Tuesday, August 2, 2011

आइआइटी में फ़ेल पर मिला नोबेल

आइआइटी प्रवेश परीक्षा में कामयाबी पानेवालों को लगातार बधाइयां मिल रही हैं. जो जीता, वही सिकंदर के तर्ज पर समाज सफल लोगों के गुणगान में व्यस्त हो जाता है. जो सफल नहीं हुए, उनके लिए आसानी से हम कह देते हैं कि उसने मन से पढ़ा ही नहीं या पढ़ता तो है, पर दिमाग तेज नहीं है.
समाज की उपेक्षा के साथ ही कई असफल छात्र भी खुद को ही दोषी मानने लगते हैं. यह प्रक्रिया तेज होने पर निराशा व तनाव बढ़ने लगता है. आइआइटी में फेल तो वेंकटरमण रामाकृष्णन भी हुए थे. उनके दोस्त उन्हें वेंकी कहते हैं. तमिलनाडु में जनमे वेंकी स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई में असाधारण नहीं थे. बस, औसत से कुछ बेहतर.
बड़ौदा में रहते हुए फिजिक्स से स्नातक किया. आइआइटी के अलावा उन्होंने मेडिकल के लिए भी ट्राइ किया, पर दोनों में नाकाम रहे. नौकरी के लिए 50 से अधिक आवेदन दिये. कहीं नौकरी नहीं मिली. वे अमेरिका गये. वहां ओहियो विवि से फिजिक्स में ही पीएचडी किया, पर इसके बाद वे बायलॉजी में काम करने लगे. फिर उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. वे फेलो ऑफ रॉयल सोसाइटी हैं. उन्हें 2009 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार मिला.
वेंकी आइआइटी में असफल रहे, पर संकल्पशक्‍ति के कारण विज्ञान का सबसे ब़ड़ा सम्मान मिला. सीबीएसइ या आइआइटी की परीक्षा कोई अंतिम लक्ष्य नहीं हो सकती कि यहां असफल होने के बाद हम यह मान बैठें कि हमारे हिस्से केवल नाकामी व अंधेरा है. आत्मघाती बातें दिमाग में लानेवाले वेंकी को देखें. जिंदगी ब्लांइड लेन नहीं, बल्कि खुला आसमान है, जहां आगे बढ़ने के हजार रास्ते हैं.

किसी को जीरो न कहें, उसमें π (पाइ) है

ऊपर वैज्ञानिक जगदीशचंद्र बोस का चित्र है. उन्होंने ही पहली बार साबित किया कि पौधे मनुष्य की तरह जीव हैं. वे फादर ऑफ रेडियो साइंस भी कहे जाते हैं. तब प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रयोगशाला नहीं थी. अपने खर्चे से बाथरूम को प्रयोगशाला बनायी. पहली बार बिना तार के इलेक्ट्रोमेगनेटिक तरंगों के सहारे घंटी बजा कर दुनिया को चौंकाया.
अंगरेजों ने उनके सिद्धांत का इस्तेमाल पानी जहाजों को संदेश देने के लिए किया. उन्हें पैसा जमा करने से चिढ़ थी. इसीलिए पेटेंट नहीं कराया. गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर को पत्र लिखा कि पैसे के पीछे लोग कैसे भाग रहे हैं. वे बस ज्ञान के प्रचार-प्रसार के इच्छुक थे. वे स्कूल में अंगरेजी में बहुत कमजोर थे. उनके सहपाठियों ने उनके साथ पढ़ने से इनकार कर दिया था. वे बोस को देहाती कहते थे.
बेवकूफ-‘जीरो’. आज भी हम कमजोर छात्र के लिए लोगों को‘जीरो’कहते सुनते हैं. पाइ का मान जीरो की परिधि को उसके व्यास से विभाजित करने पर आता है. इसे हम 3.14 मान कर काम चलाते हैं, पर सही मान आज तक नहीं निकला. दो अंकों को दहाई व तीन अंकों को सैकड़ा कहते हैं, पर एक के आगे अगर दस लाख अंक दिये जाएं, तो क्या आप गिन पायेंगे.
प्रिंस्टन विवि की‘रहस्यमयी पाइ’में 27 पन्नों में वैलूय निकाल कर छोड़ दिया गया है. यह अनंत है. न खुद को‘जीरो’मानें, न दूसरे को‘जीरो’ कहें, क्योंकि आपमें पाइ है. आपमें कितनी क्षमता है, इसका सही मूल्यांकन पाइ की तरह अब तक नहीं हुआ है. जिंदगी को‘जीरो’मान कर नष्ट करने के बजाय इसके आगे अंक लगाते जाएं. आप जेसी बोस से भी आगे होंगे

एचआर की क्वालिटी पर निर्भर कंपनी का भविष्य

मैनेजमेंट क्या है? कुछ परिभाषाएं भी हैं. इनमें से कुछ सिंपल हैं, तो कुछ जटिल. हालांकि सभी मैनेजमेंट संसाधनों का श्रेष्ठ उपयोग ही बताते हैं. तीन मुख्य संसाधन हैं, टेक्नोलॉजी, फ़ाइनेंस और ह्यूमन रिसोर्सेस. मैं जब ओदत्य बिड़ला के साथ काम करता था, तो वे अक्सर कहते थे कि कोई भी जिसके पास पैसा हो, वह दुनिया में उपलब्ध श्रेष्ठ टेक्नोलॉजी खरीद सकता है और कोई भी संस्थान बाजार और वित्तीय संस्थाओं से वित्तीय संसाधन जुटा सकता है. इसलिए यह ह्यूमन रिसोर्स (एचआर) की क्वालिटी पर निर्भर है कि कंपनी कमजोर होगी या श्रेष्ठ.
ह्यूमन रिसोर्स को मैनेज करना ही एक मैनेजर का पहला और सबसे जरूरी काम है. ऐसे मैनेजर जो प्रतिभाशाली कर्मचारियों को प्रोत्साहित करते हुए कंपनी में बनाये रखते हैं, वही अच्छे मैनेजर हैं. संस्थान के विजन से सभी कर्मचारियों के विजन को मिलाते हुए आगे बढ़ना ही एचआर मैनेजमेंट का श्रेष्ठ तरीका है. देखिए, कैसे कुछ सफ़ल वैश्विक कंपनियों ने अपने विजन को खूबसूरती के साथ बांधे रखा.
- माइक्रोसॉफ्ट : हर डेस्क पर एक पीसी.
- वेज वुड : आम आदमी कम कीमत पर अच्छी क्रॉकरी खरीदने में सक्षम हो.
- कोका कोला : दुनिया में कहीं भी लोग कोक खरीद सकते हैं.
- न्यूपोर्ट न्यूज शिपबिल्डिंग एंड ड्राइडॉक कंपनी : हम यहां अच्छे शिप बनाते हैं.
* प्रॉफ़िट पर : अगर हम हासिल कर सके.
* नुकसान पर : अगर जरूरी हो. लेकिन हमेशा अच्छा शिप बनायेंगे.
इसी तरह हर व्यक्ति का भी एक विजन होना चाहिए. मैं अपने सेमिनार में प्रतिभागियों से उनके व्यक्तिगत विजन के बारे में अक्सर पूछता हूं. ज्यादातर कहते हैं कि उनका कोई विजन ही नहीं है. केवल कुछ ही हैं, जो अपने विजन के बारे में गंभीरता से सोचते हैं. एक ने कहा कि वह राजस्थान में खेती करना चाहता है. दूसरे ने कहा कि वह अपाहिज बच्चों के लिए एनजीओ शुरू करना चाहता है.
इस लेखक का अपना एक अलग विजन है कि एकमा ब्लॉक के हर परिवार के पास पक्का मकान हो. ऐसे 45 मकान बन चुके हैं और 10 अंडर कंस्ट्रक्शन हैं. यह पर्सनल विजन मुझे प्रेरित करता है. कुछ लोग मेरी राह में रुकावट भी बने, लेकिन गरीब पुरुष, महिलाएं और बच्चे जो पहली बार पक्के मकान में रहेंगे, उनके चेहरे की मुस्कान के लिए मैंने हर परेशानियों का हंसते हुए सामना किया. यह पावर है विजन का. जिनके पास एक विजन है, वे एक उद्देश्य के साथ जीते हैं. बाकी सब बस जी रहे हैं.