लाल बहादुर शास्त्री का जन्म
2 अक्टूबर 1904 को
मुग़लसराय उत्तर प्रदेश,
भारत में हुआ। यह एक भारतीय राजनेता और
जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे।
शिक्षा
भारत में ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़
महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए
असहयोग आंदोलन के एक कार्यकर्ता लाल बहादुर थोड़े समय (
1921) के लिये जेल गए। रिहा होने पर उन्होंने एक राष्ट्रवादी विश्वविद्यालय काशी विद्यापीठ (वर्तमान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ) में अध्ययन किया और स्नातकोत्तर
शास्त्री (शास्त्रों का विद्वान) की उपाधि पाई।
परिवार
अपने पिता
मिर्ज़ापुर के श्री शारदा प्रसाद और अपनी माता श्रीमती रामदुलारी देवी के तीन पुत्रो में से वे दूसरे थे। उनके पिता शारदा प्रसाद एक ग़रीब शिक्षक थे, जो बाद में राजस्व कार्यालय में लिपिक (क्लर्क) बने। शास्त्रीजी की दो बहनें भी थीं। शास्त्रीजी के शैशव में ही उनके पिता का निधन हो गया।
1928 में उनका विवाह श्री गणेशप्रसाद की पुत्री ललितादेवी से हुआ और उनके छ: संतान हुई।
अनुयायी के रूप में
स्नातकोत्तर के बाद वह गांधी के अनुयायी के रूप में फिर राजनीति में लौटे, कई बार जेल गए और संयुक्त प्रांत, जो अब उत्तर प्रदेश है, की कांग्रेस पार्टी में प्रभावशाली पद ग्रहण किए।
1937 और
1946 में शास्त्री प्रांत की विधायिका में निर्वाचित हुए।
लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा
Lal Bahadur Shastri Statue
नेहरू जी से मुलाकात
1929 में
इलाहाबाद आने के बाद उन्होंने श्री टंडनजी के साथ भारत सेवक संघ के इलाहाबाद इकाई के सचिव के रूप में काम किया। यहीं उनकी नज़दीकी नेहरू से भी बढी। इसके बाद से उनका क़द निरंतर बढता गया जिसकी परिणति नेहरू मंत्रिमंडल में गृहमंत्री के तौर पर उनका शामिल होना था। इस पद पर वे
1951 तक बने रहे।
पद
लाल बहादुर शास्त्री की भारतीय डाक टिकट
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। वो गोविंद बल्लभ पंत के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में प्रहरी एवं यातायात मंत्री बने। यातायात मंत्री के समय में उन्होंनें प्रथम बार किसी महिला को संवाहक (कंडक्टर) के पद में नियुक्त किया। प्रहरी विभाग के मंत्री होने के बाद उन्होंने भीड़ को नियंत्रण में रखने के लिए लाठी के जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रारंभ कराया। 1951 में, जवाहर लाल नेहरु के नेतृत्व में वह अखिल भारत काँग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किये गये।
1952 में वह संसद के लिये निर्वाचित हुए और केंद्रीय रेलवे व परिवहन मंत्री बने।
प्रधानमंत्री
1961 में गृह मंत्री के प्रभावशाली पद पर नियुक्ति के बाद उन्हें एक कुशल मध्यस्थ के रूप में प्रतिष्ठा मिली। तीन साल बाद जवाहरलाल नेहरू के बीमार पड़ने पर उन्हें बिना किसी विभाग का मंत्री नियुक्त किया गया और नेहरू की मृत्यु के बाद जून
1964 में वह भारत के प्रधानमंत्री बने। भारत की आर्थिक समस्याओं से प्रभावी ढंग से न निपट पाने के कारण शास्त्री जी की आलोचना हुई, लेकिन
जम्मू-कश्मीर के विवादित प्रांत पर पड़ोसी
पाकिस्तान के साथ वैमनस्य भड़कने पर (
1965) उनके द्वारा दिखाई गई दृढ़ता के लिये उन्हें बहुत लोकप्रियता मिली। ताशकंद में
पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उनकी मृत्यु हो गई। शास्त्री के बाद नेहरू की बेटी
इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं।
पुरस्कार और सम्मान
शास्त्रीजी को उनकी सादगी, देशभक्ति और इमानदारी के लिये पूरा भारत श्रद्धापूर्वक याद करता है। उन्हें वर्ष
1966 में
भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
मृत्यु
लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु
11 जनवरी,
1966 ताशकंद, उज़बेकिस्तान, तत्कालीन सोवियत सघं में हुई थी।
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