलाह के रूप में नहीं लेना चाहिए. वास्तविक निवेश से पहले अपने वित्त सलाहकार की मदद अवश्य लें. यह लेखक का व्यक्तिगत मत है और इसे मात्र सूचना के रूप में ही लेना चाहिए. यहाँ लिखी गयी किसी भी बात को वास्तविक निवेश सलाह के रूप में लेने पर लेखक की कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी.
(This article was earlier appeared in Navbharat Times Blog  ’मुचुअल फंड के फंडे’.)

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