गोचर क्या होता है ??
इतने लंबे जीवन में हम पाते हैं कि वर्षभर के 365 दिन ही क्या , दिनभर के 24 घंटे एक समान नहीं होते। एक पल में हम मौज और मस्ती कर रहे होते हैं , तो दूसरे ही पल तमाम जिम्मेदारियां मुंह बाये खडी होती है , तीसरे ही पल किसी न किसी प्रकार का तनाव हमारे जीवन में आ जाता है। पर्याप्त रिसर्च के अभाव में भले ही एक एक पल के इस सुखमय और दुखमय समय के बारे में पहले से जानना कठिन हो , पर ये माहौल गोचर के ग्रहों की स्थिति से ही जन्म लेती है। शनि के कारण आप ढाई वर्षों तक किसी समस्या से निरंतर जूझ सकते हैं , जबकि बृहस्पति की स्थिति से एक वर्ष तक , एक छोटा सा चंद्रमा हमें ढाई दिनों तक परेशान कर सकता है तथा आसमान की अन्य स्थिति पर हम ध्यान दें तो एक एक घटी और पल के सुख दुख का अनुमान लगाया जा सकता है।
इस तरह भले ही जीवन भर प्राप्त सुख दुख और दीर्घकालीन उतार चढाव हम अपने जन्मकालीन ग्रहों से प्राप्त करते हों, परछोटी छोटी अवधि में आनेवाली बाधाएं गोचर के ग्रहों पर आधारित होती हैं और इसलिए भविष्य कथन में इनका ध्यान रखना आवश्यक होता है। जैसे जन्मकालीन ग्रहों की स्थिति के आधार पर किसी युवक या युवति के वैवाहिक संदर्भों में कोई कठिनाई न हो , तो विवाह मनोनुकूल स्थान में होने की पूरी संभावना रहेगी , पर कभी कभी विवाह में खासी समस्याएं आ जाती हैं। या तो विवाह में देर होती है या फिर कोई दूसरी समस्या। ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि जब वो या उनके अभिभावक विवाह के लिए गंभीर हुए , वैवाहिक मामलों के लिए जिम्मेदार कोई ग्रह गोचर में अच्छी स्थिति में न चल रहा होता है। गोचर के ग्रह कभी कभी छह सात वर्षों तक किसी प्रकार की बाधा उपस्थित करने में जिम्मेदार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में जन्मकालीन ग्रहों के आधार पर हमारे द्वारा बनाया जानेवाला जातक का जीवनग्राफ भी काम नहीं करते देखा जाता है। यही कारण है कि 'गत्यात्मक ज्योतिष' गोचर के ग्रहों को बहुत महत्व देता है।
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