Monday, September 19, 2011
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सेकुलर लोग ,सेकुलर मिडिया ,दोगले कांग्रेसी नेता ,और कई हरामखोर नेता -अभिनेता अगर एक बाप की पैदाईश है तो मुझे समझाओ की ... १. मुल्ले को दंगा पीड़ित कहते हो क्या हिन्दू इस दंगे में पीड़ित नहीं हुए ,क्या हिन्दू भेड़ बकरी है ? २. अगर गोधरा कांड नहीं होता तो गुजरात कांड होता ही क्यों ? और गोधरा कांड के लिए किस मुल्ले ने माफ़ी मांगी ? ३. मोदीजी को माफ़ी मांगने को कहने के लिए पहले भड़वे कांग्रेसी और दोगले सेकुलर और मुल्लो से कहो की भागलपुर के दंगे ,१९८४ के दंगे ,मुंबई दंगे ,और ऐसे हजारो दंगे जो कांग्रेस के राज में हुए सैंकड़ो बोम्ब विस्फोट जिसमे ज्यादातर हिन्दू मारे गए इसके लिए क्या मिडिया देश के हिन्दुओ से मुल्लो और उसका पैदाइस कांग्रेस माफ़ी मांगेगी !
Thursday, September 15, 2011
भारत के पर्यटन स्थलों की अधिक से अधिक जानकारी हिंदी में देने का यह एक लघु प्रयास है.
Monday
सोमनाथ मंदिर--गुजरात
'गुजरात 'भारत देश के पश्चिम में एक राज्य है .इस के पडोसी राज्य हैं महाराष्ट्र ,राजस्थान,मध्य प्रदेश,दादरा एवं नगर-हवेली.इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा पकिस्तान देश से लगी हुई है.इसकी पश्चिम-दक्षिणी सीमा को अरब सागर[सिन्धु सागर]छूता है.१९४७ में स्वतंत्रता के बाद बने 'बॉम्बे स्टेट' में मराठियों के प्रथक राज्य की मांग के कारण,भाषा के आधार पर ' बाम्बे स्टेट के उत्तरी भाग 'को अलग कर १ मई १९६० में 'गुजरात राज्य बनाया गया था.उस समय इस की राजधानी अहमदाबाद थी.१९७० में 'गाँधी नगर 'को इस की नयी राजधानी बनाया गया.
मार्च २००१ की गणना के अनुसार यहाँ की आबादी 5.06 करोड़ है.
इस में २६ जिले हैं-
अहमदाबाद , अमरेली , आनंद , बनासकांठा , भरूच , भावनगर , दाहोद , दंग , गांधीनगर , जामनगर , जूनागढ़ , Kutch , खेडा , महेसाणा , नर्मदा , नवसारी , पंचमहल , पतन , पोरबंदर , राजकोट , साबरकांठा , सूरत , सुरेंद्रनगर , तापी , वडोदरा , वलसाड .
सभी मुख्य राज्यों से वायु ,सड़क तथा रेल मार्गों द्वारा जुडा हुआ है.
समुद्री तट- मांडवी -कच्छ , द्वारका , चोरवाड , गोपनाथ , तिथल , पोरबंदर , Dandi , नारगोल , सोमनाथ , अहमदपुर मांडवी , डुमास
प्रसिद्द पहाड़ी क्षेत्र -Saputara , पावागढ़ , गिरनार , तरंगा , शत्रुंजय
गुजरात सरकार की अधिकारिक पर्यटन साईट के अनुसार 'जूनागढ़ पर्यटन क्षेत्र 'में आने वाले स्थान हैं-
१-जूनागढ़
२-पोरबंदर
३-गिर राष्ट्रिय उद्यान
४-सोमनाथ
सोमनाथ
यहाँ के मुख्य दर्शनीय स्थलों में है-
महादेव का विश्व प्रसिद्द मंदिर-'सोमनाथ मंदिर'
Somnath temple picture by Raghavan
1-सोमनाथ महादेव मंदिर -
भारत के पश्चिम में सौराष्ट्र (गुजरात) के अरब सागर के तट पर ऐतिहासिक "प्रभास तीर्थ "स्थित है.यहीं विश्व प्रसिद्ध और दर्शनीय सोमनाथ मंदिर है.
यह तीर्थस्थान देश के प्राचीनतम तीर्थस्थानों में से एक है एवं इसका उल्लेख स्कंदपुराणम, श्रीमद्भागवत गीता, शिवपुराणम आदि प्राचीन ग्रंथों में भी है. ऋग्वेद में भी सोमेश्वर महादेव की महिमा का उल्लेख है.
सोमनाथ मन्दिर का आदिशिवलिंग शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है.
इस मन्दिर की मन मोहक छटा देखते ही बनती है.सुबह और संध्या के समय मन्दिर के अलग रुप देखने को मिलते हैं.
मन्दिर के निर्माण की कहानी-:
१-पौराणिक कथा के अनुसार
- इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव सोमराज ने किया था.[ इसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है].भगवान ब्रह्मा के पुत्र "दक्ष" थे ,
और दक्ष की २७ पुत्रियां थीं[जिन्हें २७ नकश्त्र भी कहा जाता है.]उनका विवाह सोमराज के साथ हुआ था.महाराजा दक्ष की पुत्रिओं ने उनसे शिकायत की कि चन्द्र्देव[सोमराज] सिर्फ़ रोहिनि को ही स्नेह देते हैं और बाकि किसी पर भी ध्यान नहीं देते.
इस पर क्रोधित हो कर राजा दक्ष के चन्द्र देव को श्राप दे दिया कि वह कान्तिहीन हो जाये!
जब सच में चन्द्र्देव का भास धूमिल होने लगा तब उनकी पुत्रियों ने उनका श्राप वापस लेने की अपने पिता से प्रार्थना की तो उन्होंने कहा कि सरस्वती के मुहाने पर समुद्र में स्नान करने से श्राप के प्रकोप को रोका जा सकता है,
तब सोमराज ने सरस्वती के मुहाने पर स्थित सिन्धु[अब अरब ]सागर में स्नान करके भगवान शिव की आराधना की जिस से प्रभु शिव यहाँ पर अवतरित हुए और उनका उद्धार किया .
शिवभक्त चन्द्र देव ने यहां शिव जी का "स्वर्ण- मन्दिर ’बनवाया.यहां जो ज्योतिरलिन्ग स्थापित हुआ उस का नाम सोमनाथ [जिसका अर्थ है--चन्द्र के स्वामी] पड़ गया.चून्कि चन्द्र्मा ने यहाँ अपनी कान्ति वापस पायी थी तो इस क्षेत्र को "प्रभास पाटन "कहा जाने लगा.
महाशिव भक्त रावण ने इस मन्दिर को चांदी का बनवाया,और उस के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका पर अपने शासन के समय इसे चन्दन का बनवाया.
Old Temple interior
इतिहास के पन्नों से-:
१-1948 में प्रभासतीर्थ प्रभास पाटन’ के नाम से जाना जाता था. इसी नाम से इसकी तहसील और नगर पालिका थी.तब यह जूनागढ रियासत का मुख्य नगर था. लेकिन 1948 के बाद इसकी तहसील, नगर पालिका और तहसील कचहरी का वेरावल में विलय हो गया.
२-इस मन्दिर का इतिहास बताता है कि इस का बार-बार खंडन और जीर्णोद्धार होता रहा पर शिवलिंग यथावत रहा,सिर्फ़ १०२६ तक!
गुजरात के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर की महिमा और कीर्ति दूर-दूर तक फैली थी. अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका जो भव्य विवरण लिखा उससे प्रभावित हो महमूद ग़ज़नवी ने सन 102६ में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, उसकी सम्पत्ति लूटी और जिस शिवलिंग को खंडित किया, वह आदि शिवलिंग था.
इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका शिला में पुनर्निर्माण कराया.
जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर क़ब्ज़ा किया तो दोबारा प्रतिष्ठित किए गए शिवलिंग को 1300 में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित किया.
सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण और विनाश का सिलसिला यूं ही जारी रहा.
-एक नज़र में देखें तो--:
सर्वप्रथम मंगोल सरदार मौहम्मद गजनवी ने इ.स. 1026 में और अल्लाउद्दीन खिलजी के सरदार अफजलखां ने बारी बारी 1374, 1390 में 1491, 1590, 1520 में अन्यों द्वारा लूट का कहर चलाया गया आखिर में औरंगजेब ने भी उसमें लूट की थी। कुल मिलाकर 17 बार[?] इस मंदिर को तोड़ा या लूटा गया.
बताया जाता है आगरा के किले में रखे देवद्वार सोमनाथ मंदिर के हैं. महमूद गजनी सन 1026 में लूटपाट के दौरान इन द्वारों को अपने साथ ले गया था.
राजा कुमार पाल द्वारा इसी स्थान पर अंतिम मंदिर बनवाया गया था.
Ruins of temple
तत्कालीन सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री उच्छंगराय नवल शंकर ढेबर ने जाब यहां उत्खनन कराया था,तो उत्खनन करते समय करीब 13 फुट की खुदाई में नीचे की नींव से कुछ शिल्प अवशेष पाए गए,जिनमें’ मैत्री काल से लेकर सोलंकी युग तक के शिल्प स्थापत्य के उत्कृष्ट अवशेष शामिल है.
सोमनाथ मंदिर निर्माण में तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल का बडा योगदान रहा.नये मन्दिर में भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने उत्खनन द्वारा प्राप्त ब्रह्मशिला पर शिव का ज्योतिर्लिग स्थापित किया है.
ज्योतिर्लिग
सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई 1950 को मंदिर की आधार शिला रखी तथा 11 मई 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर में ज्योतिर्लिग स्थापित किया.प्रभा शंकर सोमपुरा ने इस नये मन्दिर का डिजाईन बनाया था.
नवीन सोमनाथ मंदिर 1962 में पूर्ण निर्मित हो गया था.
1970 में जामनगर की राजमाता ने अपने स्वर्गीय पति की स्मृति में उनके नाम से दिग्विजय द्वार बनवाया. इस द्वार के पास राजमार्ग है और पूर्व गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा है.
सोमनाथ मंदिर के मूल मंदिर स्थल पर मंदिर ट्रस्ट द्वारा निर्मित यह नवीन मंदिर स्थापित है-यह ट्रस्ट ही मंदिर सम्बंधित हर बात की देख रेख करता है.
मन्दिर सम्बंधित जानकारियां-:
**मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक स्तंभ है. उसके ऊपर एक तीर रखकर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच में पृथ्वी का कोई भूभाग नहीं है.यह हमारे प्राचीन ज्ञान व सूझबूझ का अद्भुत साक्ष्य माना जाता है.
**प्रभास पाटन में त्रिवेणी है..जहां सरस्वती,ह्रिन्या,कपीला नदियां एक साथ सिन्धु[अरब] सागर में मिलती हैं.इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है।
**यह तीर्थ पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि कर्मो के लिए भी प्रसिद्ध है. चैत्र, भाद्र, कार्तिक माह में यहां श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इन तीन महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बडी भीड लगती है।
**सागर किनारे पानी में कई शिवलिन्ग भी दिखायी दे जायेंगे.
पानी में शिवलिन्ग[picture by Raghvan
***मन्दिर के प्रांगण में रात साढे सात से साढे आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के पूरे इतिहास का बडा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है.
**मंदिर के पिछले भाग में स्थित प्राचीन मंदिर के विषय में मान्यता है कि यह पार्वती जी का मंदिर है.
**तीर्थ स्थान और मंदिर मंदिर नं.1 के प्रांगण में हनुमानजी का मंदिर, पर्दी विनायक, नवदुर्गा खोडीयार, महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा स्थापित सोमनाथ ज्योतिर्लिग, अहिल्येश्वर, अन्नपूर्णा, गणपति और काशी विश्वनाथ के मंदिर हैं.
**अघोरेश्वर मंदिर नं. 6 के समीप भैरवेश्वर मंदिर, महाकाली मंदिर, दुखहरण जी की जल समाधि स्थित है.
**मंदिर नं. 12 के नजदीक विलेश्वर मंदिर है,कुमार वाडा में पंचमुखी महादेव मंदिर और नं. 15 के पास राममंदिर स्थित है.
** नागरों के इष्टदेव हाटकेश्वर मंदिर, देवी हिंगलाज का मंदिर, कालिका मंदिर, बालाजी मंदिर, नरसिंह मंदिर, नागनाथ मंदिर समेत कुल 42 मंदिर नगर के लगभग दस किलो मीटर क्षेत्र में स्थापित हैं!
**भालकेश्वर, प्रागटेश्वर, पद्म कुंड, पांडव कूप, द्वारिकानाथ मंदिर, बालाजी मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, रूदे्रश्वर मंदिर, सूर्य मंदिर, हिंगलाज गुफा, गीता मंदिर, बल्लभाचार्य महाप्रभु की 65वीं बैठक के अलावा कई अन्य प्रमुख मंदिर हैं.
**बाहरी क्षेत्र के प्रमुख मंदिर वेरावल प्रभास क्षेत्र के मध्य में समुद्र के किनारे शशिभूषण मंदिर, भीडभंजन गणपति, बाणेश्वर, चंद्रेश्वर-रत्नेश्वर, कपिलेश्वर, रोटलेश्वर, भालुका तीर्थ हैं.
2-भालका तीर्थ -
ऐसी मान्यता है कि जब एक बार श्रीकृष्ण भालका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे, तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिन्ह को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था, तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया इस लिये इस स्थान पर भव्य दर्शनीय कृष्ण मंदिर बना हुआ है. इस कारण भी इस क्षेत्र का महत्व और भी अधिक हो जाता है.
***प्रभास खंड में विवरण है कि सोमनाथ मंदिर के समयकाल में अन्य देव मंदिर भी थे. इनमें शिवजी के 135, विष्णु भगवान के 5, देवी के 25, सूर्यदेव के 16, गणेशजी के 5, नाग मंदिर 1, क्षेत्रपाल मंदिर 1, कुंड 19 और नदियां 9 बताई जाती हैं[?] एक शिलालेख में तो यह भी विवरण है कि महमूद गजनी के हमले के बाद इक्कीस मंदिरों का निर्माण किया गया. हो सकता है, इसके पश्चात भी अनेक मंदिर बने होंगे??
**सोमनाथ से करीब दो सौ किलोमीटर दूरी पर प्रमुख तीर्थ श्रीकृष्ण की द्वारिका है,जहां प्रतिदिन द्वारिकाधीश के दर्शन के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं!यहां गोमती नदी का जल सूर्योदय पर बढता जाता है और सूर्यास्त पर घटता जाता है, जो सुबह सूरज निकलने से पहले मात्र एक डेढ फीट ही रह जाता है!
सोमनाथ कैसे जायें??--
वायु मार्ग- सोमनाथ से 55 किलोमीटर स्थित केशोड नामक स्थान से सीधे मुंबई के लिए वायुसेवा है[? Not sure.Please confirm from authorised source]]
रेल मार्ग-सबसे समीप मात्र सात किलोमीटर दूरी पर स्थित वेरावल रेलवे स्टेशन है .
सड़क मार्ग- सोमनाथ वेरावल से 7 किलोमीटर, अहमदाबाद 400 किलोमीटर, और जूनागढ़ से 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं. पूरे राज्य में इस स्थान के लिए बस सेवा उपलब्ध हैं.
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