Tuesday, September 25, 2012

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) जो कि स्थायी संस्था है, के द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट से सीधे तौर पर स्पष्ट हुआ है कि मनमोहन सिंह के कोयला मंत्रालय का कार्यभार सम्भालते हुए मनमाने ढंग से 142 कोल ब्लॉक आवंटित हुए हैं। इससे राष्ट्रीय राजकोष को 1,86,000 करोड़ रुपए का नुकसान पंहुचा है। कोल ब्लाक्स आवंटन में गलत प्रक्रिया अपना तथा अपनों का फायदा पंहुचाया गया।


अमेरिका के हिलेरी क्लिंटन को भी पता है की पाकिस्तानी हिन्दुओ पर अत्याचार हो रहा है। पुरे विश्व को भी पता है। पता नहीं है तो केवल देश के गृह मंत्री शिंदे साहब को! 


ममता का खुलासा, मनमोहन एफडीआई के विरोध में थे

Mamata Banerjee
ममता बनर्जी
नई दिल्ली।। रीटेल में एफडीआई को लेकर सरकार से समर्थन वापस ले चुकीं तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने नया खुलासा किया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने फेसबुक पर एक चिट्ठी डाली जिससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खुद एफडीआई के विरोधी थे।

यह चिट्ठी फेडरेशन ऑफ असोसिएशंस ऑफ महाराष्ट्र की है। चिट्ठी के मुताबिक फेडरेशन के लोग 2002 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिले थे। तब वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। ममता का कहना है कि ये चिट्ठी बताती है कि उस वक्त मनमोहन सिंह भी एफडीआई के विरोधी थे। उस समय मनमोहन सिंह कहा था, 'हमें ऐसे सुधार नहीं चाहिए जिनसे रोजगार के अवसर बढ़ने की बजाय घटें।'

फेडरेशन को मनमोहन ने यह भी याद दिलाया था कि राज्यसभा में 18 और 19 दिसंबर 2002 में उन्होंने उस समय के वित्त मंत्री से आश्वासन लिया था कि एफडीआई का कोई प्रस्ताव नहीं है। गौरतलब है कि 2002 में एनडीए की सरकार थी। लेकिन जब 2004 में यूपीए की सरकार बनी तो सत्ता की कमान भी मनमोहन सिंह के हाथों में आई और फिर मनमोहन सिंह ने किराना में एफडीआई की वकालत शुरू कर दी।

फेडरेशन ने दिसंबर 2004 में चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को याद दिलाया था कि उन्होंने 2002 में रीटेल पर एफडीआई को लेकर क्या कहा थ