हस्तरेखाओं से भविष्य का ज्ञान
किसी भी रेखा को यदि कोई दूसरी रेखा काट रही हो, तो उसका अर्थ अच्छा नहीं है, इसकी भविष्यवाणी तो की जा सकती है, परंतु विश्वासपूर्वक घटना के काल का निर्धारण काफी कठिन काम होगा। हस्तरेखाओं में बड़ी रेखाओं से ज्यादा महत्व पैनी और सूक्ष्म रेखाओं का है, यहॉ तक कि कैपिलरीज का महत्व और अधिक है। पर्वत कितने ऊंचे हैं किधर झुकाव है, हथेली के विभिन्न भागों की ऊंचाई-निचाई को समझने के लिए कंटूरलाइन को समझना, हथेली की कठोरता और कोमलता को समझना, रेखाओं के रंग को समझना, इस तरह बहुत जटिलताएं हैं। इन जटिलताओं को सरल करने की दिशा में बहुत कम काम होने से जटिलताएं ज्यो की त्यों बनी हुई हैं। अत: विश्वासयुक्त तिथियुक्त भविष्यवाणियॉ कर पाना काफी कठिन काम है। आकाश की तरह ही ग्रहों से संबंधित फल-कथन कर पाने में फलित ज्योतिश की सीमाएं असीम है , जबकि हस्तरेखा से भविश्य-कथन बंद मुट्ठी की तरह ही सीमित हो जाती है। किसी प्रकार की सिद्धी प्राप्त करने के बाद हथेली देखकर जन्मकुंडली का निर्माण कर भले ही दूसरे को चमत्कृत किया जा सके, पर वैज्ञानिक विधि से हस्तरेखाओं का रुपांतरण कुंडली के रुप में बिल्कुल असंभव है
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