Sunday, March 1, 2015

बजट 2015 जेटली ने इनकम टैक्स स्लैब में नहीं किया बदलाव

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इनकम टैक्स में कोई बदलाव
नहीं किया है, मौजूदा टैक्स छूट बरकरार रहेगी। कॉर्पोरेट टैक्स 30
प्रतिशत से कम करके 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया है।
हालांकि वित्त मंत्री ने अमीरों की जेब ढीली करने की योजना बनाई है।
जिनकी आमदनी एक करोड़ से ऊपर है, उन पर 2 प्रतिशत सेस लगाया गया है।
अब एक लाख रुपये से ऊपर की खरीद पर पैन नंबर भी जरूरी कर दिया गया हे।
काला धन संबंधी सूचना छिपाने पर 10 साल तक की जेल हो सकती है।
टैक्स चोरों के लिए 10 साल की कड़ी सजा। घरेलू काला धन पर रोक के
लिए बेनामी लेन-देन (निषेध) विधेयक होगा। सरचार्ज को 10 फीसदी से
बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया है। सर्विस टैक्स 12.36 प्रतिशत से बढ़ाकर
14 प्रतिशत कर दिया गया है।
भारत के पहले वित्त मंत्री आर. के शनमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947
को स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया था। तब से अब तक जब भी आम
बजट पेश होता है, तो आम लोगों की नजर सबसे ज्यादा इनकम टैक्स स्लैब पर
टिकी होती हैं। लोग जानना चाहते हैं कि वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स में
कुछ छूट दी या नहीं। लेकिन इस बार वित्त मंत्री ने मध्यमवर्गीय कर
दाताओं को निराश किया है।
हालांकि एनडीए सरकार ने इससे पहले पेश किए गए अंतरिम बजट में आयकर
दाताओं को टैक्स में छूट का ऐलान किया था। मोदी सरकार ने आम
करदाता को टैक्स में 50 हजार रुपये की छूट दी थी। इससे पहले से मौजूद कर
छूट सीमा दो लाख से बढ़कर ढाई लाख हो गई। सीनियर सिटिजन के लिए
कर छूट की सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर 3 लाख कर दी गई। वहीं सेक्शन 80
सी के तहत निवेश पर मिलने वाली कर छूट की सीमा एक लाख से बढ़ाकर
डेढ़ लाख कर दी गई।
वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया था।
लोकसभा चुनाव से पहले पेश हुए इस बजट से लोग कई उम्मीदें लगाए बैठे थे।
लेकिन बजट में चिदंबरम ने कर दाताओं को निराश किया। चुनावी बजट के
चलते ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि सरकार टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी कर
सकती है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। वहीं चिंदबरम ने साल 2013-14 के
आम बजट में भी इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया था। टैक्स स्लैब
2 लाख रुपये ही रखा गया था। लेकिन प्रतिवर्ष एक करोड़ रुपये से
ज्यादा आयवालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया था।

एक आरटीआई का जवाब 40000 पन्नों में

जवाब देने में विभाग को लगे दो साल
एक आरटीआई का जवाब 40 हजार पन्नों में, पढ़कर शायद आप चौंक जाएं,
लेकिन जल निगम ने अनुश्रवण समिति के सदस्य डीके
जोशी को सूचना का अधिकार के तहत इतने पन्नों में जानकारी उपलब्ध
कराई है। यह अलग बात है कि इसका जवाब देने में विभाग को दो साल लग
गए। वह भी सूचना आयोग की सख्ती के बाद दिया। इस सूचना के आधार
पर डीके जोशी बदहाल होती यमुना की लड़ाई लड़ने के लिए हाईकोर्ट
जाने की तैयारी कर रहे हैं।
डीके जोशी ने 21 नवंबर 2012 को कार्यालय परियोजना प्रबंधक,
यमुना प्रदूषण नियंत्रण इकाई, उत्तर प्रदेश जल निगम से शहर में संचालित
सीवेज पंपिंग स्टेशन (एसपीएस) और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से
संबंधित जानकारी मांगी थी। इसमें उन्होंने वर्ष 2000 से सूचना उपलब्ध
कराए जाने की तिथि तक विभाग द्वारा शहर में बिछाई गई सीवेज लाइन
और ट्रंक लाइन, इन पर खर्च होने वाली धनराशि को उपलब्ध कराने
वाली संस्था, शहर में स्थापित एसपीएस और एसटीपी की संख्या और
इनकी क्षमता, इनकी देखरेख और संचालन में होने वाले खर्च के
अलावा एसपीएस और एसटीपी की लॉग बुक (सीवेज
का कितना पानी लिफ्ट किया और कितना ट्रीट किया)
का ब्योरा मांगा था।
विभाग ने पांच सूचनाओं में से एक का भी जवाब डीके जोशी को उपलब्ध
नहीं कराया। इस पर डीके जोशी ने सूचना आयोग की शरण ली।
जहां काफी दिनों तक मामला चलता रहा। डीके
जोशी की याचिका पर विभाग के अधिकारी तलब किए गए। आयोग ने
फटकार लगाई तो विभाग सक्रिय हुआ।
तमाम कवायद के बाद विभाग ने डीके जोशी को एसपीएस और
एसटीपी की लॉग बुक का ब्योरा लगभग 40 हजार पन्नों में उपलब्ध
कराया। परियोजना प्रबंधक एवं जन सूचना अधिकारी खालिद अहमद ने
16 फरवरी को 194 नगों में यह सूचना उपलब्ध कराई।

छह महीने में तैयार किया जवाब
डीके जोशी ने वर्ष 2000 से सूचना उपलब्ध कराने तक की तिथि तक
जानकारी मांगी थी। सूचना आयोग ने जब जल निगम को उपलब्ध कराने के
निर्देश दिए तो इसे जुटाने में विभाग का दम फूल गया। सूत्रों की मानें
तो विभाग को इस सूचना का जवाब तैयार करने में लगभग छह महीने लग गए।
इसमें से भी अभी तक पूरे जवाब नहीं मिले हैं।
फंसेगी कइयों की गर्दन
दरअसल, डीके जोशी ने जो सूचना मांगी है, उसके जवाब के आधार पर वह दम
तोड़ती यमुना की लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। 40 हजार पन्नों में
विभाग के अध्ययन के बाद वह एक रिपोर्ट तैयार करेंगे कि इतने खर्च के बाद
आखिर सीवेज का गंदा पानी यमुना में सीधे कैसे जा रहा है।
यमुना इतनी दूषित क्यों होती जा रही है। बता दें कि यमुना को बचाने के
लिए केंद्र और राज्य सरकार से मोटी धनराशि आवंटित कराई जाती है,
जिसका दुरुपयोग हो रहा है।
विभाग को भुगतना पड़ा आर्थिक नुकसान
जल निगम यदि तय समय सीमा में सूचना उपलब्ध करा देता तो शायद 40
हजार पन्नों का खर्च वहन करने से बच जाता। विशेषज्ञों की मानें तो 40
हजार पन्नों की कीमत लगभग 32 हजार रुपये होगी और इनकी फोटो स्टेट
पर ही लगभग 12 हजार रुपये खर्च हुए होंगे। यदि विभाग 15 दिन में यह
सूचना उपलब्ध करा देता तो यह
खर्चा याचिकाकर्ता को ही उठाना पड़ता।
अनुश्रवण समिति के सदस्य डीके जोशी का कहना है कि अभी मुझे
पूरा जवाब नहीं मिला है। खर्च का विस्तृत ब्योरा उपलब्ध
नहीं कराया गया है। सूचना आयोग में मामला अभी भी चल रहा है।
विभाग को सभी सूचनाएं हर हालत में उपलब्ध करानी ही होंगी।

Budget for 2015 tax slab detail and more

व्यक्तिगत आयकर की दर एवं स्लैब
भाषा | नई दिल्ली Feb 28, 2015 04:18 PM IST
वित्त वर्ष 2015-16 के बजट में व्यक्तिगत आयकर दाताओं के लिए कर की दरें
और स्लैब इस प्रकार हैं :
60 वर्ष तक की आयु के व्यक्तियों के लिए
2,50,000 रुपये तक ..... कोई कर नहीं
2,50,001 से 5,00,000 .... 10 प्रतिशत
5,00,000 से 10,00,000 ..... 20 प्रतिशत
10,00,000 से अधिक ...... 30 प्रतिशत
60 से अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के लिए
3,00,000 रुपये तक ...... कोई कर नहीं
3,00,000 से 5,00,000 तक .....10 प्रतिशत
5,00,000 से 10,00,000 तक ......20 प्रतिशत
10,00,000 रुपये से अधिक ......30 प्रतिशत
80 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए
5,00,000 रुपये तक ...... कोई कर नहीं
5,00,000 से 10,00,000 तक ..... 20 प्रतिशत
10,00,000 से अधिक ..... 30 प्रतिशत