Sunday, September 11, 2011


जरा इस कोंग्रेसी चेनल की हेडलाइन पर नजर दोड़ाओ तो !!! जब कोई मिशनरियों के साथ ऐसे पेश आए तो इनके पेट मे भयंकर दर्द होता है ठीक ऐसे ही जब बंगाल, उड़ीसा, और केरल मे हिन्दू खत्म होते है तब इन्हे इस्लामिक आतंक नजर नहीं आता है

इनकी इतनी हिम्मत नहीं की कभी केरल के प्रोफेसर का हाथ काटने वाले लोगो की खबर बताए .... क्योंकि वे इस्लामिक गुंडे थे
www.youtube.com
some Hindu extremist attack on Christian meeting in chattisgargh india is in India any one safe. India still freedom.

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सचिन और दद्दा दोनों ही 'भारत रत्न' के हकदार
भारत में खेल के दो अनमोल रत्न हैं : दद्दा ध्यानचंद और सचिन तेंडुलकर ध्यान चंद दुनिया में हॉकी के पर्याय हैं तो सचिन तेंडुलकर ने क्रिकेट में ऐसे शिखर चूमे हैं, जिन पर भारत नाज कर सकता है। सोमवार को हॉकी के 'जादूगर' का जन्मदिन है। खिलाड़ियों को भी भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' देने की मांग उठ रही है। इस बाबत सरकार भी शिद्दत से सोच रही है। बहस इस बात को लेकर है सबसे पहले यह सम्मान किसे दिया जाए। भारत के हॉकी और क्रिकेट दिग्गजों से इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की तो वे दोनों को इसका हकदार मानते हैं, लेकिन इसकी शुरुआत ध्यान चंद से करने के पक्ष में लगे। इन सभी का मानना है दद्दा के बाद यह अवार्ड सचिन तेंडुलकर को दिया जाए।

दद्दा के मंझले बेटे अशोक कुमार सिंह कहते हैं, 'दद्दा दुनिया में हॉकी का पर्याय हैं और रहेंगे। हॉकी में जो बुलंदियां दद्दा ने चूमीं, उसे दुनिया में कोई दूसरा नहीं चूम पाया। उनके जन्म दिन 29 अगस्त को सरकार ने 1995-96 में राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया। ध्यानचंद के नाम ओलिंपिक में तीन गोल्ड मेडल हैं, जबकि तेंडुलकर के नाम केवल एक वर्ल्ड कप है। भारत में यदि किसी खिलाड़ी को 'भारत रत्न' देने की शुरुआत होती है तो यह ध्यानचंद से होनी चाहिए।'
BHARAT RATNA : RAJESH MISHRA
भारत के पूर्व कप्तान जफर इकबाल की राय है, 'ध्यानचंद ने आजादी से पहले भारत को ओलिंपिक में तीन गोल्ड जिताने में अहम रोल अदा किया है। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि खेलों में यदि किसी खिलाड़ी को भारत रत्न दिया जाए तो सबसे पहले इसके हकदार ध्यानचंद हैं।

ओलिंपियन जगबीर सिंह कहते हैं, 'भारतीय हॉकी दुनिया में दद्दा ध्यानचंद के नाम से ही जिंदा है। मेरी नजर में ध्यानचंद और तेंडुलकर दोनों ही बतौर खिलाड़ी इसके हकदार हैं। लेकिन यदि सरकार अवार्ड देने की शुरुआत करती है तो यह ध्यानचंद से ही होनी चाहिए।

सचिन के समकालीन रहे ओलिंपियन धनराज पिल्लै कहते हैं, 'मेरी राय में ध्यानचंद और सचिन दोनों की भारत रत्न के हकदार हैं। दोनों ने खेलों में देश का दुनिया में गौरव बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दोनों ने खेल के लिए बहुत कुछ त्याग किया। फिर भी मैं यह कहूंगा कि सबसे पहले कोई हकदार है तो वह हैं ध्यानचंद।'

भारत के महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने कहा, 'मेरा मानना है कि शुरुआत दद्दा ध्यान चंद से ही होनी चाहिए। सचिन की बारी तो आ ही जाएगी। मेरा मानना है कि दद्दा के नाम पर तो खुद सचिन को भी ऐतराज नहीं होगा। बलबीर सिंह सीनियर भी इसके हकदार हैं।'

ऑलराउंडर मदन लाल ने कहा, 'ध्यानचंद और सचिन दोनों ही भारत के महान खिलाड़ी हैं। दोनों का योगदान बेमिसाल है। फिर भी मैं यही कहूंगा कि सबसे पहले यह सम्मान ध्यानचंद जी को ही मिलना चाहिए।'

भारत के पूर्व लेफ्ट आर्म स्पिनर मनिंदर सिंह ने कहा, 'मैंने ध्यानचंद के बारे में केवल सुना है। इस लिहाज से मेरा उनकी बाबत टिप्पणी करना वाजिब नहीं होगा। मैंने सचिन को खेलते देखा है और मेरी राय में भारत रत्न के पहले हकदार वही हैं