बाल्यावस्था का प्रतीक ग्रह : चंद्रमा
इसके अतिरिक्त यदि कर्क राशि में लग्नेश तथा मिथुन , कर्क या सिंह राशि में सूर्य रहे तो बच्चे शरीर से मजबूत होते हैं , चाहे चंद्रमा कमजोर हो या मजबूत। इसके विपरीत यदि कर्क राशि में लग्नेश तथा धनु , मकर और कुंभ राशि में सूर्य हो तो वैसे बच्चे शरीर से कमजोर होंगे , चाहे चंद्रमा कमजोर हो या मजबूत। विभिन्न लग्नवालों के लिए कमजोर या मजबूत चंद्रमा का प्रभाव भिनन भिन्न होता है।
मेष लग्न में कमजोर चांद में जन्म लेनेवाले बच्चे अंतर्मन में अपने को माता से असंतुष्ट महसूस करते हैं। यदि चंद्रमा आठवें भाव में स्थित हो तो बच्चा बचपन में ही मां से दूर हो जाता है। इसके विपरीत मजबूत चंद्र में जन्म लेनेवाले बच्चे माता का पूर्ण सुख प्राप्त करते हैं , वे या तो बडे या इकलौते होते हैं , जिनपर मां का पूरा ध्यान होता है।
वृष लग्न में कमजोर चंद्रमा में जन्म लेनेवाले बच्चे भाई बहन से किसी न किसी प्रकार का बुरा अनुभव प्राप्त करते हैं , यदि चंद्रमा षष्ठस्थ हो तो उनका भाई बहनों से बहुत झगडा होता है। इसके विपरीत मजबूत चांद में जन्म लेनेवाले बच्चों का भाई बहन के साथ मधुर संबंध होता है।
मिथुन लग्न में कमजोर चांद में जनम लेनेवाले बच्चों के आसपास का वातावरण ऐसा होता है कि वे अपने को साधनहीन मानने लगते हैं। इसके विपरीत मिथुन लग्न में मजबूत चांद में जन्म लेनेवाले बच्चे अपने को साधन संपन्न और सुखी मानते हैं।
कर्क लग्न में कमजोर चांद में जन्म लेनेवाले बाल्यावस्था में शरीर से कमजोर होते हैं , उनको किसी प्रकार का शारिरीक कष्ट बना रहता है , पर इस लग्न में मजबूत चांद में पैदा होने वाले बच्चे शरीर से बहुत मजबूत होते हैं।
सिंह लग्न के बच्चे , जिनका चंद्रमा कमजोर है , अभाव महसूस करते हैं जबकि मजबूत चांद में जन्म लेनेवाले बच्चों के ऊपर काफी खर्च किया जाता है और वे अपने को संतुष्ट महसूस करते हैं। किंतु यदि सूर्य कर्क राशि में स्िथत हो , तो मजबूत चांद होने के बावजूद बच्चे को गंभीर शारिरीक कष्ट होता है।
कन्या लग्न में कमजोर चांद में जन्म लेनेवाले बच्चे स्वयं को किसी प्रकार की लाभ प्राप्ति के लिए कमजोर पाते हैं , पर इस लग्न में मजबूत चांद में जनम लेनेवाले बच्चों को किसी प्रकार का लाभ आसानी से प्राप्त हो जाता है।
तुला लग्न में कमजोर चांद में जनम लेनेवाले बच्चों को बचपन में उपेक्षित दृष्टि से देखा जाता है , जिससे उनके मन को चोट पहुंचती है , पर इस लग्न में मजबूत चांद में जन्म लेनेवाले बच्चों को महत्वपूर्ण समझा जाता है और उसका पूरा ख्याल रखा जाता है।।
वृश्चिक लग्न में कमजोर चांद में जन्म लेनेवाले बच्चे अपने को अभागा और कमजोर महसूस करते हैं , जबकि मजबूत चांद में जन्म लेनेवाले बच्चे अपने को भाग्यशाली और हिम्मतवर मानते हैं।
धनु लग्न में कमजोर चांद में जन्म लेनेवाले बच्चे अपनी दिनचर्या में अपने को बंधा हुआ महसूस करते हैं , जबकि इसी लग्न में मजबूत चांद में जनम लेनेवाले बच्चे मनमौजी और लापरवाह होते हैं।
मकर लग्न में कमजोर चांद में जन्म लेनेवाले बच्चे दोस्त का अभाव महसूस करते हैं , पारिवारिक माहौल भी कमजोर होता है । किंतु इस लग्न में मजबूत चांद में जन्म लेनेवाले बच्चों को खेलने के लिए बहुत सारे दोस्त होते हैं , पारिवारिक माहौल बहुत ही बढिया होता है।
कुंभ लग्न में जन्म लेनेवाले बच्चों में रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी होने से बाल्यावस्था में शारीरिक कष्ट होता रहता है। इसके विपरीत इस लग्न में मजबूत चांद में जन्म लेनेवाले बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है , इसलिए बचपन अच्छा होता है।
मीन लग्न में कमजोर चांद में जन्म लेनेवाले बच्चे प्रारंभ में मंदबुद्धि के देखे गए हैं , जिससे वे अपने को उपेक्षित महसूस करते है , पर मजबूत चांद में जन्म लेनेवाले बच्चे अपनी तीक्ष्णबुद्धि के कारण परिवार वालों को विशेष लाड प्यार प्राप्त करते हैं।
इस प्रकार 12 वर्ष की उम्र तक बच्चों की सफलता , असफलता , मानसिक स्थित या उनके अन्य व्यवहार का कारण चंद्रमा होता है। आज के युग में चूंकि अभिभावक बच्चों के क्रियाकलापों के प्रति अधिक जागरूक है और उनके चहुंमुखी विकास के लिए प्रयत्नशील भी , अमावस्या के आसपास जन्म लिए बच्चों के व्यवहार से क्षुब्ध हो उठते हैं। बच्चों के ऐसे व्यवहार का कोई कारण उन्हे समझ में नहीं आता है। अभिभावको को बच्चों कर सफलता के साथ साथ उनकी असफलताओं को भी धैर्यपूर्वक स्वीकारना चाहिए , क्यूंकि ऐसे बच्चे अधिक महत्वाकांक्षी होने के कारण तरक्की करते देखे जाते हैं और 'पूत के पांव पालने में ही दिखते हैं' को एक सिरे से खारिज करते हैं। 'गत्यात्मक ज्योतिष' के हिसाब से चंद्रमा के कारण बच्चे में कोई शारीरिक या मानसिक समस्या उपस्थित हो तो उसका समाधान 12 वर्ष की उम्र के पश्चात संभावित है।
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