आखिरी ‘एंडेवर’
डिस्कवरी के बाद अब एंडेवर भी अपनी अंतिम यात्रा के लिए रवाना हो चुका है. फ्लोरिडा के केप केनेडी स्पेस सेंटर से सोमवार को एंडेवर की उड़ान ( एसटीएस-134 ) के साथ ही स्पेस इतिहास का एक और अध्याय समाप्ति की ओर पहुंच गया. एंडेवर के कल और आज को समेटता आज का नॉलेज. .डिस्कवरी के बाद अब एंडेवर भी अपनी अंतिम यात्रा के लिये रवाना हो चुका है. फ्लोरिडा के केप केनेडी स्पेस सेंटर से सोमवार को एंडेवर की उड़ान ( एसटीएस-134 ) के साथ ही स्पेस इतिहास का एक और अध्याय समाप्ति की ओर पहुंच गयी. एंडेवर की इस आखिरी उड़ान के छह यात्रियों के दल का नेतृत्व मार्क कैली कर रहे हैं. एंडेवर अंतरिक्ष में 14 दिन तक रहेगा. किसी आपातस्थिति में इसमें दो दिनों की बढ़ोतरी हो सकती है. एंडेवर अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण का काम पूरा करेगा.
इसके अलावा यह स्टेशन पर अल्फ़ा मैग्नेटिक स्पेक्ट्रोमीटर को स्थापित करेगा. 16 देशों के सहयोग से बनाये जा रहे इस अंतरिक्ष स्टेशन में सौ अरब अमेरिकी डॉलर की लागत आयी है. स्पेस स्टेशन तैयार हो जाने से अंतरिक्ष से संबंधित प्रयोग करना आसान हो जायेगा. एंडेवर के बादअमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के शटल बेड़े में केवल ‘अटलांटिस’ बचा है. जून में अटलांटिस को अंतिम एसटीएस-135 मिशन पर भेजा जायेगा. इसके बाद अंतरिक्ष मिशन के लिए अमेरिका रूस के सोयुज यान पर निर्भर हो जायेगा और अमेरिकी अंतरिक्ष कार्यक्रम के भीतर एक स्पेस गैप की शुरुआत होगी.
एंडेवर की कहानी
अंतरिक्ष यान एंडेवर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी- ‘नासा’ के स्पेस शटल बेड़े का पांचवा ऑर्बिटल यान है. इसने चैलेंजर अंतरिक्ष यान की जगह ली थी. 7 मई 1992 में एसटीएस-49 मिशन के रूप में इसने पहली उड़ान भरी थी. एंडेवर ने अब तक 25 बार अंतरिक्ष की यात्रा की है. वर्ष 1986 में चैलेंजर अंतरिक्ष यान के लांच के 73 सेकेंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बाद 1987 में एंडेवर के निर्माण पर अमेरिकी कांग्रेस ने मुहर लगायी. इसके निर्माण में डिस्कवरी और अटलांटिस के उपकरणों का इस्तेमाल किया गया. ब्रिटेन के ऐतिहासिक अन्वेषण जहाज एचएमएस एंडेवर के नाम पर इसका नामकरण किया गया था. इसी जहाज की मदद से ब्रिटिश कैप्टन जेम्स कुक ने अपनी पहली यात्रा के दौरान ऑस्ट्रेलिया की खोज की थी. इसके निर्माण में 2.2 बिलियन डॉलर की लागत आयी थी. इसके जरिये 12 सितंबर, 1992 को पहली महिला एस्ट्रोनॉट मे जैमिसन के अंतरिक्ष यात्रा का सपना साकार हुआ.
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के पहले मिशन पर यही यान गया था. 1993 में हबल स्पेस दूरबीन की मरम्मत का भी पहला मिशन इसी ने पूरा किया था. इसके अलावा एंडेवर तीन उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के साथ-साथ कई सफ़ल अभियानों को अंजाम दे चुका है. वर्ष 2003 में कोलंबिया यान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद एंडेवर को नयी तकनीक से लैस किया गया. इसके बाद एंडेवर को 28 दिनों के अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने लायक बनाया गया. हालांकि, अभी तक एक मिशन की अवधि अधिकतम रिकॉर्ड 17 दिनों तक रही है, जो कोलंबिया के नाम दर्ज है. अंतरिक्ष यान के बेड़े में शामिल होने के 18 वर्ष बाद, 2010 में इसे रिटायर हो जाना था. लेकिन 1 जुलाई, 2010 को नासा की ओर से कहा गया कि एंडेवर को अंतिम बार 2011 में अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा पर भेजा जायेगा. अंतरिक्ष से लौटने के बाद इसे लॉस एंजिलिस स्थित कैलिफ़ोर्निया साइंस सेंटर के हवाले कर दिया जायेगा.
नासा अंतरिक्ष प्रोग्राम अधर में
एंडेवर और अटलांटिस के बाद नासा के पास अंतरिक्ष में जाने लायक कोई यान नहीं बचेगा. अंतरिक्ष कार्यक्रमों में आने वाली बड़ी लागत के कारण अमेरिका इस कार्यक्रम को लेकर बहुत उत्साह नहीं दिखा रहा है. एक बार किसी अंतरिक्ष यान को उड़ान भरने में 1 बिलियन पौंड की लागत आती है. अटलांटिस के बाद अमेरिका अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचाने के लिए रूसी अंतरिक्ष यान सोयुज के शरण में जाने की बात कह रहा है.
इसके अलावा दशक के मध्य तक कई अमेरिकी व्यावसायिक यान भी सेवा में आ जायेंगे. जिसका संचालन निजी उद्यमी करेंगे. ओबामा प्रशासन ने निजी कंपनियों को आगे लाने के लिए 1.3 बिलियन डॉलर की राशि की सहायता राशि देने का वादा किया है. इनकी मदद से नासा अंतरिक्ष में यात्रियों के साथ-साथ उपकरणों को भेजेगा
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