टीम इंडिया क्वॉर्टर फाइनल में बांग्लादेश पर 109 रन से जोरदार जीत के
साथ सेमीफाइनल में पहुंच गई है और इंडियन फैंस जीत का जश्न मना रहे हैं
लेकिन बांग्लादेश में कल के मैच में अंपायर के फैसलों पर सवाल उठाते हुए फैंस
ने विरोध प्रदर्शन किया और अब तो आईसीसी के प्रेजिडेंट मुस्तफा कमाल
ने इस बात की आशंका जताई है कि क्वॉर्टर फाइनल में भारत को फायदा
पहुंचाने के लिए गलत अंपायरिंग का सहारा लिया गया। कमाल का कहना
है कि अंपायर ने एक के बाद एक सारे फैसले बांग्लादेश के खिलाफ सुनाए।
कमाल बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हैं।
मुस्तफा ने कहा कि कल के मैच में कई गलत फैसले लिए गए और ये सारे फैसले
बांग्लादेश के खिलाफ लिए गए। उन्होंने कहा कि भारत के पक्ष में
अंपायरों ने 12 फैसले सुनाए और उनका मानना है कि हो सकता है कि ऐसा
टीम इंडिया को जिताने की कोशिशों के तहत किया गया हो। मुस्तफा
का कहना है कि अंपायर के गलत फैसले इस मैच को लेकर शक पैदा करते हैं।
खबर पढ़ेंः अब बांग्लादेशी फैन्स कहेंगे, अंपायर ने हराया
मुस्तफा ने एक और बात पर नाराजगी जताते हुए कहा कि स्क्रीन पर लिख
दिया गया था कि मैच भारत जीतेगा। उन्होंने इस बात की आईसीसी के
सीईओ से शिकायत भी की लेकिन कुछ नहीं हुआ है। मुस्तफा ने कहा है कि
वह इस मुद्दे को आईसीसी के सामने उठाएंगे।
पढें: बांग्लादेश की हार पर फूटा फैंस का गुस्सा
गुरुवार को भारत-बांग्लादेश के बीच खेले गए क्वॉर्टर फाइनल में दो फैसलों
को लेकर काफी विवाद रहा। पहले नर्वस नाइनटीज में खेल रहे रोहित
शर्मा को कैच आउट होने पर अंपायर इयान गुड ने उस गेंद को नो बॉल करार
दिया जोकि कमर से बमुश्किल जरा सा ऊपर रही होगी। इस फैसले के बाद
रोहित ने न सिर्फ सेंचुरी बनाई बल्कि 137 रनों की पारी खेलते हुए भारत
को बड़े स्कोर तक भी पहुंचा दिया।
दूसरा विवादित फैसला बांग्लादेश की पारी के दौरान आया। शिखर
धवन ने बाउंड्री लाइन पर महमदुल्लाह का जो कैच पकड़ा उसे लेकर भी
बांग्लादेश फैंस के मन में संदेह था। हालांकि महमदुल्लाह को आउट थर्ड
अंपायर धवन के उस कैच की जांच के बाद दिया था।
Friday, March 20, 2015
ICC प्रेजिडेंट बोले, गलत अंपायरिंग से जीता भारत
इन 8 टूल्स से बचाएँ अपने इंटरनेट प्लान का पैसा
अगर आप अपने मोबाइल 3जी कनेक्शन्स पर पैसा बचाना शुरू कर दें तो
काफी हद तक पैसा बचा सकते हैं। कई सारे प्रीपेड मोबाइल डेटा प्लान्स
एक प्रीसेट डेटा लिमिट के साथ आते हैं। अगर आपने इनकी तरफ लापरवाही
बरती तो आप अपना सारा बैलेंस गंवा बैठेंगे।
आपके प्लान के मुताबहिक अगर आपके पोस्टपेड प्लान पर मंथली डेटा का
कोटा जरा ऊपर चला गया, तो आपको एक्स्ट्रा चार्ज भी किया जा
सकता है। आसपास बढ़ते स्मार्टफोन्स के दौर में, तेज़ होती सोशल
नेटवर्किंग, गेमिंग, ऑडियो-विडियो स्ट्रीमिंग और ऐसे ऐप्स जिनमें
कॉन्सटेंट डेटा कनेक्टिविटी चाहिए, बिल का पहाड़ खड़ा कर देते हैं।
घर के ब्रॉडबैंड कनेक्शन्स की तो कहानी ही जुदा है। सभी ब्रॉडबैंड
प्लान्स एक स्पेसिफाइड डेटा लिमिट या FUP (फेयर यूज पॉलिसी) के
साथ आते हैं। FUP जितनी इजाज़त देती है, उससे ज्यादा का इस्तेमाल
आपकी स्पीड को 256 केबीपीएस पर ला खड़ा करेगा।
डेटा तो जितने की जरूरत आमतौर पर पड़ती है उतना लगेगा ही, लेकिन डेटा
यूज को ट्रैक किया जा सकता है, डेटा खाने वाली ऐप्स को पहचाना जा
सकता है और अलार्म्स सेट किये जा सकते हैं। अगर आपको चाहिए एक
दमदार ट्रैकर तो करण बजाज और हितेश राज भगत के बताए इन ऑप्शन्स पर
सोच सकते हैं
Thursday, March 5, 2015
वैज्ञानिको ने ढूंढ निकला समुद्र मंथन का पर्वत
वैज्ञानिको ने ढूंढ निकला समुद्र मंथन का पर्वत
समुद्र मंथन का पर्वत
अगर आप समझते हैं कि पौराणिक लोक कथा केवल कल्पना होती हैं
तो समुद्र मंथन के साथ ऐसा नहीं. वैज्ञानिक यह सिद्ध करते हैं कि सचमुच ये
समुद्र मंथन हुआ था. अगर आपको इन बातो का यकीन ना हो तो इसे
पूरा पढ़ें. समुद्रमंथन देवताओं और दानवों के बीच हुआ था जिसमें देवताओं और
दानवों ने वासुकि नाग को मन्दराचल पर्वत पर लपेटकर समुद्र मंथन
किया था.
गुजरात के दक्षिण मैं समुद्र में समुद्रमंथन वाला वही पर्वत मिला है.
वैज्ञानिक ने परीक्षण के आधार पर इस बात
की पुष्टि भी की जा चुकी है. पिंजरत नाम के गांव के समुद्र में मिला पर्वत
बिहार के भागलपुर में विराजित मूल मांधार शिखर जैसा ही है. गुजरात-
बिहार दोनों का पर्वत एक जैसा ही है. दोनों ही पर्वत में ग्रेनाइट–
की मात्रा बहुत है. इस पर्वत के बीचों-बीच नाग
देवता आकृति भी मिली है.
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गुजरात मैं द्वारका के पास ही देवताओं और राक्षसों ने अमृत के लिए समुद्र
मंथन किया था. मंथन के लिए मन्दराचल नाम के पर्वत का उपयोग
किया था. समुद्र मंथन के दौरान विष भी निकला था, जिसे भगवान
महादेव ने ग्रहण कर लिया था. सामान्यत: समुद्र में मिलने वाले पर्वत ऐसे
नहीं होते. सूरत के आॉर्कियोलॉजिस्ट मितुल त्रिवेदी ने पर्वत का कार्बन
टेस्ट के परीक्षण के बाद यह निष्कर्ष निकाला है. उन्होंने यह
दावा किया है कि यह समुद्रमंथन वाला ही पर्वत है. और अब इसके समर्थन में
अब कई प्रमाण भी मिलने लगे हैं. ओशनोलॉजी ने अपनी वेबसाइट पर इस
तथ्य पर आधिकारिक रूप से पुष्टि भी की है.
Read : रामायण काल के राम सेतु मैं प्रयोग किये पत्थरों का वैज्ञानिक
पहलू सामने आया
सूरत से लगे पिंजरत गांव के समुद्र में 1988 में प्राचीन कृष्ण
की द्वारकानगरी के अवशेष मिले थे. डॉ. एस.आर.राव इस साइट पर
शोधकार्य कर रहे थे. और सूरत के मितुल त्रिवेदी उनके साथ थे. विशेष कैप्सूल
में डॉ. राव के साथ मितुल त्रिवेदी समुद्र के अंदर 800 मीटर की गहराई तक
गए थे. तब समुद्र के गर्भ में एक पर्वत मिला था. इस पर्वत पर घिसाव के
निशान भी नजर आए. ओशनोलॉजी डिपार्टमेंट ने पर्वत के गहन अध्ययन शुरू
किया. पहले ये माना गया कि घिसाव के निशान जलतरंगों के हो सकते हैं.
विशेष कार्बन टेस्ट किए जाने के बाद पता चला कि यह पर्वत मांधार पर्वत
है. पौराणिक काल में समुद्रमंथन के लिए इस्तेमाल हुआ पर्वत है. दो वर्ष पहले
ये जानकारी सामने आई, परन्तु प्रमाण अब मिल रहे हैं.
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ओशनोलॉजी डिपार्टमेंट ने वेबसाइट पर 50 मिनट का एक
वीडियो जारी किया है. इसमें पिंजरत गांव के समुद्र से दक्षिण में 125
किलोमीटर दूर 800 की गहराई में समुद्रमंथन के पर्वत मिलने की बात
भी कही है. इस वीडियो में द्वारकानगरी के अवशेष की भी जानकारी है.
इसके अलावा वेबसाइट पर एशियन्ट द्वारका के आलेख में
ओशनोलॉजी डिपार्टमेंट द्वारा भी इस तथ्य की पुष्टि की गई है.