Tuesday, August 2, 2011

टीम अन्‍ना और सरकार के लोकपाल बिल में अंतर

01 Aug 2011 07:00,
(1 Aug) अन्‍ना हजारे टीम और केंद्र सरकार, दोनों ने लोकपाल बिल पर अपने-अपने ड्राफ्ट पेश किये, जिसमें अन्‍ना के बिल को दरकिनार कर दिया गया। सरकार और अन्‍ना हजारे के विधेयकों पर अगर एक नजर डालें तो आप साफ तौर पर देख सकेंगे कि टीम अन्‍ना का बिल ज्‍यादा प्रभावी हो सकता है, जिसे सरकार नहीं चाहती। मुख्‍य रूप से सरकार के बिल के अंतर्गत सांसद, मंत्री, सरकार के स्वामित्व मैं किसी कम्पनी के 'ग्रुप ए' अधिकारी, किसी भी ऐसे संगठन के अधिकारी जो सरकार द्वारा वित्तपोषित है या विदेशी अंशदान अधिनियम 1973 के तहत धन प्राप्त करती है या जनता से धन प्राप्त करती है, प्रधानमन्त्री, न्यायपालिका और संसद या समिति में सांसद के कार्य लोकपाल के कार्यक्षेत्र में सम्मिलित नहीं हैं। वहीं टीम अन्‍ना कहती है कि भ्रष्टाचार के अंतर्गत किसी भी सभा में भाषण या वोट के संबंध में सांसद द्वारा अपराध, जान - बूझकर किसी व्यक्ति को लाभ देना या उसका लाभ उठाना और शिकायत करने वाले या गवाह को सताना भी शामिल है। यह भ्रष्टाचार अधिनियम, 1988 में परिभाषित सभी सार्वजनिक सेवकों को शामिल करता है (सरकारी कर्मचारी, न्यायाधीश, सांसद, मंत्री और प्रधानमंत्री भी शामिल हैं)। सरकार के मुताबिक यदि कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं है तो मामले को समाप्त कर दिया जायेगा। यदि कोई प्रथम दृष्टया मामला है तो लोकपाल वन सेवक को सुनवाई का उपयुक्त अवसर देकर मामले की जांच करेगा। जांच के छह महीने के भीतर पूरा किया जाएगा। लोकपाल के लिखित कारण देने पर जांच को छह महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है। जनसेवक के खिलाफ की गयी शिकायत की जांच करने के लिए लोकपाल को किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। वहीं टीम अन्‍ना का कहना है कि प्रधानमंत्री, मंत्रियों, सांसदों एवं सुप्रीम या उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए लोकपाल को एक सात सदस्यीय समिति की अनुमति लेनी होगी। जांच को ६ से १८ महीने के भीतर समाप्त किया जायेगा। जिस मामले मैं शिकायत करने वाले को हानि पहुंचाए जाने का खतरा है, उस मामले की जांच ३ महीने मैं पूरी की जाएगी। सरकार का बिल कहता है कि लोकपाल के पास दस्तावेजों की खोज करने और उनको जब्त करने की, संपत्ति को 10 दिनों तक अनंतिम रूप से संलग्न करने की, 30 दिनों के भीतर लगाव की पुष्टि करने के लिए अनुरोध फाइल करने की, और भ्रष्टाचार के आरोप के साथ जुड़े जनसेवक के निलंबन की सलाह देने की शक्ति होगी। वहीं टीम अन्‍ना का बिल कहता है कि लोकपाल की सलाह को स्वीकार नहीं किया जाता तो लोकपाल उच्च न्यायालय में मामले को ले जा सकता है। लोकपाल की एक बेंच टेलीफोन या इंटरनेट के माध्यम से प्रेषित संदेशों के अंतरग्रहण और निगरानी की अनुमति दे सकती है। लोकपाल खोज वारंट जारी कर सकता है।
चीन ने हमलों के लिए पाक आतंकियों को जिम्मेदार ठहराया
01 Aug 2011 04:01,
(1 Aug) काश्गर नगर पालिका सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान में प्रशिक्षित ईस्ट तुर्किस्‍तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) के आतंकवादी इस हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं. संवाद समिति शिन्हुआ ने काश्गर नगर पालिका की ओर से जारी बयान के हवाले से कहा गया है, 'चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में सप्ताहांत हुए हमले के पीछे विदेशी जमीन पर स्थित आतंकवादी शिविरों में प्रशिक्षित आतंकवादियों के नेतृत्व में धार्मिक अतिवादियों का हाथ है.' बयान में कहा गया है, 'प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आयी है कि हमलावर समूहों का नेतृत्व करने वाले ईस्ट तुर्किस्‍तान इस्लामिक मूवमेंट आतंकवादियों ने शिनजियांग प्रांत में हिंसक गतिविधि के लिए प्रवेश से पहले विस्फोटक बनाने और हथियार चलाने का प्रशिक्षण पाकिस्तान में प्राप्त किया था.' प्रांतीय राजधानी उरुम्की में वर्ष 2009 में भारी हिंसा हुई थी जिसमें 200 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद चीन ने उईगर मुस्लिम अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई की. गत 18 जुलाई को 14 दंगाइयों की ओर से शिनजियांग प्रांत के होतान शहर में कथित रूप से एक पुलिस थाने पर उस हमले की घटना के बाद हुए हैं जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी. मारे गए लोगों में एक पुलिस अधिकारी, एक सुरक्षा गार्ड, महिला और एक किशोरी शामिल थी. संभवत: यह पहली बार है जब चीन ने ईटीआईएम शिविरों का उल्लेख करते हुए अपने सहयोगी पाकिस्तान पर उंगली उठायी है. झिंजियांग प्रांत की सीमाएं पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से लगी हुई हैं. चीन के काश्गर शहर से होकर पाकिस्तान और चीन के बीच काफी व्यापार होता है. कश्गर शहर में रविवार शाम चार बजे आतंकवादियों का एक समूह रेस्त्रां में घुस गया और वहां आग लगाने से पहले रेस्त्रां के मालिक और बैरे की हत्या कर दी. रेस्त्रां पर हमले के बाद कई राहगीरों को दहशत में इधर-उधर भागते देखा गया. इस बीच एक ही दिन हुई हिंसा की दूसरी घटना से निपटने के लिए पुलिस की कार, दमकल वाहन और एंबुलेंस वहां पहुंच गई थीं. बयान में कहा गया है कि आतंकवादी उसके बाद बाहर आये और नागरिकों पर अंधाधुंध हमले कर दिये. इस हमले में छह नागरिक और पांच आतंकवादी मारे गए. इससे पहले गत शनिवार को हुए एक अन्य हमले में नौ लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस ने उसके बाद गोलीबारी की जिसमें पांच संदिग्ध मारे गए जबकि चार अन्य को पकड़ लिया गया. इस हमले में तीन पुलिसकर्मियों सहित 15 लोग घायल हो गए. क्षेत्रीय जनसम्पर्क विभाग ने एक बयान में कहा गया है कि पुलिस ने उस पूरे क्षेत्र की घेराबंदी कर दी है जहां हिंसा हुई थी. वहीं वहां स्थित वाणिज्यिक क्षेत्र में स्थित सभी दुकानें बंद हैं. पुलिस ने झिंजियांग प्रांत के ओआसिस शहर के मुख्य चौराहों और सड़कों पर यातायात नियंत्रण लागू किया है
 
 
 
 
(1 Aug) कर्ज की किस्त के जरूरी भुगतान में एक बार चूक होने पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिये इसके घातक परिणाम होते. समझौता होने के बाद ओबामा ने व्हइट हाउस प्रेस को देर रात बताया, 'दोनों सदनों में दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच समझौता हो गया है. यह समझौता घाटा कम करने और समय पर भुगतान में मदद करेगा. कर्ज का भुगतान समय पर नहीं होने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिये खतरनाक स्थिति होती.' उन्होंने बताया, 'समझौते के पहले भाग के तौर पर अगले दस साल में खर्चों में एक हजार अरब डालर की कटौती होगी, इस प्रक्रिया को दोनों ही पक्ष जल्द शुरू करने के पक्ष में हैं.' उन्होंने कहा, 'कटौती के परिणामस्वरूप सालाना घरेलू खर्च पिछले कई सालों में सबसे कम होगा. फिर भी यह ऐसा स्तर होगा जहां हम शिक्षा और अनुसंधान जैसे रोजगार सृजन वाले कार्यों में निवेश कर सकेंगे.' दोनों दलों के बीच हुये इस समझौते के बाद कर्ज सीमा बढ़ेगी और खर्चों में 2,000 अरब डालर से लेकर 3,000 अरब डालर के बीच कटौती होगी.
दिग्विजय की सभा में आपस में भिड़े कांग्रेसी

02 Aug 2011 09:00,
(2 Aug) कांग्रेस के ये वो कार्यकर्ता हैं, जो सोनभद्र में जुटे थे मनरेगा में भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ने लेकिन एक-दूसरे को अपनी ताकत दिखाने के लिए आपस में ही भिड़ गए. शक्ति प्रदर्शन का ये हंगामाखेज़ दौर यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी और महासचिव दिग्विजय सिंह के सामने चला. बड़े-बड़े नेताओं ने बड़ी मुश्किल से कांग्रेसियों का झगड़ा सुलटाया. तब जाकर उन्हें मुद्दे की बात कहने का मौका मिला. कांग्रेस नेता अपने कार्यकर्ताओं को यूपी सरकार के खिलाफ संघर्ष के लिए तैयार करने में जुटे हैं. सोनभद्र में भी वो कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने ही आए थे, लेकिन उससे पहले उन्हें गुटों में बंटे कार्यकर्ताओं से दो-चार होना पड़ा
कोंग्रेस खुद को सभाल नही पा रही है क्योकी ये पी एम ओ से लेकर नीचे तक भ्रष्ट हो चुकी है