Tuesday, August 2, 2011







ॐ नमः कृष्णाय नीलाय शितिकंठनिभाय च। नमः कालाग्निरूपाय कृतंताय च वै नमः॥ नमो निमौसदेहाय दीर्षश्रृजटाय च। नमो विशाल नेत्राय स्धूलरोवे च वै पुनः॥ नमो दीर्षाय शुक्याय कालदंष्ट्र नमोस्तुते। नमोस्तु कोटराक्षाय दुर्निरीक्षाय वै नमः॥ नमो नीलमषूकाय नीलोत्पलनिभाय च। नमो घोरायरौद्राय भीषणाय करालिने॥ नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोस्तुते। सूर्यपुत्र नमस्तेस्तु भक्ताराभयदाय च॥ अषो दृष्टे नमस्तेस्तु संवर्तका नमोस्तुते। नमो मंदगते तुभ्यं निस्त्रिलिशाय नमोस्तुते॥ तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च। नमो नित्यं क्षुषार्ताय अतृष्ताय चवै नमः॥ ज्ञानचक्षुर्नमस्तेस्तु कश्यपात्मजसूनवै। तृष्टा ददासि वैरेज्यं च्रुष्टो हरासि तक्षणात्‌॥ देवासुरमनुष्याश्च सिध्दिविद्याधरोरगाः। त्वया विलोकितास्सर्वे नाशं यांति समूलतः॥ ॐ नमस्ते कोणसंस्थाय पिँगलाय नमोस्तुते। नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तुते॥ नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय च। नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥ नमस्ते मंदरूपाय शनैश्चर नमोस्तुते। प्रसादं कुरु मे देव वरार्थेह मुपागतः। प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥

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