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नमस्कार मित्रों.... अगर आप कील बनके रहोगे, तो सब आपके साथ हथौड़ा बन कर पेश आएंगे।
.आपके पास एक सीमित समय है, इसलिए दूसरे की जिन्दगी जीने में इसे बर्बाद न
करें. सिद्धांतों में फंसने की गलती भी ना करें, क्योंकि ये दूसरों की सोच
के हिसाब से बने हुए है. दूसरों की सोच के शोर में कभी अपने अन्तर्मन की
आवाज को दबने न दें और इससे ज्यादा जरुरी है की आप अपने दिल और दिमाग के
कहे अनुसार चलने का साहस रखें क्योंकि ये ही दोनों आपको बताएँगे कि आपको
वाकई क्या करना है और क्या बनना है. जिन्दगी में बाकी सब कुछ बाद में ही
आता है. .किसी चीज के खोने के डर से बचना चाहते है, तो यही सोचें कि
एक दिन मौत को ही गले लगाना है. इसके बाद दिल की सुनने का कोई लाजिक नहीं
बचता. भय और लोभ पर खड़े धर्मों को धर्म कहना धर्म की तौहीन है। - धर्म वही है जो नाचता हुआ है। जो धर्म हंसी न दे और जो धर्म खुशी-उत्साह न दे, वह धर्म, धर्म नहीं है।
- सिर्फ दो बातें याद रखनी हैं : एक ध्यान व दूसरा प्रेम। फिर किसी धर्म
की जरूरत नहीं रहती। ध्यान स्वयं के लिए और प्रेम दूसरों के लिए। ध्यान
भीतर जाने के लिए और प्रेम बाहर जाने के लिए।
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