Sunday, August 7, 2011

भारत की जो शिक्षा पद्धति है वो खत्म होना चाहिए और इसी को खत्म करने के लिए मेकोले को यह भेजा गया मेकोले जब भारत आया तब उसने भारत का एक सर्वे करवाया जिसमे एक रिपोर्ट आई की भारत का जो cultural system वो यहा के गुरुकुलो पर टिका हुआ है भारत का प्राचीन काल में जो स्कुल होता था वो गुरुकुल कहलाता था और ये schooling system कैसा था ये रिपोर्ट में प्रस्तुत कर रहा हू 1835 में जो ये अंग्रेजो ने ये सर्वे करवाया जिसका मुख्य आधार था की हिंदुस्तान का cultural system है वो यहां के गुरुकुलो पर टिका है यह 1500-1600 अंग्रेजो द्वारा मेकोले के आदेश पर किया गया जिसमे गुरुकुलो को ही भारत की cultural system का आधार बताया गया -जिसमे कहा गया है की हिदुस्तान की जो cultural system है वो येह के गुरुकुलो पर टिका है तब मेकोले पूछता है की गुरुकुलो में क्या पढाई होती है तो में उस रिपोर्ट का एक ही बात बताता हू की उसमे लिखा है की मद्रास में उस समय डेढ़ लाख कोलेज है और उस समय मद्रास में एक लाख संतावन हज़ार गाव थे और आप इसी बात से समझ ले की हर गाव में एक कोलेज है और अंग्रेज उस ज़माने में इन कोलेजो को कह रहे है अपनी भाषा में higher learning institute यानि कोई छोटे मोटे नहीं बल्कि उच्च शिक्षण संसथान है स्कूले के बारे में वो कह रहे है की हर गाव में दों तीन है लेकिन ये जो डेढ़ लाख है वो कोलेज है और इन डेढ़ लाख कोलिजो में पढाया क्या जाता है ये अंग्रजो का यही सर्वे बता रहा है की इनमे 1500 कोलेज तो सर्जरी के कोलेज है जहा ms(master of surgery) की डिग्री मिलती है हम उस ज़माने में एम् एस नहीं कहते होंगे लेकिन रिपोर्ट में यही लिखा है और इस डिग्री को पढ़ के निकलने वाले कोन है वो भी मजेदार है की की मद्रास में एक जाति है जिसे हम नाई कहते है और जितने भी सर्जेरी की पढाई करने वाले है सब के सब नाई जाति है तो कभी कभी इस देश में गलतफहमी हो गई है हमको अंग्रजो के वजह से की शुद्रो को पढ़ने ही नहीं दिया इस देश में लोगो ने- शुद्रो पर तो ब्राह्मणों ने इतने अत्याचार किया की वो पढ़ ही नहीं पाए अगर जो नाई सर्जन है इस देश में तो ये कैसे संभव है की शुद्रो को ब्राह्मणों ने पढ़ने ही नहीं दिया और इन डेढ़ लाख कोलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का जो प्रतिशत है वो अंग्रजो ने क्लिअर किया है की 70% लोग शुद्र है और 30% में ब्राह्मण भी है क्षेत्रिये भी है वैश्य भी है और उसी रिपोर्ट में दूसरी बात है की हिंदुस्तान में जो शुद्र है उनके हाथ में सबसे बड़ी टेक्नोलोजी है ये में नहीं अंग्रजो की रिपोर्ट कह रही है टेक्नोलोजी इन्ही के हाथ में है और टेक्नोलोजी का सबसे अधिक transfer यही जाती कर रही है तो मद्रास में और मद्रास के आप पास के इलाके में आज भी आप जाईये वहां एक जाती है जिनको पेरियार कहते है ये जाति आज के समय में सबसे नीची जाती मानी जाती है पुरे साऊथ में लेकिन 1835 के सर्वे के अनुसार उस जाति की हैसियत क्या है उस समय में की जो कॉलेज है architech के बुलिडिंग डिजाइन के उस समय इनकी संख्या 2200-2300 है पुरे मद्रास में और इन कोलेजो के जो महतवपूर्ण आचार्य है वे सब के सब पैरियार है और उन कोलेजो में पढ़ने वाले जितने भी बड़े बड़े लोग है बड़े बड़े architect है वो सब पैरियार है दक्षिण भारत में जितने भी मंदिर आपने देखे मीनाक्षिपूरण का हो , मदुरई का हो वैगेरह वैगेरह दक्षिण भारत में मंदिरों की भारी परम्परा है जो हमे उतर भारत में देखने को नही मिलती है construction के हिसाब से,मंदिरों के design के हिसाब से और ऐसे अदभुत मंदिर देखे जाते है दक्षिण भारत में की आप एक जगह खड़े हो जाये मंदिर में और आवाज लगाइए तो 30 किमी तक ये एक दूसरे को सुनाई देगी और ये जो डिजाइन बनाने वाली जाती है वो है पेरियार है और इन जाति का जो महत्वपूर्ण काम है वो है मंदिरों के बनाने का और ये जो जाति है पुरे दक्षिण भारत में सबसे मजबूत मानी जाती है ये उनकी रिपोर्ट है अंग्रेजो की और बाद में इसी जाति को अंग्रेजो ने 1890 में बर्बाद कर दिया कैसे बर्बाद किया है अंग्रजो का एक अंग्रेज ऑफिसर है जिसका नाम है a.o.hyume जिसने बाद में जाकर कांग्रेस बनाई है और ये मद्रास का कलेक्टर रहा और एक मद्रास के कलेक्टर की हैसियत से इसने एक सूचना निकाली की जितने भी मंदिर है वो आज के बाद पेरियार नहीं बनाएगी और अगर बनाये तो वो कानूनी अपराध होगा और इस तरह कानून बना के उस जाति को मंदिर बनाने से रोक दिया ह्यूम ने और नतीजा क्या हुआ की 50-60 साल के बाद ये जाति धीरे धीरे खत्म होती गई और आज ये बिलकुल खात्मे के किनारे पर पड़ी हुई है अंग्रेजो ने ऐसे तोडा है भारतीये समाज को , भारत की जो face to face community है यानि हर एक जाति एक विशेष प्रकार का हुनर है और ये एक दूसरे के काम में आ रहा है जैसे कोई है जो जूता बना सकता है और बदले में उस जूते को में खरीद रहा हू और बदले में उसके आनाज दे रहा हू हर एक जाति है और हर एक के पास एक विशेष प्रकार का हुनर है कार्य विशेष है और ये पूरी की पूरी जो कम्युनिटी है एक दूसरे पर इंटर डिपेंडबल है और यही हुनर वाली सोसाइटी को इस देश में शुद्र कहा गया और अंग्रेजो ने इनकी हैसियत को निचे गिराई चुकी मेकोले कह रहा है की अगर इंडियन सोसाइटी को तोडना है अगर अंग्रेजो का गुलाम बनाना है तो वह एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है वो कह रह है की किसी भी खेत में दूसरी फसल लगाने से पहले उस खेत को खूब जमकर जोता जाता है और इसी प्रकार भारतीये समाज में अंग्रेजी समाज लाने से पहले इसको जोत दो कसकर पहले मने जो कुछ भी उसको नाश दो पहले उसके बाद उसमे ब्रिटेन की संस्कृति के बिज डालो तब कुछ उसमे से निकलेंगा और वो कह कर रहा है वो दो बातें कह रह है जो में आपको बताता हूँ की भारतीये समाज के संस्कृति को तोड़ने के लिए दो बाते जरुरी है जो मेरे समझ में आगया है पहली वो है की भारत की जो न्याय व्यवस्था है उसको तोडना है और दूसरी जो भारत की शिक्षा व्यवस्था है उसको तोडना है और भारत की शिक्षा व्यवस्था कितना ज़बरदस्त है जिसका वो वर्णन कर रहा है की 1835 में ब्रिटेन में कोई जानता नहीं की सर्जरी क्या होती है इंग्लैंड में सबसे पहले सर्जरी की पढाई चालू हुई है 1910-1911 में और हिंदुस्तान में उससे हजारो साल पहले सर्जरी पढाई जा रही है पलास्टिक सर्जरी क्या है इंग्लैंड जानता नहीं 1850-1860  तक जबकि हिंदुस्तान में सर्जरी पढाई जा रही है कई हजारो साल पहले से- एक अंग्रेज पुलिस ऑफिसर का स्टेटमेंट है कर्नल कुक -ये एक बड़ा ऑफिसर है जो हिंदुस्तान आया है लड़ने के लिए और इसकी जंग हुई है हैदर अली के साथ हैदर अली एक बड़ा राजा है दक्षिण भारत का जिससे कभी अंग्रेज जीत नहीं पाए तो इनकी लड़ाई में कर्नल कुक हार जाता है और हैदर अली उसको मारता नहीं उसकी नाक कट लेता है और कहता है की तुम जाओ और इंग्लैंड में जाकर कहना की तुम नाक कटवाकर आये हो मने की बेजती हो गई जो हिंदुस्तान के मुहावरों में मिलता है और इस तरह कर्नल कुक कटी हुई नाक लेकर भागता है और जब हैदर अली की सीमा के बहार जाता है तो एक गाव में पहुचता है उस गाव में एक भाई पूछता है की तुम कहा जा रहे है कटी हुई नाक लेके तो कहता है की चोट लग गई हो छूट बोलता है बेज्जती के डर से तो वो भाई कर्नल कुक से कहता है की मेरे गाव में एक वैध है जो तुम्हारी कटी हुई नाक जोड़ सकता है चलो मेरे साथ और कर्नल कुक एक मेम्वार लिखी है जिसमे लिखा है की डेढ़ घंटे मेरा ऑपरेशन चलाता है और उस वैध ने मेरी कटी नाक जोड़ दी और इसके बाद वो इंग्लैंड गया है वापस तो उसका एक दोस्त है जो बड़ा सर्जन है लन्दन में कहता है की तुमको तो कुछ नहीं आता सीख के आओ हिंदुस्तान में जाकर की लोग कैसे इतनी बड़ी सर्जरी करते है तो वो आता है लन्दन से और 6-7 साल यहां रहता है और सर्जरी सीख करके जाता है तब इंग्लैंड में सर्जरी introduce होता है और हमको ठीक उलटा बताते है की जो कुछ भी लाए अंग्रेज लाए उसके पहले कुछ था ही नही इस देश में लेकिन सचाई कुछ और है की अंग्रेज जो कुछ सीख कर गय है वो हमसे सीख के गय है और अपनी मुहर लगा के कहते है हमको कह रहे है की ये हम लाए है तुम्हारे लिए, जिस देश में इतना बड़ा education system चलता है इस देश में उसके पीछे कुछ बड़ी सवेदनाए रही होगी इस देश में और अंग्रेज उसको खत्म कर रहे उसके लिए मेकोले कानून बना रहा है जिसका नाम है indian education act और जब ये एक्ट लागू होता है इस देश में तो पहली बात ये है की इस देश में की जितने गुरुकुल चल रहे है इस देश में इनको illegal घोषित करो अंग्रेज सरकर ये फैसला कर रही है और इस तरह अगर गुरुकुलो को illegal घोषित कर दिया जायेगा तो जो गुरुकुलो को दान देने वाले है वो भी असंवेधानिक घोषित हो जायेंगे और तब गुरुकुलो को दान नहीं मिलेगा और दान नहीं मिलेगा तो गुरुकुल खुद ब खुद बंद होने वाले है और उसके बाद हम कॉन्वेंट स्कूल इस देश में खोलने वाले है मेकोले कहता है और इस तरह से इस देश में गुरुकुल चलने वाले को मारा जाता है पीटा जाता है सजा दी जाती है और इस तरह से इस देश में गुरुकुल बंद होते गय और फिर अंग्रेजो ने सबसे पहले कॉन्वेंट स्कूल खोला है कोल्कता में और उस कॉन्वेंट स्कूल में पढाना है तो admission  के लिए इस देश में एक आदमी को खड़ा किया गया जिनका नाम है राजा राम मोहन राय और अंग्रेजो द्वारा बचो को स्कूल में लेन की जो जिम्मेवारी है वो राजा राम मोहन राय को और राजा राम मोहन राय अंग्रजो के बड़े भारी समर्थक है और आपने शायद पढ़ा ही होगा की भारत के गाव गाव में अंग्रेजी शिक्षा को फ़ैलाने का काम सबसे पहले राजा राम मोहन राय को ही जाता है श्रेय, इससे पहले राजा राम मोहन राय इस्ट इंडिया कंपनी में क्लर्क है बाद में उनको नौकरी से छूती दी जाती है और कहा जाता की तुमको तुम्हारी तनखा मिलेगी बस तुम गाव गाव में कॉन्वेंट स्कूल खोल दो और बचे उसमे लाने की तुम्हारी जिम्मेदारी है उस जामाने में कोई भी माँ बाप अपने बल बच्चे को कॉन्वेंट में भेजता नहीं क्यों नही भेजता क्योंकि सबको लगता है की ये फालतू का स्कूल है और इसी के लिए राजा राम मोहन राय गाव गाव जाते है एक किस्सा है की एक बार किसी गाव में राजा राम मोहन राय जाते है तो वो गाव वर्द्धमान कोल्कता में है जहा के लोगो को बोला के कन्विंस कर रहे है की आप अपने बच्चो को कॉन्वेंट स्कूल में भेजिए तो एक गाव का किसान पूछता है की क्या मिलेगा हमारे बच्चो को तो राजा राम मोहन राय कहते है की आपके बच्चो को अंग्रेजी पढाई जायेगी तो किसान पूछता है की उस अंग्रेजी से क्या होगा तो राय कहते है की आपके बच्चे अंग्रेजो जैसे हो जायेंगे तो किसान पूछता है की अंग्रेजो जैसे हो जायेंगे तो हमारा क्या फायदा तो राय कुछ बता नहीं पा रहे है फिर एक तर्क वो दे रहे है की आपके बच्चे tie लगाएंगे सूत बूट पहनेगे तो गाव वाला पूछता है की ये tie क्या होती है क्योंकि उसको पता नहीं है और सही ही बात है इस गरम देश में tie लगाने का कोई मतलब ही नहीं तो राय बताते है की एक कपडा होता है जिसको गले के चारो तरफ बांध दिया जाता है तो किसान पूछता है की इसका इस्तेमाल क्या है तो राय बताते है की ब्रिटेन में सर्दी बहुत पड़ती है और इतनी सर्दी पड़ती है की हर समय जुकाम रहता है लोगो को तो इसी लिए गले में एक कपड़ा बंधते है ताकि बार बार नाक पोछ सके तो किसान कह रहा है की हमारे देश में तो गर्मी पड़ती है तो फिर गाव में बच्चे को तो जरुरत नही इसे लगाने की तो राय निराश होके लोटते है और कोई भी गाव वाला अपने बच्चो को कॉन्वेंट में भेजने के लिए तेयार नहीं और एक बात है की ये कॉन्वेंट स्कूल इरोप में क्यों खुले क्योंकि वह एक बड़ी परम्परा है हजारो साल पुरानि वो ये है की बच्चो को लावारिश छोड़ दिया जाता था अभी ये बंद हुई है कोई सौ साल पहले इसमें बच्चे को छोड़ दिया जाता था बच्चा पैदा हुआ छोड़ दिया चर्च के सामने बच्चा पैदा हुआ छोड़ दिया अनाथालय में क्यों छोड़ दिया जाता था तो पता चलता है इंग्लैंड की हिस्टरी से की गरीबी इतनी थी की बच्चो को पलना मुश्किल होता था आज भी आप जानते है की बच्चा के 12-14 साल उम्र होते बच्चा अपने मम्मी डैडी के पास रहता नहीं है सब छोड़ के चले जाते है और इसी कारण ये जो परम्परा थी तो नवजात बच्चे रखे कहा जाये ये बड़ी भरी प्रॉब्लम रही और इस लिए ही कॉन्वेंट स्कूल खोले गए और कॉन्वेंट स्कूल में वाही जाते है जिनके मम्मी का पता नहीं जिनके डैडी के पता नहीं जो लावारिश है तो हमारे बच्चे क्यों जाते है येहा तो मम्मी भी हा पापा भी है डेढ़सौ साल पहले कोई बच्चा कॉन्वेंट जाता नही था कोई मम्मी पापा भेजते नहीं थे इतने तर्क सुनाने के बाद की टेई लगायेंग और अंग्रेज बनेगा और आज तो लाइन लगी है की कही सिट फूल न हो जाये और इनमे सिलेबस क्या पढाया जाता है तो इनमे तय किया गया है इन स्कूलों में सबसे पहले शिक्षा क्रिश्चियनिटी की दी जाएँगी और उसी के हिसाब से किताब बन भी रही है और शिक्षा भी दी जा रही है और मजेदार बात तो यह है की आज़ादी से पहले जितने कॉन्वेंट स्कूल थे आज़ादी के बाद इनकी संख्या 4 गुना बढ़ गय और मकेले का एक बड़ा ही चर्चित चिठ्ठी है जो वो अपने पिता को लिख रहा है की जब ये बच्चे कॉन्वेंट से पढ़ के निकलेंगे और ये ऐसे दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे की इनको अपने देश के बारे में कुछ नहीं पता होगा इनको अपनी संस्कृत के बारे में कुछ नहीं पता होगा इनको अपनी परमपरा के बारे में कुछ नही मलुम होगा इनको अपनी चीजों के बे में कुछ नहीं मालूम होगा इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे ये सब के सब विदेशी हो जायेंगे और इस देश में ऐसे बच्चे पैदा होने लगेंगे की भले ही चले जाये अंग्रेज इस देश को छोड़ कर अंग्रेजियत नहीं जाएँगी, और हमने इस तर्क पे इन कॉन्वेंट स्कूल को अपना लिया है की अरे भाई अंग्रेजी तो इंटरनेशनल भाषा है और में दुनिया के हर एक आदमी को चेलेंज करता हू जो यह कहता है की अंग्रेजी इंटरनेशनल भाषा है दुनिया में इस समय दो सौ से ज्यादा देश है और मात्र 9 देशो में अंग्रेजी चलती है मात्र 200 देशो में से 9 देशो में अंग्रेजी भाषा चलती है और बाकि 191 देशो में उनकी अपनी मात् भाषा चलती है तो कैसे अंग्रेजी internationl language है ये तभी मानी जाती जब 200में 150देशो में अंग्रजी भाषा चलती और जिन देशो में चलती है वेह खिचड़ी बन गई है अंग्रेजी लैटिन में, एक दूसरा तर्क है की अंग्रेजी में शब्दों की संख्या बड़ी है आप किसी भी अंग्रेजी की बड़ी डिक्सनरी उठा लीजिए इनमे गिन लीजिए इनमे शब्दों की संख्या गिनती के 12000 है और बाकि दूसरे सब्दो से लिए हुए है और अकेले गुजराती में ओरिन्जन्ल शब्दों की संख्या 40000 है हिंदी की तो बात छोड़ दीजिए मराठी में ओरिजनल सब्दो की सखे 40000-45000 है और हिंदी में अपने ओरिजनल शब्दों की संख्या 80000 से ऊपर है तो बताये की अंग्रेजी में शब्द है कहा फिर अंग्रेजी के शब्द तो सब चोरी किये हुए शब्द है ये या तो फ्रेंच के है या फिर लैटिन के है या तो ग्रीक भाषा के पुराने शब्द है और कुछ साउथ ईस्ट एशिया के शब्द है और ये भाषा इतनी लचर है इतनी पंगु है की चाचा हो तौऊ हो मामा हो फूफा हो सब के सब अंकल, चाची हो भाभी हो दादी हो ताई हो सब अंटी उनके पास इनके अलावा शब्द ही नहीं है जिस भाषा के रिश्तेदारों के कहने के शब्द नहीं हो वो भाषा अच्छी कैसे हो सकती है और कभी कभी तो इतना घंचकर हो जाता है की इनलव है अब समझ में नहीं आता की उनके तरफ की है या हमारी तरफ की और हमरे देश में तो रिश्तेदारी इतने मिक्रो लेवल में डेफिनेशन किये हुए है की इनकी तुलना कही नहीं और कभी कभी तो लोग तर्क ये देते है की भाई अंग्रेजी नहीं होगी तो science and technology की पढाई नहीं हो सकती और और बड़े बड़े विद्यावान कहते है की बिना अंग्रेजी के ही इनकी पढाई हो सकती है और दुनिया में दो देश इनका उदारहण है जापान और फ्रांस -पुरे जापान में आप चले जाइये जितने भी इंजिनयरिंग के कोलेज हो मेडिकल के जितने कोलेज है सब के सब में पढाई जापानी में होती है वहां है chartered accountant and management सारे जापानी में पढते है तो science और technology अंग्रेजी में ही पढाई हो सकती है ये दुनिया का सबसे रद्दी तर्क है फ्रांस में चले जाइये बच्चपन से लेकर उच्च शिक्षा तक सब फ्रेंच में पढाया जाता है और अगर आप फ्रास जाये और किसी से भी अंग्रेजी में बात करे तो ऐसी वो नाक चढा लेता है की जैसे आपने कितना बड़ा पाप कर दिया है और आप संस्कृत वो आपसे इतने लगाओ करेंगे इस भाषा को सिखाने के लिए की आप सचमुच भारतीये परम्परा का कद्र खुद करना सीख जाओगे या फिर उनसे टूटी फूटी फ्रेंच बोले इतने खुश होंगे की आपने उनकी भाषा बोला तो सही

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